Thursday, December 5, 2019

'अनुभूति'--50--"तिरंगा" (19-08-19)


 "तिरंगा"

"आजकल की राजनीतिक पार्टियों का पक्ष और विपक्ष ताने बाने की तरह होता हैं,

और इस ताने बाने से झूठ का एक अपारदर्शी कपड़ा बुना जाता है,

जिसकी पट्टी न्याय,कानून जनता की आंखों पर बांधी जाती है,

जिसके बने वस्त्र देश की जनता को खैरात में बांट उनसे वोट लिए जाते हैं,

रंगकर धर्म, जाति और एजेंडे के तीनो रंगों में ऐसे तिरंगे बहुतायत में बनाये जाते हैं,

फिर फहराकर इन्हीं तिरंगों को राजनीतिक सभाओं में, राष्ट्रभक्ति जगाई जाती है,

और राजनीतिक स्वार्थ पूरे करने के लिए इसी तिरंगे की शान के नाम पर,

हमारे देश के "शूर वीरों" की बलि अक्सर चढ़ाई जाती है,

और फिर लपेट कर 'अमर शहीदों' के 'पाक' जिस्मों को उसी कपड़े से बने तिरंगे में,

होकर एकत्रित इंडियागेट पर उनको अक्सर श्रंद्धाली अर्पित की जाती है,

नहीं है आज वो कपड़ा इस तिरंगे का जिसका ताना बाना सच्ची देश भक्ति और त्याग में डूबा होता था,

नहीं है आज वह ताना बाना जो सच्चाई ईमानदारी के सूत से सुता होता था,

धन्य है, हमारे देश के वीर जवान,

जो आज भी किसी भी कपड़े से बने तिरंगे में भेद नहीं करते हैं,


हर हाल में हर परिस्थिति में केवल 'तिरंगे' की ही रक्षा करते हैं,

धन्य हैं इस देश की माताएं, जो मातृप्रेम में अपने कलेजे के टुकड़ों को न्योछावर करती हैं,

धन्य हैं वो सभी अर्धांगिनियाँ, जो देशप्रेम में अपने सुहागों को सहर्ष अर्पित करती हैं,

धन्य हैं वो सारी बेटियां जो देश की सुरक्षा में पिताओं को विदा करती हैं,

धन्य हैं वो समस्त बहिनें, जो देश की रक्षा के लिए अपने भाइयों को रवाना करती हैं,

धन्य है, इस देश की समर्पित जनता जो तन, मन, धन से देश की आजादी के लिए संघर्ष करती है,

किन्तु, क्या कभी किसी ने आज के पक्ष-विपक्ष के नेताओं को देश पर मरते देखा है,

क्या इनके परिवार के सदस्यों को कभी स्वाधीनता-संग्राम में उत्सर्ग होते देखा है,

ये झूठे लोभी तो बस शहीदों की चिताओं पर ये केवल, घड़ियाली आंसू बहाते है,

बड़ी बड़ी जन सभाएं करके ये केवल, भाषण पे भाषण सुनाते हैं,

उद्घोषणाएं कर कर के ये केवल, अखबारों मीडिया का पेट भरते जाते हैं,

मदद तक नहीं करते हैं सही मायनों में, इन शहीदों के उजड़े परिवारों की,

दुहाही देते फिरते हैं तब, पे कमिशनों और विभिन्न रक्षा-कानूनों की,

शहीदों की कुर्बानियों तक का इस्तेमाल, ये करते हैं अपनी राजनीति चमकाने में,

रखते हैं निगाह हर हाल में केवल और केवल लाशों से भी धन बल कमाने में,

कहाँ हैं 'शास्त्री जी' कहाँ हैं 'सरदार वल्लभ भाई पटेल' आज की अघोषित 'गुलामी' के इस दौर में,

जो षड्यंत्र कारियों गद्दारों की भेंट चढ़ गए राष्ट्र निर्माण की जुगत में,

धिकारता है यह मामूली नागरिक ऐसे पक्ष-विपक्ष के ताने बाने को,

जिसका जर्रा जर्रा प्रदर्शित करता है,षड्यंत्रों, धोखों, भ्रष्टाचार और गद्दारी के अफसानों को,

है करबद्ध प्रार्थना "मालिक" से, भेजें सच्चे देश-भक्त नेताओं को,

जो ला सकें त्याग, ईमानदारी और समर्पण के तानों बानो से बने 'उसी' 1947 के तिरंगे को,

जो दे सकें इज्जत सही मायनों में इस तिरंगे के सभी रंगों कपड़े को।"

"जय हिंद,

वन्दे,

मातरम"

---------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"


August 19 ·2019

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