"अनाथ भारत "
कि आज के हालात में हमारा देश राजनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर पूर्णतया अनाथ है। क्योंकि वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी ने आज समूचे विपक्ष को या तो खरीद लिया है या डरा धमका कर निष्क्रिय कर दिया है।
अतः हमारे देश का वर्तमान व भविष्य पूर्णतया अंधकार में डूबता ही जा रहा है जिसके इन हालातों में ठीक होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं।
अतः हम सभी जागरूक आम नागरिकों को विपक्ष की भूमिका में अप्रत्यक्ष रूप में देश व देश की जनता को बचाने के लिए कमर कसनी होगी।
"श्री माता जी" ने भी विश्व को बचाने की जिम्मेदारी हम सभी 'जागृत चेतनाओं' पर ही डाली है। इसलिए हम सभी को अपने चित्त व चेतना की शक्तियों से निरंतर ध्यानस्थ अवस्था में रहकर कार्य करते रहना पड़ेगा।
वर्ना यह समझ लीजिए कि हमारा देश आज की तिथि में अप्रत्यक्ष रूप से गुलाम हो ही चुका है। इसको बचाने के लिए आंतरिक शक्तियों की सहायता से संघर्ष करना होगा।
*अच्छे से समझ लीजिए एक प्रकार से हम सभी 'प्रकाशित चेतनाओं' पर ही अपने देश को बचाने का दायित्व आ गया है।*
किन्तु इसके लिए बाहर से कुछ भी करने की जरूरत नहीं है किंतु हमें केवल बाह्य घटनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ानी है।
हम यह महसूस करते हैं कि हमारे ज्यादातर सहजियों में से विशेष तौर पर महिला सहजियों को अपने देश व विश्व के अन्य देशों के हालातों के बारे में न के बराबर पता होता है।
यदि कुछ टेलीविजन व अखबार के माध्यम से जान भी जाते हैं तो वह अक्सर पूर्णतया सत्य नहीं होता है।
विशेष तौर से हमारे देश का जो मीडिया व अधिकतर अखबार हैं वे तो मात्र सत्तासीन सरकार के गुलाम बन कर रह गए हैं। जो सुबह से शाम तक केवल और केवल वर्तमान सरकार की चाटुकारिता ही करते रहते हैं।
बल्कि हम तो यह कहने में भी गुरेज नहीं करेंगे कि हमारे देश की वर्तमान सत्ता पिछले छै सालों से मीडिया व अखबारों का इस्तेमाल भारत की आम जनता का ब्रेन वाश करने में ही कर रही है।
और हमारे देश की हालत प्रतिदिन हर स्तर पर बुरे से बुरी ही होती जा रही है जिसके कारण हमारे देश की 70% गरीब व मध्य वर्गीय जनता अत्यंत पीड़ित है।
यहां तक कि हमारे देश के करोड़ो लोग भूख व बेरोजगारी से पिछले 4 सालों से बिलख रहे हैं। और इनका आंकड़ा प्रतिदिन दिन दूनी रात चौगनी गति से बढ़ता ही जा रहा है।
हमारे देश में हर दिन 40-45 किसान व अन्य बेरोजगार आत्महत्याएं कर रहे हैं। साथ ही देश का वातावरण बद से बदतर होता जा रहा है, हर प्रकार की अमानवीयता हमारे देश में परिलक्षित होने लगी है।
यह सब हम सभी अपने चारों ओर देख रहे हैं और अपने देश व विश्व के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि हममें से ज्यादातर सहजियों को हमारे देश की वास्तविक स्थिति का वास्तव में पता ही नहीं है।
यदि आप टेलीविजन व अखबार की खबरों का त्याग कर कुछ सच्चे पत्रकारों की बातों को उनके यूट्यूब चैनल पर सुनेंगे/देखेंगे।
जो सत्य तथ्यों पर प्रूफ के साथ विवेचना करते हैं तो आप हैरान रह जाएंगे कि जो हम टी वी व अखबार में देखते/पढ़ते हैं वह कितना गलत होता है।
यदि आप "श्री माता जी" से वास्तव में प्रेम करते हैं तो सचेत हो जाइए व सत्य के प्रति खोज खबर रखने के लिए कमर कस लीजिए।
वैसे हमारे कुछ सच्चे व निष्पक्ष सहजी सत्य/असत्य बातों को अपनी फेस बुक पोस्ट के जरिये निरंतर हाई लाइट करते रहते हैं। आप उनकी पोस्ट्स के जरिये भी हमारे देश की वर्तमान स्थिति के बारे में जान सकते हैं।
और यदि कोई असत्य सामने आता है तो "श्री माँ" से प्रार्थना करते हुए उस पर चित्त व चेतना से निरंतर कार्य करते रहिए है।
इससे दो लाभ होंगे, एक तो आप सभी का ध्यान गहन होता जाएगा और दूसरे "श्री माता जी" के 'सच्चे बालक' बनने का भी कर्तव्य पूरा कर रहे होंगे।
*क्योंकि कोई भी चित्त का कार्य बिना ध्यान की गहनता में उतरे किया ही नहीं जा सकता।*
आशा है आप सभी "श्री माँ" के अच्छे यंत्र बनने के साथ साथ 'सच्चे देश भक्त' होने का कर्तव्य निभाने के लिए अवश्य तत्पर होंगे।
*किसी भी सत्तासीन सरकार की विचार धारा व कार्यों का अंधानुकरण करना न तो देशभक्ति है और न ही राष्ट्रवादिता
है।*
●यदि ऐसा होता तो आज भी अंग्रेजों का शासन हमारे देश पर होता।●
आज ये हैं कल दूसरे होंगे, यह सब तो बदलते रहते हैं, और जो नहीं बदलता वह है हमारा प्यारा देश भारत और इसके भारत वासी।"
"सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा"
------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
No comments:
Post a Comment