"कोरोना"-'एक अभिश्राप या वरदान'
(भाग-1)
"इस उपरोक्त टाइटिल को पढ़ कर आप में से बहुत लोगो को अजीब लग रहा होगा, और कुछ लोगों को अत्यंत क्रोध भी आ रहा होगा,और कुछ लोग यह भी सोच रहे होंगे कि यह संवेदना विहीन मानव निश्चित रूप से मानसिक रूप से विक्षिप्त है।
इतने सारे लोग विश्व में निरंतर इस वायरस से संक्रमित होकर मरते जा रहे हैं और यह पागल इंसान इस विषय को वरदान भी बता रहा है।
भला 'कोरोना' भी वरदान कैसे हो सकता है जिससे सारी मानव जाति भय से सिहर गई है और पूरे विश्व में इससे बचने के लिए लॉक डाउन हो गया है। एक संवेदन शील व सहृदय मानव होने के नाते ऐसा सोचने वाले आप सभी लोग बिल्कुल सही सोच रहे हैं।
किन्तु इसके विपरीत "श्री माता जी" के दो वक्तव्यों को यहां नीचे, लिखने जा रहा हूँ जो "उनके" लेक्चर्स से लिए गए हैं और अपनी चेतना व बुद्धि के अनुसार समझे हैं।
"श्री माता जी" ने कहा है कि,
1.यदि यह लिखा है कि शेर ने आपको खाना है तो वह निश्चित रूप से खायेगा किन्तु आप लोग डरते क्यों हो।*
2 .*जो भी परमात्मा करते हैं वो हमारी जीवात्मा की भलाई के लिए ही करते हैं चाहे "वो" हमें पहाड़ की चोटी से गिराकर मार ही क्यों न दें।*
3.*'अंतिम निर्णय' निकट है,अनेको प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आएंगी विभिन्न प्रकार की बीमारियां फैलेंगी और अनेको लोग कालकवलित हो जाएंगे।*
और भी अनेको वक्तव्य हैं जिन सभी को यहां लिखने की आवश्यकता नहीं है, यह तीन भी केवल कुछ हिंट देने के लिए ही लिखे जा रहे हैं।
इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि हमें मानव होने के नाते वैश्विक स्तर पर इस 'कोरोना' के नाम दर्ज हजारों लोगों की मृत्यु का दुख नहीं है।
चाहे इतनी बड़ी तादाद में मृत्यु इस वायरस के कारण हुई हों अथवा अन्य बिमारियों से ग्रसित होने के कारण।
हम भी द्रवित ह्रदय व सजल नेत्रों के साथ "श्री माँ" से इन सभी मृत लोगों की जीवात्माओं के कल्याण के लिए पूर्ण ह्रदय से प्रार्थना करते हैं।
इसके उपरांत अब हम उपरोक्त टाइटिल की सत्यता को परखने व इसके सार को समझने के लिए अपनी अंतः चेतना के द्वारा प्रेरित एक चिंतन यात्रा पर चलते हैं।
पिछले कुछ दिनों से इस 'वायरस' के नाम पर पूरे विश्व में होने वाली मौतों व हड़कंप के कारण होने वाले लॉक डाऊन पर लगातार चिंतन व विश्लेषण चल रहा था, कि,
a) क्या यह वायरस सत्ता व धन लोलुप,अहंकारी मानव की हवस को तुष्ट करने के लिये एक 'जैविक हथियार' के रूप में निर्मित किया गया है ?
b) अथवा यह 'विषाणु' मानवता, प्रकृति व "परमात्मा" के खिलाफ मानव द्वारा किये जाने वाले कुकृत्यों की सजा के तौर पर माता प्रकृति ने स्वयं ही उत्पन्न किया है ?
