This Blog is dedicated to the "Lotus Feet" of Her Holiness Shree Mata Ji Shree Nirmala Devi who incepted and activated "Sahaj Yoga", an entrance to the "Kingdom of God" since 5th May 1970
Tuesday, August 30, 2022
Sahaj Yoga(Video)-Z M-40, 'Workshop on Attention' on Zoom Cloud 11-05-2020
Thursday, August 25, 2022
"Impulses"--627-"Waves of Emotions"
"Waves of Emotions"
"Our Mind is the 'Surface' of the Ocean of our Central
Heart.
The 'Waves of Emotions' keep on Rising and Falling on this
Surface as per the 'Weather of Circumstances' and create several kinds of
Mental Traumas for us.
If we want to be away from such a Negative Mental Disposition.
Then we should Dive Deep into It's Water and Stay in Bottom of this Ocean to Enjoy this Life in Real Sense."
-------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
11-06-2021
Monday, August 22, 2022
Sahaj Yoga(Video)-Z M-39, 'Workshop on Attention' on Zoom Cloud 10-05-2020
Tuesday, August 16, 2022
"Impulses"--626--"Mind Contaminates Awareness"
"Mind Contaminates Awareness"
"As soon as we keep on loading our Mind with several
kinds of External Information.
Then, It begins contaminating our Awareness with its Data.
And then 'The Sensitivity' of our Consciousnesses towards Truth start diminishing gradually."
----------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
10-06-2021
Saturday, August 13, 2022
Sahaj Yoga(Video)-Z M-38, 'Workshop on Attention' on Zoom Cloud 09-05-2020
Friday, August 12, 2022
"Impulses"--625--"Truth Walks Alone"
"Truth"
walks
Alone
very
often,
while
'Myth'
moves
in
Convoy
always."
--------Narayan
06-09-2021
Tuesday, August 9, 2022
Sahaj Yoga(Video)-Z M-37, 'Workshop on Attention on Zoom Cloud 08-05-2020
Saturday, August 6, 2022
"Impulses"--623-- "कर्तव्य परायणता"
"कर्तव्य परायणता"
"वर्तमान काल भी कितना विचित्र है,यदि आप हृदयगत संवेदनाओं से परिपूर्ण होकर किसी अपने प्रिय के हित के प्रति चिंतित होते हुए उसे किसी विपदा में फंसने से बचाने के लिए कोई सूचना/शोध/अनुभव साझा करते हैं।
तो वह अपने मन में संचित सूचनाओं को ही सत्य मानते हुए बहुत ही बुरा मान जाता है।
व अपने उक्त सूचनाओं के ज्ञान के अहंकार से आच्छादित होकर अक्सर अत्यंत नकारात्मक रूप में प्रतिक्रिया
करते हुए या तो आपको मूर्ख समझता है या फिर आपको अपना शत्रु मान बैठता है।
ऐसी अवस्था में आपके सामने धर्म संकट खड़ा हो जाता है कि आप अपने उस प्रिय को चुपचाप रहकर ऐसे ही पीड़ाओं/विपत्तियों में फंस कर नष्ट होता देखते रहें।
या फिर उसे उसके आने वाले कष्टों के प्रति आगाह करते हुए उसके बुरे बनने को तैयार रहें।
हमारी चेतना के अनुसार यदि आप उस व्यक्ति को वास्तव में हृदय से प्रेम करते हैं तो आपको उसकी नजरों में बुरा बनने में कोई गुरेज नहीं होनी चाहिए।
क्योंकि जिस पल भी उसे आपकी बातों के सत्य का एहसास होगा तो उसकी चेतना आपके प्रति कृतज्ञता अनुभव करते हुए आपके प्रति हृदय से सम्मान का अनुभव करेगी।
यानि एक सत्यनिष्ट मानव को बिना किसी बात की चिंता करते हुए मानवता की रक्षा के लिए अन्य लोगों को सचेत करने का कर्तव्य पालन अवश्य करना चाहिए क्योंकि ऐसे अच्छे हृदय के मानवों को केवल "ईश्वर" के प्रति ही जवाब देह होना चाहिए।"
