"अमन' अवस्था"
"मानव को अपने वर्तमान जीवन काल का सदुपयोग करते हुए ध्यान के माध्यम से "प्रभु" के सानिग्ध्यय में रहकर मन रहित स्थिति को ज्यादा से ज्यादा बनाये रखने का निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।
*क्योंकि पूर्ण 'अमन' अवस्था में ही 'जीवात्मा' स्थूल देह का त्याग करती है।*
यदि 'मनरहितता' मानव की चेतना में स्थापित न हो पाए तो 'मृत्यु काल' अत्यंत लंम्बा और पीड़ा दायक हो जाता है।
तो क्यों न सजगता पूर्वक अपने जीवन की 'सांझ' से पूर्व ही अपने अंतःकरण को मन के पाश से मुक्त कर लिया जाय।"
--------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
23-12-2021
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