"जागृत चेतनाओं की राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका"
"हममें से अधिकतर सहज अनुयाइयों की रुचि निश्चित रूप से अपने देश की राजनीति में नहीं होगी।
क्योंकि हम यह अक्सर विचारा करते हैं कि हम तो "श्री चरणों"
में स्थित हैं, हम तो ध्यान-अभ्यासी हैं,भला हमारा क्या लेना देना राजनीति व राजनीतिज्ञों
से।
जैसे भी देश चलना होगा "श्री माता जी"
की इच्छा से चलता ही रहेगा।
हमें तो "श्री माँ"
के प्रेम को सारे संसार में प्रसारित करते हुए अपनी गहनता के स्तर व अपनी चेतना के विकास पर ही ध्यान देना चाहिए।
यदि सतही स्तर पर देखा जाय तो यह बात निश्चित रूप से सही प्रतीत होती है।ठीक यही भाव इस चेतना के हृदय में 8 नवम्बर 2016 की संध्या से पूर्व तक रहा करते थे।
यही नहीं हमारे देश/प्रदेश में राजनीति में क्या चल रहा है ?
यदि चुनाव हो रहा है तो कौनसा राजनैतिक दल हमारे देश के लिए उपयुक्त रहेगा ?
किस दल के कौन कौन से नेता अच्छे हैं ?
किस नेता को मुख्य मंत्री बनना चाहिए, किसको प्रधान मंत्री बनना चाहिए ? आदि आदि।
न तो हमने कभी किसी भी राजनैतिक दल में कोई रुचि रखी और न ही किसी राजनैतिक दल का कभी झंडा ही उठाया।
इसीलिए न तो कभी हमने अखबार में राजनीति से सम्बंधित खबर पढ़ी और न ही कभी टेलीविजन में ही राजनीतिक खबरे देखीं।
हाँ,समय समय पर होने वाले चुनावों में कभी किसी दल तो कभी किसी दल वोट देना चलता रहा।
किन्तु केवल एक बार सत्ता के परिवर्तन की स्वभाविक इच्छा के चलते सन 2014 में वर्तमान सत्ता पर काबिज राजनैतिक दल को वोट दिया।
किन्तु इसके पीछे भी कोई पसंदगी एवं नापसंदगी वाली कोई बात नहीं थी, केवल इतना ही भाव था कि विपक्ष को भी अवसर देना चाहिए।
किन्तु जब 8 नवम्बर
2016 को रात में हम अपनी कलोनी के बाहर की दुकान में समान लेने गए।
और समान के पेमेंट देते समय दुकानदार ने कहा कि सरकार ने 500 एवं
1000 के नोट बंद कर दिए हैं,
12 बजे के बाद ये नहीं चलेंगे।
तो यह सुनकर एक बार को तो यकीन ही नहीं हुआ और दिल ही दिल में कुछ तकलीफ भी हुई।
क्योंकि यकायक नोट बंद होने का मतलब हमें अच्छे से पता था, हमें एहसास था कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी।
प्रथम बार चित्त अपने देश के राजनैतिक व्यवस्था पर गया और हृदय ने कहा कि देखें आखिर हमारे देश में हो क्या रहा है।
घर आकर तुरंत टीवी खोला और समाचार वाले चैनल देखना शुरू कर दिया जो लगभग अगले सात दिन तक चला।
यकीन जानिए इन सात दिनों में ठीक प्रकार से नींद भी नहीं आयी, हर समय बस टीवी के सामने खबरे ही देखते रहे और करोड़ो आम लोगों को परेशान होता देखते रहे।
सातवे दिन जब हमारे देश के प्रधान मंत्री ने कामगारों से यह बोला कि,'यदि तुम लोगों के मालिक जब तुम लोगों के बैंक खाते में अपने पैसे जमा कराएं।
