"सहज साधक व देश के राजनैतिक कुचक्र"
"समस्त 'सत्य राहियों' से इस चेतना का विनम्र आग्रह है, कि कृपा करके ऑनलाइन मीडिया पर इन समस्त सत्ता व धन लोभी 'राजनीतिज्ञों'
के ढोंग व झूठ से लबरेज वक्तव्यों व व्यक्तित्वों के मोह-पाश व जाल में उलझ कर आपस में एक दूसरे के लिए अपने हृदयों में खटास न उत्पन्न करें।
पिछले काफी समय से ये देखने में आ रहा है कि कुछ सहज-साथी राजनैतिक पार्टियों व इनके नेताओं को लेकर फेस बुक पर वैचारिक घमासान मचाते हुए घोर अज्ञानतावश एक दूसरे की गरिमा को ही खंडित करने में लगे हुए हैं।
यदि आप किसी भी राजनीतिज्ञ के लिए अपने अपने भाव व उदगार प्रकट करना चाहते हैं तो निसंकोच करें किन्तु किसी भी 'सत्य-खोजी' के विचारों पर नकारात्मक प्रतिक्रिया कर एक दूसरे की अवमानना करते हुए अपनी अपनी 'जागृति' को लज्जित न करें।
हम सभी को "श्री माँ" ने एक 'विशेष मुहिम' के लिए अपने सहस्त्रार से जन्म दिया है जिसके मूल में "उन्होंने" एक दूसरे के लिए सिर्फ और सिर्फ प्रेम की ही अपेक्षा की है।
साथ ही ये अपेक्षा भी की है कि हम "उनके" सभी बच्चे 'जागृति' देने के माध्यम से सारे संसार में सत्य, प्रेम, वात्सल्य, सहिष्णुता, सहयोग व शांति की स्थापना करेंगे।
और यदि हमारे सामने किसी भी प्रकार का असत्य आएगा तो हम अपनी जागृति के आधार पर उसकी भतर्सना करेंगे व असत्य का कभी भी साथ नहीं देंगे।
ये ठीक है की हमें अपनी अपनी समझ के अनुसार किसी भी तथ्य के बारे में अपने विचार प्रगट करने का अधिकार है।
किंतु विचार प्रकट करने से पूर्व अपने अपने मध्य हृदय में सहस्त्रार से जुड़कर 'दिव्य ऊर्जा' के एक सुखद खिंचाव/हलचल/झनझनाहट/फड़कन/ सरसराहट/शीतलता की अनुभूति कर लें।
तथा एक बार उन तथ्यों पर भी चित्त डाल कर अपने हृदय की प्रतिक्रिया स्वरूप प्रगट होने वाले निर्णय/उत्तर को अच्छे से समझ लें जिन के बारे में हम अपनी समझ का पक्ष रखने जा रहें हैं।
यदि हम यह अनुभव नहीं करेंगे तो हम मात्र आगन्या के स्तर पर ही रह कर अपने सहज साथियों के हृदय को अज्ञानतावश पीड़ा ही पहुंचा रहे होंगे।
और यदि हम मीडिया पर होने वाली पोस्ट को पढ़ते/जानते हुए अपने मध्य हृदय में 'ऊर्जा' की कोई भी सकारात्मक अनुभूति न कर पाएं तो बेहतर है कोई भी टिप्पड़ी न करें।
और यदि फिर भी कुछ न कुछ वक्तव्य देना ही चाहते हैं तो गूगल पर उन तथ्यों की ठीक प्रकार से सर्च करके ही अपनी बात रखें ताकि जो भी आप कहें वो सत्यता व प्रमाणिकता के आस पास अवश्य हो।
क्योंकि ये सभी 99.9% राजनीतिज्ञ एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं जो वास्तव में सदा आकंठ कीचड़ में ही सने रहते हैं और हमारे देश के सर्व साधारण नागरिकों के सामने एक दूसरे पर लगातार कीचड़ उछालते हुए एक दूसरे को गलत व भ्रष्टाचारी साबित करने का नाटक ही करते रहते हैं।
