अनुभूति--7, "निर्वाण" 18.12.06
भूखे थे कभी,
अब संतुष्टि की ठानी है,
ऐ मेरी चेतना,
अब ये तेरी अंतिम बारी है,
अब कौन देस जाने की,
तेरी तैय्यारी है,
इस अगली यात्रा की तूने,
कैसी धारी सवारी है,
ऐ शटरिपुओं अब तुम पर,
चोट ये करारी है,
शायद इस बार तेरी ये इच्छा,
इस दुनिया पर भारी है,
इस बार "माँ आदि" ने, तेरी गति संवारी है,
--------नारायण
भूखे थे कभी,
अब संतुष्टि की ठानी है,
ऐ मेरी चेतना,
अब ये तेरी अंतिम बारी है,
अब कौन देस जाने की,
तेरी तैय्यारी है,
इस अगली यात्रा की तूने,
कैसी धारी सवारी है,
ऐ शटरिपुओं अब तुम पर,
चोट ये करारी है,
शायद इस बार तेरी ये इच्छा,
इस दुनिया पर भारी है,
इस बार "माँ आदि" ने, तेरी गति संवारी है,
--------नारायण
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