तो तुम उनको पैसे वापस मत करना और स्वयं रख लेना,और यदि वो मांगे तो मेरा नाम लेकर उन्हें धमका देना।'
यह सुनकर हमारे हृदय को बहुत धक्का लगा कि इतने गरिमामयी पद पर होकर कोई प्रधान मंत्री अपने देश मजदूरों व कामगारों को मालिकों के साथ गद्दारी व नमक हरामी करने की शिक्षा कैसे दे सकता है।
बस यह दिन अपने देश के प्रधानमंत्री के भाषण सुनने का अंतिम दिवस था,यानि हमने 15-11-2016 से अब तक इस तथाकथित महामानव के भाषण न तो पढ़े और न ही सुने।
इतने निम्न स्तर की सोच रखने वाले इंसान के साथ तो हम अपने जीवन में कभी नाता रखने तक की नहीं सोचते।
यह देखकर वास्तव में 2014 में इनके दल को दिए गए वोट का पहली बार बेहद अफसोस हुआ जो आज तक बना हुआ है।
और तभी से ही हम शोशल मीडिया के कुछ निष्पक्ष व विश्वसनीय चैनल्स के माध्यम से अपने देश की राजनीति व घटनाक्रमों से निरंतर अपडेट होते रहते हैं।
हम जो शोशल मीडिया चैनल्स देखते हैं उनमें न्यूजलांड्री,देशभक्त,पुण्य प्रसून वाजपेयी,रवीश कुमार प्राइमटाइम,अजीत अंजुम,ध्रुव राठी आदि चैनल्स प्रमुख हैं।
हमारा तो सभी जागरूक चेतनाओं से विनम्र निवेदन है कि सभी मुख्य टी वी चैनल्स का बहिष्कार करें क्योंकि ये सभी 'राजा जी' के गुलाम चैनल्स हैं।
इसके अतिरिक्त आप सभी 2014 से अब तक कि सभी
RTI Reports का भी अवश्य अध्यन करें जो आपको गूगल पर मिल जागेंगी।
तभी आप अपने देश की सही स्थिति के बारे में जान पाएंगे और सही निर्णय पर पहुंचेंगे।
आपमें से कुछ लोग अवश्य जानते होंगे कि 50 से भी ज्यादा टी वी चैनल्स 'इनके' अत्याधिक प्रिय,देश के सबसे बड़े दो व्यापारियों
के हैं जिनके लिए ये साहेब
18-18 घंटे काम करते हैं।
शोशल मीडिया के उपरोक्त चैनलों व RTI Repotrs के जरिये ही हम इस 'प्रधान चौकीदार' की कारगुजारियों
के बारे में थोड़ा बहुत जान पाए जिनके कारण हमारा देश हर स्तर पर बर्बाद हुआ है।
हमने जाना कि जो भी कुछ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से 2014 तक देश ने संजोया था उसे पिछले
7.5 वर्षो में इन्होंने पूरी तरह से तबाह कर दिया।
हम कैसे भूल पाएंगे कि,
1.नोट बदलने के लिए 50 दिन तक लाइनों में लगे 200 लोगों ने दम तोड़ दिया।जिनके प्रति इन साहेब के द्वारा की सहानुभूति तक प्रगट न की गई।
2.लाखों की तादाद में छोटी छोटी निमार्ण करने वाली इकाइयां बंद होने के कारण उनके मालिकों का आर्थिक रूप में बर्बाद हो जाना।जिनमें से बहुत सारी आज तक बंद हैं, इनके साथ ही लाखो लोग बेरोजगार हो गए।
3.इस त्रासदी को 8 माह भी नहीं बीते थे कि अत्याधिक कर वाली
GST देश पर थोप दी गई जिसके द्वारा रहे सहे छोटे व मध्य वर्गीय उद्योग धंधे तबाह कर दिए जाना।
4.इसके बाद इस सत्ता के षड्यंत्रों के चलते हमारे देश में आपसी घृणा, वैमनस्य का वातावरण इनके नेताओं,IT Cell व इनके गुलाम टीवी चैनलों के द्वारा तैयार कराया जाना।