ताकि आम चुनावों के समय देश की जनता को बारबार मूर्ख बना कर साम-दाम-दंड-भेद अपना कर किसी न किसी प्रकार से सत्ता में बने रहें व जनता की मेहनत की कमाई को अनेको प्रकार के करों के रूप में हड़पते हुए व अकूत धन हांसिल कर मौज करते रहें।
इसका ताजा ताजा उदाहरण फरवरी 2018 में देखने को मिला जब लोक सभा में समस्त एक दूसरे के घुर विरोधी सदस्यों ने सर्व सम्मति से एक विधेयक पास करके अपना उल्लू सीधा करने के लिए 1975 के कानून को ही बदल डाला।
जो कानून किसी भी कंपनी को किसी भी राजनैतिक दल को फंड डोनेट करने से रोकता था जिसमें 1% भी विदेशी निवेश किया गया हो।
देश के दुर्भाग्य से इस 1975 के कानून को समाप्त कर अपने राजनैतिक स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए अब नया कानून बना दिया गया है।
जिसके अंतर्गत अब ऐसी समस्त कम्पनियां जिनके 49% शेयर विदेशी कंपनियों के पास हैं, समस्त राजनैतिक दलों को फंड दे सकती हैं जिनकी कभी भी जांच नहीं की जा सकती।और न ही इसका हिसाब ही RTI द्वारा किसी भी नागरिक/जनता को ही दिखाया जाएगा।
क्योंकि
2012-2013 में वेदांता ग्रुप ने तमिलनाडू में अपनी केमिकल प्लांट निर्विघ्न लगाने के लिए सत्तासीन दल व विपक्षी दल , दोनो को ही आन पेपर्स करोड़ों रुपये फंड दिया था जिसके कारण 1975 के कानून की खिलाफत करने के लिए कोर्ट में दोनों ही दलों के खिलाफ केस चल रहे थे।
अतः इन दोनो दलों ने अपनी अपनी गर्दन बचाने के लिए नया कानून बना कर 43 साल पुराने कानून को ही निरस्त कर दिया जिसके कारण दोनों दलों के ऊपर लगने वाले आरोप स्वतः ही समाप्त हो गए जिसके चलते केस भी खारिज हो गए।
अब जरा देखिए कि क्या इसकी खबर आम लोगों तक अखबार या किसी समाचार के माध्यम से सभी के बीच आ पाई। जरा सोचिए जनता जनार्दन के सामने अपने अपने मंचों से एक दूसरे पर जहर उगलने वाले ये ढोंगी कैसे अपने अपने स्वार्थ को साधने के लिए कैसे कैसे रंग बदलते हुए गुप चुप तरीके से एक हो जाते हैं।
जानते हैं कि इस नए कानून से देश के व्यापारियों/उद्यमियों/व्यवसाइयों का कितना नुकसान होना प्रारम्भ हो गया है, क्या आम लोगों को इसका जरा भी अंदाजा है ? ये चेतना न तो अर्थशास्त्री है और न ही विद्वान है, और न ही किसी भी राजनैतिक दल से ही जुड़ी है।
किन्तु फिर भी अपने देश के वर्तमान हालातों को अपनी तुच्छ बुद्धि से देखते व समझते हुए इस नतीजे पर पहुचती जा रही है कि हमारे देश के 90% नागरिकों का जीवन आज संकट में आ चुका है।
इन 49% विदेशी कम्पनियों के द्वारा फंड प्राप्त कर हमारे देश की सत्तासीन सरकारें इन कम्पनियों के मन मुताबिक इनके प्रोडक्ट पर रेट लगवा कर हमारे देश के नागरिकों को लुटवाती रहती हैं और जनता को दिखाने के लिए रोजगार के झांसे देती रहती हैं।