इन उपरोक्त बातों में जो भी बात सत्य हो किन्तु दोनों ही तथ्यों में एक बात समान है और वह यह कि इस विषाणु के भय के कारण समस्त संसार की गतिविधियां बाधित अवश्य हो गईं हैं।
और एक बात और सत्य हैं कि सारे विश्व के समाचार पत्र व मीडिया चैनल यह बताते नजर आ रहे कि,
इस वायरस के कारण अभी तक विश्व में हजारों लोग काल के गाल में समा चुके हैं और लाखों लोग इससे संक्रमित भी हैं जिनमें से कुछ लोग बच भी चुके हैं।
तो अब हम सबसे पहले प्रथम तथ्य पर अपनी चेतना को केंद्रित करके चारों तरफ से इसके विषय में मिलने वाली सूचनाओं के आधार पर कुछ विश्लेषण करेंगे।
इस वायरस के बारे में हमें जबसे पता चला है तब से प्रतिदिन अपने देश व विश्व के अनेको स्थानों से आने वाली सूचनाओं का निरंतर अवलोकन चल रहा है।
जिसके आधार पर हमारी चेतना यह निष्कर्ष निकालती है कि यह 'वायरस' कुतिस्त व घृणित मानवीय षड्यंत्र का ही एक हिस्सा प्रतीत होता है।
वास्तव में इस वायरस के आवरण के पीछे कई बड़ी बड़ी हस्तियां विभिन्न प्रकार की स्वार्थ सिद्धि में संलग्न है।
सम्पूर्ण विश्व में अत्यंत भयावय तरीके से प्रिंट, डिजिटल, व शोशल मीडिया व न्यूज चैनल्स के माध्यम से जानबूझ कर फैलाया जा रहा है।
ताकि उन महा दुष्टों के षड्यंत्र ढके रहें और वे अनवरत अपने निम्न व दूषित उद्देश्यों को पूरा करते रहें।
यहां तक कि कुछ देश की वर्तमान सरकारें इस 'तथाकथित महामारी' का पूर्व नियोजित तरीके से भरपूर इस्तेमाल अपने अपने राजनीतिक स्वार्थों व राजनीतिक एजेंडा को पूरा करने के लिए कर रही हैं।
हम उन चीजों पर फिलहाल यहां पर अभी चर्चा नहीं करेंगे कि किस प्रकार से व क्यों कर यह ढोंग फैलाया जा रहा है ?
क्योंकि इसके उद्देश्यों को आत्मसात करने व समझने के लिए तो कई किताबें लिखनी पड़ेंगी जिसके कारण हम इस उपरोक्त विषय की मौलिकता से हम दूर हो जाएंगे।
किन्तु हम अपने अध्ययन व विश्लेषण के आधार पर आप सभी को इतना आश्वस्त अवश्य करना चाहते हैं कि यह COVID-19 जिस कारण से भी प्रभावी हुआ हो, इतना घातक नहीं है जैसा इसको प्रदर्शित किया जा रहा है।
यह वायरस भी विश्व में अभी तक के नामकरण किये गए समस्त वायरसों की तरह ही हैं।
"श्री माता जी" ने भी अंग्रेजी में दिए अपने एक 1984 के लेक्चर में जो शोला पुर, महाराष्ट में दिया गया था, बताया है कि,
*इस प्रकार के विषाणु व परजीवी उत्क्रांति की प्रक्रिया से बाहर हो जाने वाली वनस्पति के होते हैं जो हमारे सामूहिक अवचेतन में उपस्थित रहते हैं।
और जब ये किन्ही कारणों से अवचेतन से निकल कर हमारे शरीर में आते हैं तो हमें इन विष्णुओं व परजीवियों से बीमारी के लक्षण प्रगट होते हैं।
जिनका कोई भी बाहरी इलाज संभव नहीं है।ये हमारे भीतर में आते हैं और ऐसे ही निकल जाते हैं।*
तो फिर आखिर विश्व के समस्त हस्पतालों में इस विषाणु का इलाज किस दवाई से हो रहा है जबकि इनकी कोई दवाई होती ही नहीं है ?