जिसके कारण अनेको स्थानों पर झगड़े व दंगे होते रहे जिसमें सैंकड़ों लोगो को अपनी जान गंवानी पड़ी व अरबो रुपये की सरकारी व व्यक्तिगत सम्पत्ति की हानि हुई।
5.कुछ बैंकों के अचानक से बंद होने के कारण लाखों नागरिकों के अरबों रुपयों का हड़पे जाना।
6.बिना किसी सलाह मशविरा व पूर्व सूचना को प्रेषित किये मात्र 4 घंटे के नोटिस पर इतने बड़े देश को वैज्ञानिक रूप से अप्रमाणित एक संक्रमण के नाम पर अचानक से महीनों के लिए बंद कर तरक्की की राह पर अग्रसर मध्य आकार की कम्पनियों का भट्टा बैठवाकर अपने मुख्य चहेतों को औने पौने में बिकवा कर उन्हें लाभ कमवाना।
7.उस काल में उद्योगों के बंद होने के कारण उनमें काम करने वाले भूखे प्यासे करोड़ों श्रमिकों,मजदूरों,छोटे छोटे बच्चों,वृध्दों,महिलाओं को हजारों किलोमीटर पैदल चलने पर मजबूर करना।जिसमें 200 के करीब श्रमिकों/मजदूरों का हताहत होना।
8.संक्रमण की तथाकथित दूसरी लहर में इनकी सरकारों की बदइंतजामी,संसाधनों के आभाव,गलत दवाइयों एवम गलत इलाज के कारण लाखों लोगों का असमय कालकवलित हो जाना व गंगा का लाशों से पट जाना।
9.अपने चहेतों की दिवालिया होने वाली बोगस कम्पनियों को राष्ट्रीय बैंकों/LIC से ऋण दिलवा कर आम जनता का धन लुटवाना।
जिसके कारण आज बैंकों में जमा पर ब्याज दर 2014 से आधी रह गयी है और बैंकिंग चार्जेज कई गुना बढ़ गए हैं।
10.लाभ में चलने वाली सरकारी नवरत्न व महा नवरत्न कम्पनियों,हवाई अड्डों,बंदरगाहों,प्रीमियम ट्रेन्स को अपने चहेते व्यापारियों को औने पौने में बेच कर अस्वाभिक रूप से बेरोजगारी बढ़वाना।
11.सरकारी नौकरी के लिए बार बार पेपर लीक करवा कर पढ़े लिखे नौजवानों को नौकरी से वंचित रखना।
12.अपने चहेते दो सबसे बड़े व्यापारियों को लाभान्वित करने के लिए तीन काले कृषि कानून जबरन लागू कर देश के किसानों के साथ धोखा करते हुए उनको बर्बाद करने की साजिश रचना।
13.इन काले कानूनों के विरोध में आंदोलन रत देश के किसानों के साथ अत्याचार,बदसलूकी करना व उन्हें बदनाम करने की साजिश करना।
और इस आंदोलन में शहीद होने वाले 700 से ज्यादा किसानों के प्रति न तो संवेदना प्रगट करना, उनके परिवारों की न तो सुध लेना और न ही उन्हें मुआवजा देना।
14.उक्त संक्रमण के नाम पर अवैज्ञानिक तथ्यों पर फेल जबरन टेस्ट करा करा कर संक्रमितों की संख्या बढ़वाना।
और फिर अव्यवहारिक नियम बना कर नागरिकों की स्वतंत्रता को छीन लेना व उल्टे सीधे चालानों के नाम पर उनसे जबरन धन लूटना।
15.संक्रमण का डर दिखाकर इसकी रोकथाम के नाम पर प्रयोग प्रक्रिया से गुजरती हुई जहरीली दवाई को जबरन सभी नागरिकों के शरीरों में डलवाना।
जिसके साइड इफ़ेक्ट के चलते लाखों लोग पीड़ित हो रहे हैं और हजारों लोगों की तो मृत्य भी हो चुकी है।
16.इसी संक्रमण के नाम पर दो साल से जबरन स्कूल बंद करवा कर बच्चों के वर्तमान व भविष्य के साथ जान बूझ कर खिलवाड़ करना।