ये तो हमारे देश के भोले भाले लोगों को ठगने व हर प्रकार से हानि पहुंचाने के लिए इन लोभी नेताओं के द्वारा रचे गए हजारो कुचक्रो में से एक छोटा सा खेल मात्र है।
जिसका नुकसान हमारे देश के उद्यमी/व्यापारी/व्यवसायी उठाते रहते हैं और उनके कारोबार धीरे धीरे करके बंदी के कगार पर पहुंचने लगे हैं।
जितनी भी ऑनलाइन शॉपिंग हो रही है वो हमारे देश के ऑफलाइन व्यापारियों/उद्यमियों की लगातार कमर ही तोड़ती जा रही है। हमारा देश इन लोभी राजनीतिज्ञों के कारण पुनः आर्थिक दासता की ओर अग्रसर होता जा रहा है।
वास्तव में हमारे देश के किसानों/व्यपारियो/उद्यमियों/व्यवसाइयों की आर्थिक आत्मनिर्भरता को समाप्त करने का बहुत ही गहरा षड्यंत्र है।
जिसके तहत किसी न किसी रूप में वर्तमान सरकार के द्वारा अनाप-शनाप लगाए गए विभिन्न प्रकार के नाजायज टैक्सों व नियम कानून के नाम पर पिछले 2 वर्षों से लगातार लूटा जा रहा है।
'मेक इन इंडिया' के नाम पर विदेशी कम्पनियों से मोटे मोटे फंड लेकर उनको अनाधिकृत रूप से अत्याधिक अधिकार देकर हमारे देश के छोटे छोटे उद्योगों को नष्ट किया जा रहा है।
उदाहरण के लिए अच्छी खासी चलती हुई कई चीनी मिलों को NGT के द्वारा बंद करा दिया गया जिसके कारण हजारों कामगार और किसान बेरोजगार हो गए और अब आतंकवादियों के ट्रेनर पाकिस्तान से जबरदस्ती चीनी आयात की जा रही है।
एक और प्रतिष्ठित 'ओरिएंटल कार्बन' कंपनी को जानबूझ कर NGT के द्वारा बन्द करा दिया गया जो अपने देश में 55-60/- प्रति किलो कार्बन बेच रही थी और निर्यात भी कर रही थी।
और अब ईरान से कार्बन आयात किया जा रहा है जिसको 130/- से 150/-प्रति किलो तक खरीदना पड़ रहा है।
जैसे इंग्लैंड की 'ईस्ट इंडिया कम्पनी' ने हमारे देश के समस्त व्यापारों पर धीरे धीरे अपना कब्जा जमा कर इसे गुलामी की जंजीरों में जकड़ लिया था।
ये तो वर्तमान सरकार की कारगुजारियों एक दो ही उदाहरण हैं, वास्तविक रूप में अपने देश व देश के लोगों को धोखा देने व छल करने के हजारों उदाहरण हैं, यदि उन्हें लिखने बैठे तो सैंकड़ों पन्ने भर जाएंगे।
जो आम लोगो, अधकचरी समझ व सीमित सोच रखने वालों को कभी भी समझ नहीं आ सकेंगे जब तक कोई नागरिक पूरी लगन के साथ इनको न जांचे व परखे।
फेस बुक व व्हाट्स एप्प पर ऐसी सरकारों के द्वारा IT
Cell को खरीद कर/डरा कर/धमका कर अपनी झूठ मूठ वाह वाही कराने व गलत सलत खबरों को हजारों चैनल्स के जरिये आम लोगों के बीच फैला कर।
आम लोगों के दिमागों को पूरी तरह से वाश कर उनके दिमागों में गलत दृश्य बिठा दिए जाते हैं जो चुनावों में बहुत कारगर होते हैं।