---------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
07-06-2021
Thursday, August 4, 2022
Sahaj Yoga(Video)-Z M-36, 'Workshopon attention on Zoom Cloud 07-05-2020
Monday, August 1, 2022
"Impulses"--622-- "अति विपरीत काल यानि अनावरण काल"
"अति विपरीत काल यानि अनावरण काल"
"यूं तो यह तथाकथित महामारी काल अत्यंत भयावह है क्योंकि हमारे देश के कई हिस्सों में मौत का तांडव चल रहा है।
जिसके कारण लाखों लोगों की जीवात्माएं मात्र एक डेढ़ माह में ही इस लौकिक जगत को छोड़कर जाने के लिए बाध्य हो गईं।
किन्तु इस विपदा काल में हम सभी के समक्ष हमारे इर्दगिर्द व मीडिया में अक्सर दिखाई पड़ने वाले समस्त मानव देह धारियों के वास्तविक स्वरूप भी उजागर हो गए।
यह देख कर हैरानी हुई कि मानवीय शरीर में रहने वाले बहुसंख्यक अस्तित्व शैतानों,नराधमों,नरपिशाचों, राक्षसों,रक्त पिपासुओं,गिद्दों,भेड़ियों,लोमड़ों,सर्पों,बिच्छुओं के निकले।
साथ ही यह भी अनावृत हुआ कि जो भी लोग हमारे चारों ओर व आसपास रहा करते हैं,उनमें से कौन लोग मानवता के सच्चे हितैषी,हृदय से सन्त,दयालू,
देशप्रेमी,देशभक्त होने के साथ साथ,कौन लोग कायर,लोभी,धूर्त,मूर्ख,मक्कार,झूठे,ढोंगी,मानसिक रूप से गुलाम, षड्यंत्रकारी,अवसरवादी,अहंकारी,ईर्ष्यालू,हिंसक,संवेदना विहीन व दिखावा करने वाले भी हैं।
क्योंकि स्थान स्थान यह देखने को मिला कि यदि किसी के घर इस काल में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है।
तो आस पड़ोस के व्यक्तियों को छोड़िए यहां तक कि कुछ नजदीकी रिश्ते भी मृत शरीर को हाथ लगाने से कतराते दिखे।
यही नहीं मृत व्यक्ति के घर के सदस्यों में भी इस विषाणु के भय के कारण किसी बाह्य व्यक्ति को बुलाने की हिम्मत तक नहीं होती नजर आयी।
यानि इस काल ने अपने व पराए लोगों की वास्तविकता व रिश्तों की मजबूती अथवा हल्के पन को भी जग जाहिर कर दिया है।
और श्मशान घाट में भी इस विषाणु से संक्रमित व्यक्ति के मृत शरीर को आनन फानन में मात्र दो चार मंत्रों के साथ बिना गंगा जल मुख में डाले ही जल्दी से चिता पर रखवा कर प्लास्टिक कवर के साथ ही अग्नि के हवाले किया जा रहा है।
कहीं कहीं तो हिन्दू धर्म से जुड़े मृत व्यक्ति के शरीर को उसके घर के सदस्यों के द्वारा हाथ लगाने से इंकार करने पर उक्त मृतक शरीर का दाह संस्कार इंसानियत को गौरान्वित करने वाले कुछ मुस्लिम लोगों ने किया।
इसके साथ ही सनातन धर्म को मानने वाले हजारों हिन्दू लोगों की धर्मिक मान्यताएं भी छिन्न भिन्न हो गईं।
क्योंकि कई स्थानों पर धन के आभाव में हिन्दू धर्म के हजारों लोगों को दफनाना भी पड़ा और हजारों लोगों को नदी में बहाना भी पड़ा।
यानि कि इस काल ने यह साबित कर दिया कि विपदा व इंसानियत के आगे समस्त प्रकार के धार्मिक व जातिगत झगड़े व्यर्थ व बेमानी हैं।
कहीं ऐसा तो नहीं "परमेश्वरी" इन समस्त महादुष्टों व नकारात्मक लोगों को समाप्त करने से पूर्व इस विपरीत काल में अच्छे,सच्चे,भोले भाले,जागृत व इंसानियत के रखवाले मानवों को छांटना चाहती हैं ताकि एक नए व आनंदमई युग का पुनः सृजन किया जा सके।
वैसे हम सभी जानते हैं कि इस सृष्टि के लिए "परमपिता परमेश्वर" अपने तीन रूपों में सक्रिय रहते हैं:-
"ब्रहम्मा"=रचनाकार,"विष्णु"=पालनहार, "महेश"="शिव"="नटराज"=संहारक।"
-------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
03-06-2021