तो इसका मतलब यह है कि इन विष्णुओ का इलाज हमारा शरीर स्वयम ही करता है।
यह देखा गया है कि इस प्रकार के वायरसों का संक्रमण का अक्सर बदलती जलवायु की दशा में हमारी नकारात्मक मनोदशा/अनियमित जीवन शैली व अनुचित खानपान के कारण क्षीण हुई हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण ही हम पर प्रभावी होते हैं।
यदि हम अपनी जीवन शैली/खानपान को ठीक करने व नियमित व्यायाम/प्राणायाम/ध्यान करने के साथ साथ नकारात्मक चिंतन का भी त्याग कर दें।
और अपने भोजन में प्रतिदिन दोपहर के 12 बजे तक फलों/व 12pm से 1pm तक कच्ची सब्जियों के आहार के माध्यम से मात्र .2-4 mg
विटामिन 'C' ग्रहण करते रहें। तो ऐसे किसी भी वायरस को तो छोड़िए कोई अन्य गम्भीर बीमारी भी हमारे पास आसानी से नहीं फटकेगी।
अब प्रश्न यह उठता है कि सम्पूर्ण विश्व में इतने सारे लोग इस 'कोरोना' से क्यों मर रहे हैं ?
तो एक लिए हम आप सभी से निवेदन करेंगे कि यदि आप गूगल पर यह सर्च करें कि,
'प्रति वर्ष पूरे विश्व में कितनी मौतें,कॉमन कोल्ड, साधारण फ्लू,मलेरिया,डेंगू, निमोनिया, टायफाइड, पीलिया, टी बी आदि के विषाणुओं,परजीवियों व जीवाणुओं के द्वारा होती है।
तो आप हैरान हो जाएंगे कि इन सभी बिमारियों के कारण लगभग पौने दो करोड़ लोग पूरे विश्व में हर वर्ष मरते रहते हैं।
इसके अतिरिक्त हार्ट, दिमाग, रीढ़, किडनी, लिवर, आंत, केंसर, फेफड़े आदि के फेल होने के कारण भी करोड़ो लोग मरते हैं।
क्योंकि किसी भी देश की सरकार हर साल इन बीमारियों से मरने वालों की लगातार कमेंट्री नहीं करती और न ही कोई लिस्ट ही जारी करती है जिस तरह से मिनट दर मिनट 'कोरोना' की खबरें हम सभी को बड़े ही भयावय अंदाज में मिल रहीं हैं।
हमारे देश के एक बहुत उच्च कोटि के साइंटिस्ट 'डॉ राजीव दीक्षित जी' ने हर प्रकार की, वर्तमान व प्राचीन चिकित्सा पद्यति पर शोध करके बताया था।
***कि हमारे शरीर को लगभग 148 प्रकार के ही रोग होते हैं और इनकी मात्र 148 प्रकार की ही दवाइयां होती हैं।***
जो आयुर्वेद, होम्योपैथी, एलोपैथी,यूनानी पैथी यहां तक कि आपकी किचन में भी विभिन्न प्रकार की औषधियों(मसालों) के रूप में भी उपलब्ध होती हैं।
उनके अनुसार बड़े पैमाने पर षड्यंत्र के जरिये आज हजारों बीमारियों को ईजाद कर उनका नामकरण किया जा चुका है जिनकी 85000 से भी ज्यादा एलोपैथिक दवाइयां उपलब्ध है।
यदि उनकी बातों को सच मान लिया जाय तो प्रश्न उठेगा कि जब बीमारियां इतनी कम हैं तो आखिर हजारों प्रकार के रोग क्यों और किसने ईजाद किये हैं ?