जबकि इस संक्रमण का डर इनको व इनके किसी भी नेता को नहीं है जो चुनावी रैलियों में लगे हुए है।और न ही यह संक्रमण आंदोलनरत किसानों में ही फैला।इसी से साबित होता है कि यह संक्रमण व इस संक्रमण का भय एक बहुत बड़ा षड्यंत्र व झूठ है।
17.डीजल,पेट्रोल व गैस पर अत्याधिक कर लगा कर अपने ही नागरिकों का धन लूटना।जिसके कारण भयानक रूप से महंगाई से बढ़ गयी है जिसके परिणाम स्वरूप गरीब व मध्य वर्गीय नागरिकों का जीना दूभर हो गया है।
इन सभी के अतिरिक्त सैंकड़ो ऐसे दुर्भावना पूर्ण इनके कार्य हैं जिनके बारे में लिखने बैठे तो मोटी मोटी कई किताबें लिखी जा सकती हैं।
सच्चाई यह है कि जो भी 2014 में सत्ता संभालने से पूर्व अपने मैनिफेस्टो में वादे किए थे उनमें से एक भी शायद पूरा किया हो।
तब से आज तक हमारे देश में इन्होंने साम्प्रदायिकता के जहर को फैलाने का पुरजोर प्रयास करते हुए इस देश को हर स्तर पर रात दिन लूटने का ही कार्य किया है।
सफेद झूठ बोलने,नित नए स्वांग रचने व झूठी बातों का प्रचार करने में तो इन्हें महारथ हांसिल है जिसके कारण इनका नाम गिनीज बुक में दर्ज भी हो चुका होगा।
हमारा जागृति के मार्ग पर अग्रसर समस्त चेतनाओं से प्रश्न है कि,क्या आप अपने इस सुंदर देश को यूं ही साक्षी भाव में बर्बाद होता देखते रहेंगे ?
अथवा ध्यान में उतर कर "श्री माँ"
से प्रार्थना करते हुए देश की इस विकराल समस्या पर कुछ चित्त डालने का भी कर्तव्य पूरा करना चाहेंगे ?
क्या आपके हृदय में अपने देश को इस प्रकार से बर्बाद होने से बचाने की दिशा में कुछ करने की इच्छा प्रगट होती है ?
यदि उत्तर हाँ में है तो आज ही "श्री माता जी" के समक्ष ध्यान में स्थित हो कर चिंतन करना प्रारम्भ करें कि आप अपने देश को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं।और जो भी आप कर सकें वह तुरंत करना प्रारम्भ कर दें और अन्यों को भी करने की प्रेरणा दें।
जिस भावना के वशीभूत होकर 1857 से देश को स्वतंत्र कराने के लिए इस देश के सच्चे नागरिकों ने तन,मन,धन, रक्त व अपने जीवनों की आहुतियां दीं।
हमें वह सब करने की आज आवश्यकता नहीं,क्योंकि हम साधारण मानव नहीं हैं।
"श्री माता जी" ने हमें ध्यान के माध्यम से अनेको 'ईश्वरीय शक्तियों' को धारण करने के सामर्थ्य को विकसित करने का ज्ञान दिया है।बस हमें गहन ध्यान अभ्यास की सहायता से स्वयं को जानने की प्रक्रिया में संलग्न हो जाना है।
जिसके परिणाम स्वरूप आपकी चेतना विकसित होना प्रारम्भ हो जाएगी और आपको अपने प्रकाशित चित्त के माध्यम से "श्री माँ"
की शक्तियों को प्रेषित करना निश्चित रूप से आ जायेगा।
यदि आप चाहें तो हम अपने व्यक्तिगत ध्यान अभ्यास के अनुभवों पर आधारित एक वीडियो लिंक यहां पर शेयर कर रहे हैं।
https://youtube.com/playlist...