जैसे वर्तमान 'प्रधान सेवक जी' के द्वारा मरहूम जिन्ना, नेहरू, इंदिरागांधी, राजीव गांधी आदि पूर्व के नेताओं की रूहों को कब्रों से निकाल निकाल कर उनकी जनता के सामने अपने चुनावी मंचो से खूब बुराई की जा रही है।
ताकि अपने गलत कर्मों, असफलताओं व अपनी बुराइयों को आसानी से इन मुद्दों के द्वारा ढक कर और जनता को गुमराह किया जा सके।
ये 'बड़े साहब' तो 2014 से पहले किये गए अपने समस्त वादों और बातों को चुनावी जुमले बता कर पूरी तरह सरे आम मुकर गए और लगातार धड़ल्ले से झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं।
और आज कैराना चुनाव में अचानक 150 से ज्यादा EVM मशीने तथाकथित गर्मी से खराब हो गईं जिनके कारण कई घंटे तक मतदान बाधित रहा जबकि 2014 के चुनाव भी शायद भरी गर्मी में ही हुए थे तब ये मशीने पूर्णतया तन्दरुस्त थीं।
आश्चर्य होता है कि इतना सब कुछ सामने आने पर भी अनेको लोगों की आंखे पूरी तरह से बेहोशी/बेसुधी में बंद की बन्द हैं।
अधिकतर लोगों ने देश के गरीबों के लिए गैस सब्सिडी छोड़ दी तो उन पैसों से लोगो को फ्री कनेक्शन तो दिया किन्तु गैस अत्याधिक मंहगी कर दी जिसके कारण गैस कनेक्शन के पैसे तो केवल एक ही साल में पूरे हो जाएंगे उसके बाद गरीबों की चिंता खत्म।
अब से पूर्व की सरकारों ने आम लोगों का इतना बुरा हाल कभी नहीं किया था जितना पिछले 2-3 सालों में हो चुका है और प्रतिदिन होता ही जा रहा है।
ये सदा कहा जाता हैं कि पिछली सरकार चोरों की सरकार थी जो देश को पिछले 60 साल से लूट कर खा रही थी फिर भी अधिकतर मध्य वर्गीय व गरीब खुश व सन्तुष्ट थे।
किन्तु वर्तमान सरकार तो आम मध्य वर्गीय व गरीब लोगों के जीवन के सुख, चैन, शांति, आजादी, धन पर सरे आम ऊंचे ऊंचे टैक्स, बेलगाम महंगाई के जरिये डाका डाल रही है।
सबसे जरूरी व आधारभूत धातु लोहा आजतक के सबसे ऊंचे स्तर 60/- प्रति किलोग्राम से भी अधिक पर मिल रहा है, पीतल, तांबा, अलुमिनियम, जस्ता, आदि भी 20-30% महंगा हो गया है जबकि डिमांड काम न के बराबर रहने के कारण काफी गिरी हुई है।
क्योंकि गलत नीतियों व उल्टे सीधे टैक्सों के कारण देश की हजारों छोटी छोटी इंडस्ट्रीज बंद हो चुकी हैं तो कुछ बंदी के कगार पर पहुंच चुकी हैं।तो कुछ लंगड़ा लंगड़ा कर चल रही हैं।
पेट्रोल, डीजल, गैस इत्यादि के बारे में तो आप सभी जानते हैं, डीजल के अत्यधिक महंगा होने के कारण ट्रांसपोर्ट और मंहगा हो गया जिसके कारण सारी अन्य वस्तुएं भी महंगी हो गईं।
विकास के नाम पर एक्सप्रेस वे बन रहे हैं, जानते हैं इन पर कितने रुपये किलोमीटर एंट्री टैक्स है ? लगभग 2=60 प्रति किलो मीटर, एक बार जमना ऐस्प्रेस वे पर गए तो एंट्री टैक्स देने पर पता चला, जबकि अच्छी सड़क की जिम्मेदारी सरकार की ही होती है न कि आम जनता की।