ऐसा माना जाता है कि मेडिकल साइंस के इस कटु सत्य को उजागर करने के कारण एक षड्यंत्र के चलते कुछ वर्षों पूर्व उनकी किसी जहर कर द्वारा हत्या कर दी गई थी।
जिसके कारण उनका पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया और उनकी मृत्यु के बारे में फैलाया गया कि उनकी मृत्यु किसी बीमारी से हुई थी। उनके सैंकड़ो वीडियो आज यूट्यूब पर उपलब्ध हैं जिनका फायदा लाखों लोग प्रतिदिन उठा रहे हैं।
ऐसे ही एक और हमारे देश के मेधावी व विलक्षण रिसर्चर, डॉ विश्वरूप राय चौधरी हैं जिन्होंने गम्भीर से गम्भीर रोग मात्र खान पान व जीवन शैली के बदलाव को रोगियों के जीवन में उतरवाकर उन्हें ठीक किया है।
इन्होंने वैज्ञानिक स्तर पर अनेको साधारण उपाय इस 'कोरोना' वायरस से बचने व इस वायरस से ठीक होने के बताए हैं जिनकी रिकार्डिंग भी यूट्यूब पर उपलब्ध है।
इन्होंने भी बताया है कि कोरोना जैसे सैंकड़ो वायरस पिछले हजारों सालों से हमारे साथ चले आ रहे हैं।
बल्कि हमारी उत्त्पत्ति से पूर्व भी ये वायरस उपस्थित थे, उन्होंने यहां तक बताया कि हमारा शरीर ही 90% वायरसों से बना होता है और केवल 10% ही हमारे तत्व होते हैं।
वो कहते हैं कि किसी भी वायरस की कोई दवाई आज तक बनाई ही नहीं गई है और न ही होती ही है।इनकी यह बात "श्री माता जी" के द्वारा बताई गई बातों से मेल खा रही है।
और किसी भी वायरस के इलाज के लिए यदि कोई भी दवाई अथवा वैक्सीन आदि दी जाती है वह ठीक करने के स्थान पर मरीज के रक्षा तंत्र को और भी कमजोर कर देती है।
इन्होंने दावा किया है कि यह 'कोरोना' वायरस के साथ साथ अन्य प्रकार के सभी वायरसों को भी 72 घंटे में नारियल पानी, मौसमी, संतरा, किन्नू आदि के जूस व ग्रीन सलाद के देकर ठीक कर देंगे।
इसके लिए इन्होंने अपने किसी माध्यम के जरिये हमारे देश के प्रधानमंत्री तक अपने दावे का संदेश पहुंचाने व भारत के सभी कोरोना पीड़ित मरीजों को उनके हवाले करने के लिये निवेदन भी किया है।
इनकी रिसर्च की सच्चाइयों से घबराकर प्रभाव शाली 'मेडिकल माफिया' ने इनके अनेको वीडियो यूट्यूब से हटवा दिए हैं।
क्योंकि विश्व्यापी 'मेडिकल माफिया' नहीं चाहता की लोग आसानी से बिना हस्पताल जाय व दवाइयों पर खर्चा किये ठीक हों जाएं।
यह एक बहुत बड़ा विश्वयसपी षड्यंत्र मालूम देता है जिसमें हर देश के बड़े बड़े लोग शामिल हैं।
इन्हीं डॉ विश्वरूप राय चौधरी ने बताया था कि पूरे विश्व में केवल 'कोरोना' से मरने वाले लोगों की संख्या मात्र 12% है।
और जो मरे हैं या मर रहे हैं वे वो लोग हैं जिनकी आयु 60-70 वर्ष के पार है और जो पहले ही अनेको रोगों से ग्रसित हैं।
डॉ विश्वरूप राय चौधरी ने लगभग 8 वर्ष पूर्व एक किताब लिखी थी, *हॉस्पिटल से जिंदा कैसे लौटें* जिसमें उन्होंने मेडिकल भ्रष्टाचार व षड्यंत्र का 'शरीर व वनस्पति विज्ञान' के आधार पर पर्दाफाश किया था।यह किताब हमारे पास अभी भी मौजूद है।
सच्चाई यह है कि जिस "परम सत्ता" ने हमारे शरीर का निर्माण किया है उसने इस शरीर को ठीक करने के लिए इसी शरीर में व्यवस्था भी की है।