यदि आपको अच्छा लगे तो इसके साथ आप ध्यान में गहन में उतरने व चित्त से कार्य करने का अभ्यास कर सकते हैं।
जो भी कुछ "श्री माँ"
ने इस चेतना को प्रदान किया है वह सब आप सभी की अमानत है,यह सब आपका ही है।
आप सभी अवश्य जानते होंगे कि चित्त से कार्य करने के विषय में "श्री माता जी"
अपने कई वक्तव्यों में बता चुकी हैं।
"उन्होंने" यह भी कहा है कि,
*'विश्व की नाव डूबने जा रही है और आप लोग यह बात जान चुके हैं, तो "परमात्मा"
के समक्ष आप जिम्मेदार माने जाएंगे।*
यदि आप सभी या आपमें से कुछ चित्त से कार्य करने की तीव्र इच्छा रखते हैं तो आपको अपने देश/विश्व के वर्तमान हालात के बारे में ठीक प्रकार से जानना होगा।
और जानने के लिए आपको निष्पक्ष पत्रकारों की पत्रकारिता व निष्पक्ष शोशल मीडिया चैनल्स की रिपोर्टिंग को पढ़ना/सुनना/देखना होगा।
केवल तभी ही आप उन तथ्यों को जान कर उनके सत्य से रूबरू हो पाएंगे जिन पर आपने चित्त से कार्य करना है।
इन सभी बातों को पढ़कर आपके हृदय में एक प्रश्न कौंध सकता है कि हमें इतना सब कुछ जानने की आवश्यकता ही क्या है।
हम तो यदि ध्यान में स्थित होकर अपने देश/विश्व के लिए "श्री माता जी"
से प्रार्थना कर देंगे तब भी
"श्री माता जी"
हमारे देश/विश्व की रक्षा कर देंगी।
क्योंकि इस वसुंधरा पर तो सभी कुछ "श्री माता जी"
की इच्छा से ही घटित होता है तो फिर इतना उलझने की आवश्यकता ही क्या है।
तो इसके लिए हम "श्री माता जी"
के वक्तव्य की ओर आप सभी का ध्यान आकृष्ट करना चाह रहे हैं।
याद कीजिये,"श्री माता जी" ने कहा था कि यदि "मैं" "स्वयं" ही सभी कुछ कर पाती तो निश्चित रूप से कर देती।आप सभी "मेरे" अंग प्रत्यंग हैं, "मेरे" हाथ पांव हैं।आपके 'माध्यम' व शुद्ध इच्छा से ही "मैं" कार्य कर सकती हूँ।
अतः "श्री माँ"
के 'माध्यम'/'यंत्र' होने के नाते हमें,हमारे दायित्व को पूर्ण श्रद्धा, भक्ति,निष्ठा,लगन व समर्पण के साथ पूरा करने की जिम्मेदारी जरूर लेनी चाहिए तभी हमारा यह 'पुनर्जन्म' सार्थक हो पायेगा।
हमें करना ही क्या है, केवल और केवल सर्वप्रथम सही जानकारी हांसिल करनी है।और गहन ध्यान अवस्था में चित्त से कुछ देर कार्य करना है और परिणाम "श्री माँ" पर छोड़ देना है बस।
इतने मात्र से ही काम बनने लगेगें और "श्री माँ" के प्रति, अपने विश्व के प्रति/अपने देश के प्रति हमारा कर्तव्य भी पूरा होता रहेगा।हम आशा करते हैं कि आपमें से कुछ साधक/साधिका इस कर्तव्य को अवश्य निभाना चाहेंगे।
हमारे इन उदगारों से यदि जाने अनजाने आपमें से किसी की भावनाएं आहत हुईं हों तो उसके लिए यह चेतना क्षमा प्रार्थी है।किंतु इसके पीछे केवल और केवल अपने देश/विश्व के कल्याण की भावना के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
मत भूलिए कि इस देश की स्वतंत्रता के लिए "श्री माता जी"