यानि कि हमारे देश की लगभग सभी सरकारें देश के मध्य वर्गीय व गरीब लोगों को उल्टे उस्तरे से मूँड़ती ही आ रहीं हैं बस फर्क कुछ कम व ज्यादा का ही रहा है।
किन्तु वर्तमान सरकार तो हर स्तर पर हाथ में तलवार ले कर ही गर्दन काटने के लिए तैयार खड़ी है। पच्छिमी उत्तर प्रदेश में तो अराजकता, गुंडागर्दी, प्रतिदिन लूट, डकैती, चोरी, राहजनी, रंगदारी, रेप आदि की घटनाएं 4 गुना बढ़ गईं हैं कि जीना मुहाल हो गया है जिनकी खबरों से अखबार भरे रहते हैं।
यदि खुले हृदय से ध्यान अवस्था में अपने देश के वर्तमान हालातों का चिंतन व अध्यन करेंगे तभी ही वास्तविक स्थिति व वास्तविक सत्य को समझा व जाना जा सकेगा।
फिर भी यदि कुछ भी समझ न आये तो जरा 'वचुअल/डिजिटल वर्ल्ड' से कुछ देर के लिए बाहर निकल कर।
अपने देश में दिहाड़ी पर काम करने वाले कुछ मजदूरों, मिस्त्रियों, छोटे किसानों, रिक्शावालों, सब्जीवालों, छोटे छोटे व्यापारियों, सूक्ष्म उद्यमियो का इंटरव्यू लें तभी आपको हमारे देश के साधारण लोगों की वास्तविक स्थिति पता लग जायेगी।
इसके अतिरिक्त एक और दुखद व दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति कुछ सहज-साथियों के बीच 'हिंदु-मुस्लिम' को लेकर पनपती जा रही है जो "श्री माता जी" की शिक्षा व संदेशों के एकदम विपरीत है।
ऐसे सहजी सूक्ष्म यंत्र के चार्ट पर स्थित हर धर्म के 'शुभ-चिन्ह' को भूल जाते हैं जो धार्मिक एकता व समन्वयता का प्रतीक है।
एक तरफ शुगर होने पर श्री मो.हजरत अली व श्री फातिमा का मंत्र ले रहे होते हैं व विशुद्धि खराब होने पर 'अल्लाह-हो-अकबर' अलापते हैं।
"श्री फातिमा" व श्री "मो. साहेब" की पूजा में भी बड़े जोर शोर से शामिल होते हैं।
और दूसरी तरफ राजनैतिक दलों की शूद्र व मानवता विरोधी नीतियों का समर्थन करके हिंदु-मुस्लिम में फर्क करते हुए घृणा फैलाने वाली पोस्ट फेसबुक एवम वाट्सएप्प पर डालते रहते हैं।
हद तो तब हो जाती है जब ऐसे फिरका परस्त व मजहबी नफरत को फैलाने वाले घोर अज्ञानी तथाकथित सहज अनुयायी मुस्लिम लोगों को 'आत्मसाक्षात्कार' देने के वीडियो व फोटो भी बड़े फख्र के साथ अक्सर डालते नजर आते हैं।
क्या यह दुहरा व्यक्तित्व व आचरण समस्त विश्व को प्रेममई एकाकारिता के सूत्र में पिरोकर शांति को स्थापित करने वाले "श्री माता जी" के स्वप्न को खंडित नहीं कर रहा है ?
क्या हृदय में किन्ही लोगों के लिए घृणा रखकर किसी को 'जागृति' दी जा सकती है ? क्या "श्री माता जी" की शक्तियों व गण देवताओं को मूर्ख बनाया जा सकता है ?
क्या हम धार्मिक घृणा, वैमनस्यता, भेद-भाव, ऊंच-नीच, जात-पांत, अमीर-गरीब इत्यादि अज्ञानतापूर्ण भावों से सारे संसार में प्रेम का प्रसार कर सकते हैं ?
