'बाह्य-धर्म एक बाधा'
"जब तक हम किसी भी 'बाह्य-धर्म' तक सीमित हैं तब तक "परमात्मा" से जुड़ नहीं सकते।
क्योंकि "वे" 'धर्मातीत' हैं,"उनसे" जुड़ने के लिए हमें सभी धर्मों से ऊपर उठ 'मानव-धर्म' में स्थित होना होगा।
जितने भी धर्म हमें अपने चारों ओर दिखाई देते हैं।
इनकी स्थापना, काल व परिस्थितयों की आवश्यकता के अनुसार हमारे 'पूर्व-ज्ञानियों' ने 'सद-मानव' बनने की प्रेरणा देने के लिए ही किया था।
यदि हम "ईश्वर" से जुड़ना चाहते हैं तो सर्वप्रथम हमें 'स्वयं' के व 'प्रकृति' के प्रति विशुद्ध प्रेम को अपने हृदय में अनुभव करते रहना होगा।
क्योंकि 'हमारा' व 'प्रकृति' का निर्माण "परमेश्वरी" ने स्वयं 'अपने' हाथों से किया है।"
----------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"'
30-10-20
No comments:
Post a Comment