ने अपने बाल्य काल में अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए अनेको कष्ट सहे।
"श्री माता जी" के माता पिता भी भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के कारण स्वत्रंता प्रप्ति तक जेल में रहे।"श्री माता जी" ने बताया है कि "वे" अपने बाल्य काल में 'गाँधी जी' के आश्रम में जाया करती थीं।
"वे" आगे बताती हैं कि "उन्होंने" एक बार मानव की जागृति के कार्य के विषय में 'गांधी जी' से बात की थी।तब गांधी जी ने कहा था कि देश स्वतंत्रता प्राप्ति के बिना 'आंतरिक स्वतंत्रता' का कार्य आगे बढ़ाया नहीं जा सकता।
यदि गम्भीरता व निष्पक्षता के साथ अपने देश के आज के हालात के बारे में चिंतन करेंगे तो पाएंगे हमारा देश अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक रूप से विक्षिप्त सत्ताधारियों के द्वारा थोपी गई 'परतन्त्रता' की गिरफ्त में आ चुका है।जहां प्रतिदिन इस देश के नागरिकों की स्वतंत्रता व अधिकारों का बड़ी क्रूरता के साथ हनन किया जा रहा है।
आज शासकों के रूप में अंग्रेज तो हमारे समक्ष नहीं हैं किंतु विकृत सोचों से आच्छादित अंग्रेजों से भी अत्याधिक घातक तानाशाह अपने सहयोगियों की मदद से हमारे देश की स्वतंत्रता को निरंतर नष्ट करते हुए हमारे देश व हमारे देश के नागरिकों को गुलाम बनाने का भरसक प्रयास कर रहा है।
आज ईस्ट इंडिया कम्पनी नहीं है किन्तु उसके स्थान पर इन स्वघोषित राजा जी के अति प्रिय देश के सबसे बड़े व्यापारियों की कम्पनियां हमारे देश की अर्थव्यवस्था को निरंतर निगलती जा रही हैं जैसे अंतरिक्ष में ब्लैक होल ग्रहों व नक्षत्रों को निगलता रहता है।
क्या आप जानते हैं कि पिछले इन दो वर्षों में इन सबसे बड़े व्यापारियों की सम्पत्ति 23 लाख करोड़ से
53 लाख करोड़ हो गयी।
वो भी उस काल में जिस काल की गिरफ्त में आकर इस देश के अधिकतर लोग आर्थिक रूप से कंगाल हुए।जरा विचार करें यह चमत्कार कैसे हुआ होगा।
इन सभी का एक मात्र उद्देश्य हमारे देश के आम नागरिकों का धन विभिन्न प्रकार के करों व षडयंत्रो के माध्यम से पूरी तरह से खींच लेने का है।
इसीलिए हमारे देश के सूक्ष्म, लघु माध्यम दर्जे के उद्योगों को पूरी तरह नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।ताकि इस देश के छोटे उद्यमी/व्यापारी/आम नागरिक बड़े व्यापारियों की चाकरी करने के लिए मजबूर हो जाएं।
और जो गरीब तबका/श्रमिक/मजदूर वर्ग है वह बंधुआ बन कर सरकार के द्वारा दिये जाने वाले राशन मात्र पर इन दो बड़े व्यापारियों कम्पनियों में काम कर सके।
हो सकता है हमारी यह बातें आपको पूर्वाग्रह से ग्रसित व काल्पनिक लग रही हों।तो कृपा करके एक बार इस सत्ता के सत्तानशी होने से पहले किये गए वायदों और इस देश के लिए दिखाए गए दिवास्वप्नों का अध्यन कर लीजिए,कितने पूरे हुए ?