बस आवश्यकता है तो केवल और केवल अपने शरीर की बाह्य व आंतरिक व सूक्ष्म कार्यप्रणाली को समझने की, जिसकी व्यवस्था भी "उन्होंने" हमारी आत्मा के माध्यम से की हुई है।
आप सभी से कुछ साधारण प्रश्न हैं कि हमारे इस संसार के जो भी पूर्व के वैज्ञानिक रहे हैं जिन्होंने अनेकों प्रकार की खोजों के जरिये विभिन्न प्रकार के विज्ञान के बारे में बताया था।
*तो क्या उन सभी ने विज्ञान की किन्ही पुस्तकों का अध्यन किया था ? जैसे आइंस्टीन, एडिसन, न्यूटन, जेम्सवाट, आर्यभट, आदि आदि ।*
हमारा आप सभी से विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त तथ्यों पर शांत भाव से ध्यान अवस्था में अपने हृदय में उतर कर चिंतन करके अवश्य देखिएगा।
हमें आशा है कि आपकी 'आत्मा', "प्रभु" की अनुकंम्पा से आपकी चेतना के समक्ष सत्य को अवश्य लाकर खड़ा कर देगी।
और आप पूर्ण निर्भीकता के साथ निश्चिंत होकर अपना जीवन जिएंगे और अन्यों को भी ऐसे ही जीने के लिए प्रेरित भी करेंगे।
एक सत्य तो हम मानसिक व आंतरिक रूप से सदा से जानते ही आ रहे हैं कि जिसका शरीर रुप में जन्म हुआ है तो उसकी मृत्यु सुनिश्चित है।
वह कब मरेगा, कैसे मरेगा, कहाँ मरेगा, किस रोग से मरेगा, किस दिशा में मरेगा, किस दशा में मरेगा आदि आदि।
यानि जब हमारा भी समय आएगा तो हमारे मरने का कोई न कोई मेडिकल कारण अवश्य बनेगा।तो आखिर क्यों हम इतना इन सभी बीमारियों से भयभीत हो रहे हैं ?
वास्तव में असली परेशानी बीमारी से नहीं बीमारी से मरने के भय से ही सारे विश्व में आज व्याप्त है। और यह भय विभिन्न प्रकार के षड्यंत्रों के तहत सुनियोजित तरीके से फैलाया जा रहा है।
यदि हम इन धूर्त व दुष्ट मानव जनित सम्भावित षड्यंत्र की ओर देखें तो हम निश्चित रूप से यही कहेंगे कि 'कोरोना' इस आज की मानवीय सभ्यता के लिए निश्चित रूप से एक अभिश्राप है।
और हम "श्री महा काली" से मानव सभ्यता व मानवता के खिलाफ प्रतीत होने वाले इस युग के सबसे बड़े षड्यंत्र में शामिल होने वाले समस्त महादुष्टों के सर्वनाश के लिए पूर्ण हृदय से प्रार्थना करते हैं।"
----------------------------------------Narayan🌹
"Jai Shree Mata Ji"
........................To be continue
Note:-आप सभी से विनम्र निवेदन है कि हमारे उपरोक्त अध्यन व चिंतन पर कोई वाद-विवाद व शास्त्रार्थ न कीजियेगा।
क्योंकि हम किसी भी विषय के कोई ज्ञानी, विद्वान, आचार्य, विशारद व पंडित नहीं हैं। यह मात्र मानवता के हित में हमारी मामूली सी चेतना की एक साधारण अभिव्यक्ति है।
यदि यह आपको अच्छी लगे तो ठीक और यदि यह आपके आगन्या को तकलीफ दे तो हमें मूर्ख व अज्ञानी समझ कर इस आंतरिक प्रवाह की उपेक्षा कर दीजिएगा।
किन्तु किसी भी हाल में इस प्रवाह के ऊपर वाद विवाद करने की चेष्टा भी न कीजियेगा, क्योंकि हम उत्तर देने की इच्छा से पूर्णतया विरत रहेंगे।
फेस बुक की टाइम लाइन को जब हम खोलते हैं तो यह पूछती है,
'What's on your Mind',
अतः इसके प्रश्न के उत्तर में हम भी इस पर लिख देते हैं जो हमारी आंतरिक चेतना प्रेरणा देती है।धन्यवाद।...🙏☺❤️🌹
(Kindly don't feel
offended with any of our Expression in Present as well as in Future
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