अरे ये खेल तो हमारे देश के लोभी व सत्तालोलुप
99% नेताओं के द्वारा पिछले कई सालों से खेला जा रहा है, क्या 'जागृत चेतनाएं' भी इन्ही दुष्टों व पापियों जैसा आचरण करेंगी।
जिनसे "श्री माता जी" ने वैश्विक सुधारों की अपेक्षा की है, "उन्होंने" अपने एक वक्तव्य में बताया था कि 6 मई 1970 को आने वाली कयामत से बचाने के लिए ही "आपने" 5 मई 1970 को ब्रहम्माण्ड का सहस्त्रार खोला था।
"उनके" अनुसार यदि "मैं" सहस्त्रार न खोलती तो पूरा विश्व कालकवलित हो गया होता। तो इसका मतलब ऐसे सहजी विश्व को अनेको बुराइयों व पापों से बचा सकते हैं जिनके हृदय व सहस्त्रार खुले होंगे।
यानि ऐसे ही सहज-अभ्यासी समाज में व्याप्त किसी भी प्रकार के सत्य/असत्य को समझ सकते हैं एवम इन दोनों को ही अनावृत कर सबके सामने लाकर अन्य लोगों के लिए भी उचित मार्ग सुलभ करा सकते हैं।
यदि किसी सहजी के आगन्या में इन दुष्ट व लोभी नेताओं की नकारात्मक बातों का प्रभाव पड़ रहा है। जिसके कारण उसके पूर्व नकारात्मक संस्कार जागृत होकर उसकी चेतना को बाधित कर रहे हैं तो निश्चित रूप से उस सहजी का हृदय व सहस्त्रार अभी भी बंद है।
उसको "श्री माँ" के समक्ष अपने आप को पूर्णतया समर्पित करके शांत हो जाना चाहिए अन्यथा वह घोर पाप का भागी बन कर रुद्रों के द्वारा अनेको कष्ट निश्चित रूप से उठाएगा।
आज के दौर में सत्तासीन/विपक्ष में एक भी शायद ऐसा नेता नहीं है जिसका दामन पाक व साफ हो, सभी का हाल एक ही जैसा है। बस अंतर है तो केवल एक कि वर्तमान काल में कौन केंद्र सरकार के रूप में काबिज है और कौन विपक्ष में बैठा है।
हमारे देश के आज तक के इतिहास में, सच्चे मायनों में देश व देश के नागरिकों के कल्याण व विकास के लिये अपनी ईमानदारी, सादगी व समर्पण में अव्वल केवल और केवल एक ही 'उच्च शख्सियत' के प्रधान मंत्री रहे हैं जिनका नाम "आदरणीय लाल बहादुर शास्त्री" है।
एवम व्यक्तिगत रूप से ईमानदार व सहृदय प्रधानमंत्रियों में चंद ही गिने चुने ही लोग हैं जैसे श्री मोरारजी देसाई, चौ चरण सिंह, श्री अटलबिहारी बाजपेयी एवम श्री मनमोहन सिंह जी जिनपर कभी भी किसी भी प्रकार का आरोप न तो लगा और न ही कभी सिद्ध ही हुआ।
इनके अतिरिक्त हमारे देश मे जितने भी प्रधान मंत्री रहें हैं इन सभी ने कभी न कभी कहीं न कहीं मानवता, प्रकृति व "परमात्मा" के विपरीत कार्य कर के इंसानियत को शर्मसार किया है।
हमारे देश के ज्यादातर 'प्रधान सेवको' के दामन मानवता के खून से रंगे हए हैं जिन्होंने कभी न कभी अपने पद व सत्ता को बनाये रखने के लिए हमारे देश के हजारों निर्दोष नागरिकों का अनेको बार अनेको प्रकार से खून बहाया है व उनके जीवनों को नष्ट किया है।
ये रक्तबीज रूपी नेता अपने प्रपंचों के द्वारा हमारे देश की मुख्य तीन शक्तियों यानि किसान, सुरक्षा प्रहरियों व उद्यमियों के साथ साथ अमूमन सभी नागरिकों को सदा से हानि पहुंचाते आ रहे हैं।
एक बार इन दुष्ट नेताओं के चंगुल से देश को मुक्त कराने के लिए "श्री माता जी" से कुछ सहजियों ने राजनीति में आने की प्रार्थना की।
तो "श्री माता जी" ने जवाब दिया, 'कहाँ हम राजा लोग और कहां ये भिखारी जैसे राजनीतिज्ञ जो रात दिन दूसरे लोगों का पैसा हड़पने की साजिश करते रहते हैं।'
