· " सहस्त्रार"-'एक सोलर पैनल'
एक जागरूक सहजी का सहस्त्रार सोलर पैनल की तरह होता हैं। जो "परम" रूपी 'सूर्य' की 'ऊर्जा' को अपने भीतर में शोषित करके अपने मध्य ह्रदय चक्र रूपी इन्वर्टर में भेजता रहता है।
और यह मध्य हृदय चक्र रूपी इन्वर्टर इस ऊर्जा को 'माँ जगदम्बा" रूपी कनवर्टर के द्वारा 'दिव्य प्रेम' में परिवर्तित करके हृदय रूपी बैटरी को चार्ज करता रहता है।
और इस चार्ज हुई बैटरी के माध्यम से सूक्ष्म यंत्र की तीनों नाड़ी रूपी वायरिंग से जुड़े सभी चक्र रूपी मोटर चलने लगते हैं। यह चलते हुए चक्र रूपी मोटर भी अपनी अपनी ऊर्जा को उत्पन्न करते हैं।
जिसके द्वारा स्थूल शरीर के समस्त अंग व सूक्ष्म शरीर की विभिन्न विभूति रूपी उपकरण सुचारू रूप से अपना कार्य करने लगते हैं। इस आंतरिक घटनाक्रम के द्वारा हमारे भीतर सुप्त समस्त देवी-देवता व सद्गुरु जागृत होने लगते हैं।
जो अपनी शक्तियों व ज्ञान के माध्यम से हमारी 'आत्मा' को प्रकाशित करने में हमारी मदद करते हैं। और प्रकाशित आत्मा हमारी चेतना को "परमपिता" से जोड़ने में हमारी मदद करती है।
और जब यह जुड़ाव प्रगाढ़ होने लगता है तो साधक "उनके" साथ एकाकार होने लगता है। और पूर्ण एकाकारिता स्थापित होने पर "परमपिता" हमारे यंत्र के माध्यम से अनेको रूपों व तरीकों से परिलक्षित होते हुए अनेको कार्य स्वयम सम्पादित करते हैं।"
------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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