इसके साथ ही 2014 से पहले की इस देश की/अपनी आर्थिक स्थिति का आंकलन देश की/अपनी आज की आर्थिक स्थिति से करके देखेंगे तो तुरंत सारी परिस्थितयां
समझ आने लगेंगीं।
यदि देश की समझ न आये तो केवल 2014 से पूर्व की अपनी कमाई,खर्चे,बचत व सेविंग बैंक का ब्याज की तूलना आज की अपनी स्थिति से कर लीजिए हमारी बात का उत्तर मिल जाएगा।
सच्चाई यह है कि जबसे 2014 में दीवाली के शुभ दिवसों में एक तुगलकी फरमान के द्वारा नोटबन्दी कर इस देश में 'मनहूसियत' फैलाने का सिलसिला शुरू किया है तभी से इस देश की तरक्की को ग्रहण लग गया है।
वास्तव में नोटबन्दी का उद्देश्य कालाधन समाप्त करना न होकर बैंकों को कैश से टॉप अप करके अपने 'मित्रों' की भारी मात्रा में कभी न वापिस आने वाला लाखों करोड़ ऋण बाटना था।
इसीलिए भारी भरकम ऋण बांट कर राष्ट्रीय बैंको में जमा आम जनता का पैसा हड़प लिया गया जिससे बैंक कंगाल हो गए जिसके कारण कई बैंको का मर्जर किया गया।
अभी भी कुछ और बड़े ऋण बांटे जाएंगे और फिर कुछ और बैंक मर्ज करने पड़ेंगे और धीरे धीरे इन राष्ट्रीर बैंकों को अपने मित्रों के हवाले कर दिया जाएगा।
अब इनकी गिद्ध दृष्टि पोस्ट आफिस में जमा धन पर पड़ गयी है इसीलिए इन्हें बैंकों से जोड़ा जा रहा है ताकि इनमें जमा आम जनता के धन को ऋण बांट कर हड़पा जा सके।
अपने देश की वर्तमान हालात को समझ कर व अपने देश के आम नागरिकों की दुर्दशा देख कर अत्यंत पीड़ा होती है और हृदय में क्रोध की ज्वालायें धधकने लगती हैं।
यदि यह बातें समझ कर कुछ लोगों को अब भी समझ नहीं आ पा रहा है तो कोई बात नहीं वे लोग आराम से भजन गायें और भजनों पर थिरके और अपने चक्र व नाड़ियां सन्तुलित करते हुए ध्यान का आनंद लेते रहें।
जिन साधक/साधिकाओं को यह बातें समझ आ रही होंगी तो हमें आशा है वे सभी निश्चित रूप से अपने अपने यंत्रो को उन्नत करते हुए चित्त से कार्य करने योग्य बनाने में जुट जाएंगे।
और अपने इस प्यारे व पवित्र देश/विश्व के प्रति गहन ध्यान अवस्था में उतर चित्त की शक्ति के प्रयोग द्वारा "श्री माँ"
के द्वारा प्रदान किये गए इस उत्तरदायित्व
को इस जीवन की अंतिम स्वास तक निभाते रहेंगे।
यह चेतना आप सभी के लिए "श्री माँ"के सुंदर माध्यम के रूप में विकसित होकर
"श्री माँ"
के स्वप्न पूरा करने के योग्य होने के लिए हृदय से शुभ कामनाएं प्रेषित करती है।"
------------------Narayan
."Jai Shree Mata Ji"
Note:-जिन लोगो को हमारा यह प्रवाह पसंद न आया हो कृपया किसी भी प्रकार का वाद विवाद इस पोस्ट पर न करें।
यदि इस पोस्ट पर कोई भी नकारात्मक प्रतिक्रिया प्रगट करनी हो तो मेहरबानी करके केवल अपनी टाइम लाइन पर ही करें।धन्यवाद।
13-02-2022-(From 10.30pm to 5
am)
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