तो जरा चिंतन कीजिये कि "श्री माता जी" हमें किस चीज के लिए आगाह कर रहीं है। और हममे से कुछ सहजी हैं जो इन नैतिकता से पूर्णतया गिरे हुए अधर्मी नेताओं के भक्त बनकर इनकी शान में कसीदे पढ़ रहे हैं।
उनके नाम के जयकारे ही नहीं लगा रहे हैं बल्कि अपने 'आत्म-राहियों' के लिए मन में मैल रख कर एक दूसरे को गिराने में संलग्न हैं।
कितने अफसोस की बात है, यह सब घोर अज्ञानता को देखकर मन में वितृष्णा उत्पन्न होने लगती है और कुछ निर्लिप्तता में और इजाफा होने लगता है।
किन्तु अपने देश के गरीब व मध्य वर्गीय नागरिकों की शोचनीय दशा को देख कर हृदय भर आता है। और भीतर में इन महादुष्ट नेता रूपी शैतानो के कुकृत्यों को देखकर हॄदय में अथाह क्रोध से युक्त अनन्त ऊर्जा की ज्वालायें धधकने लगती हैं और ये चेतना "श्री महा काली" से इन सबके संहार की प्रार्थना करने लगती है।
ऐसी स्थिति में किसी भी राजनैतिक पार्टी को वोट देने का दिल ही नहीं करता। किन्तु प्रश्न ये उठता है कि हमारे कुछ लोगों के वोट न देने से ये दुष्ट हमारे देश की दुर्गति करनी बंद कर देंगे।शायद कदापि नहीं।
तो हम सब एक कार्य तो कर ही सकते हैं कि जब भी कभी चुनाव हों तो हम सभी के घर के सदस्य किसी एक पार्टी को वोट न देकर सभी मुख्य पार्टियों को वोट दें।
ताकि कोई भी एक दल अपना बहुमत न सिद्ध कर सके जिससे केंद्र व सभी राज्यों में एक दूसरे के विरोधी दलों की मिली जुली सरकार ही बन पाएगी।
जिससे सभी दलों के नेता सदा एक दूसरे की टांग खींचने में व्यस्त रहेंगे और एक दूसरे को देश का पैसा आसानी से खाने नहीं देंगे। और हमारे देश की जनता को लूटने के लिए किसी भी एक सरकार की तानाशाही से मुक्ति भी मिल जाएगी।
हमारे देश की विभिन्न संस्कृति, जाति, धर्मो व जलवायु के कारण इस देश के लोगों के हित के लिए 'बहु दल' सरकार ही उचित है।
जब जब भी इस देश में किसी भी एक सरकार का वर्चस्व हुआ है तब तब इस देश के नागरिकों की अत्याधिक दुर्गति हुई है व देश को भी भारी क्षति उठानी पड़ी है।
इस चेतना का हृदय "श्री माता जी" से विनती करता रहता है कि "श्री माता जी" ऐसा समय लाने की व्यवस्था कर दें। कि विश्व के समस्त देशों को केवल और केवल 'पूर्ण रूप से जागृत' चेतनाएं ही चलाएं जिससे समस्त देशों की सीमाएं एक हों जाएं व "आपके" द्वारा दिखया गया स्वप्न पूर्ण हो सके।
इस चेतना के हृदय के 'इस प्रस्फुटन' को यदि आपकी चेतना उचित मानती है तो कृपया रात्रि में 10 बजे सामूहिक रूप से अपने अपने स्थानों पर अपने ध्यान के बाद कुछ मिनट के लिए अपने देश की गंभीर व शोचनीय स्थिति पर प्रतिदिन चित्त डालें और "श्री माँ" से अपने राष्ट्र की स्थिति को ठीक करने के लिए प्रार्थना भी करें।
जाने-अनजाने में इस चेतना के द्वारा कुछ सहज साथियों के मन को ठेस पहुंची हो तो ये चेतना हृदय से खेद प्रगट करती है किन्तु इस प्रवाह के जरिये कटु सत्य को आप सबके सामने लाने के लिए बिल्कुल भी दोषी व शर्मिंदा महसूस नहीं करती।"
--------------------------------------Narayan😔
😪
"Jai Shree Mata Ji"
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