"टेंशन"
ये टेंशन भी बड़ी चीज है खूब, सारी दुनिया में है, इसके नाम की धूम,
इस कलियुग में तो भइय्या , अब इसका है बूम,
छोटी थी ये बहुत पहले, अब हो गई ये ज़ूम,
जो लोग टेंशन से घिर जातें हैं, वो सभी हो जातें हैं सूम,
डूबे रहतें हैं सदा न जाने किन-किन ख्यालों में,
शाम ढलते ही, मिटाते हैं अपने-अपने ग़मों को प्यालों में,
इसी की मेहरबानी से ही तो भइय्या, सरकार का रिवेन्यू भड गया है,
सबसे ज्यादा लाभ होता है, इसके व्यापार में,
इसका बहुत रुतबा है भइय्या, हर मुल्क की सरकार में,
हमारे निष्ठावान नेता गण भी, इसको भड़ाने में ही मदद करतें हैं,
खूब दंगे करा-करा कर लोगों को टेंशन प्रदान करतें हैं,
टेंशन जब भड जाती है भइय्या, क्षेत्र की पुलिस भी अटेंशन हो जाती है,
खूब डंडे चलती है पुलिस, टेंशन में आकर,
रास्ता जाम करती है पब्लिक, सड़कों पर जाकर,
इसी से प्रभावित होकर ही तो, घर बन जाता है, युद्ध का मैदान,
बच्चों को अच्छे स्कूल में पढाने की टेंशन में ही तो,
माँ-बाप उनके पैदा होने से भी पहले, स्कूल में रजिष्ट्रेशन कराते हैं,
अच्छे स्कूल में पढाने की टेंशन में, अफसर भी खूब रिश्वत खाते हैं,
अच्छे नंबर लाने की टेंशन में, बच्चे सुसाइड तक कर जाते है,
आगे जल्दी बढ़ने की टेंशन में, भाई- भाई दुश्मन हो जातें हैं,
अच्छे घर में शादी करने की टेंशन में,
माँ-बाप ही, बिटिया की बोली खुद ही लगातें हैं,
खूब दहेज़ के रूप में सुख-साधन बढ़ाने की टेंशन में,
लोग अपनी ही बहु को जिन्दा जलातें हैं,
न जाने क्या-क्या पाने की टेंशन में,
लोग दुनिया जहान के अपराध कर रहे हैं,
आज ये टेंशन सर्वयापी हो गई है, लगता है ये आज का इश्वर बन गई है,
अरे इंसानों को तो छोडो, अब ये जानवरों को भी घर कर गई है,
तभी तो सोते-सोते कुत्ता भी सपने में, घुरराता है,
रास्ता गुजरता बिजार भी, बिन बात पीछे पड़ जाता है,
अरे भइय्या बन्दर भी, बिन बात के, घुडकने लगें हैं,
अब तो बादल भी बिन मौसम के, बरसने लगें हैं,
जहाँ सदा सूखा रहता था, खुंदक में आकर वहां बरस पड़ते हैं,
ग्रीन बैल्ट के क्षेत्र को, अब ये बहुत तरसाते हैं,
गर्मी में कभी बेहद ठण्ड, और ठण्ड में कभी गर्मी हो जाती है,
रेगिस्तान में बाड़, हरे में सूखा अक्सर पड़ जाता है,
कहीं पे भूकंप कहीं पे सूनामी खूब आते हैं,
लगता है भइय्या पंच तत्व भी, अब खूब टेंशन में रहने लगे हैं,
"श्री माँ" कहतीं हैं, अब तो बेटा, श्री महादेव" को भी हो गई है टेंशन,
रौद्र रूप धारण कर वो खड़े हो गए हैं,
बड़े गुस्से में आकर तांडव करने चले हैं,
मेरे प्यारे बच्चे हो तुम, जरा ध्यान तुम मेरी बात पर देना,
नित्य तुम ध्यान करोगे, सदा सहस्त्रार पर तुम मेरी अनुभूति करोगे,
सबकी कुण्डलिनीयां उठाने के मेरे कार्य में जब तुम लग जाओगे,
तब जाकर तुम सभी "श्री महादेव" की टेंशन कम कर पाओगे,
इतने प्रेम से बनाई मेरी सृष्टि को, तभी तुम बचा पाओगे,
तब जाकर बिन टेंशन के, मुक्त जीवन बिताओगे।
"जय श्री माता जी"
-----नारायण
इस कलियुग में तो भइय्या , अब इसका है बूम,
छोटी थी ये बहुत पहले, अब हो गई ये ज़ूम,
जो लोग टेंशन से घिर जातें हैं, वो सभी हो जातें हैं सूम,
डूबे रहतें हैं सदा न जाने किन-किन ख्यालों में,
शाम ढलते ही, मिटाते हैं अपने-अपने ग़मों को प्यालों में,
इसी की मेहरबानी से ही तो भइय्या, सरकार का रिवेन्यू भड गया है,
सबसे ज्यादा लाभ होता है, इसके व्यापार में,
इसका बहुत रुतबा है भइय्या, हर मुल्क की सरकार में,
हमारे निष्ठावान नेता गण भी, इसको भड़ाने में ही मदद करतें हैं,
खूब दंगे करा-करा कर लोगों को टेंशन प्रदान करतें हैं,
टेंशन जब भड जाती है भइय्या, क्षेत्र की पुलिस भी अटेंशन हो जाती है,
खूब डंडे चलती है पुलिस, टेंशन में आकर,
रास्ता जाम करती है पब्लिक, सड़कों पर जाकर,
इसी से प्रभावित होकर ही तो, घर बन जाता है, युद्ध का मैदान,
बच्चों को अच्छे स्कूल में पढाने की टेंशन में ही तो,
माँ-बाप उनके पैदा होने से भी पहले, स्कूल में रजिष्ट्रेशन कराते हैं,
अच्छे स्कूल में पढाने की टेंशन में, अफसर भी खूब रिश्वत खाते हैं,
अच्छे नंबर लाने की टेंशन में, बच्चे सुसाइड तक कर जाते है,
आगे जल्दी बढ़ने की टेंशन में, भाई- भाई दुश्मन हो जातें हैं,
अच्छे घर में शादी करने की टेंशन में,
माँ-बाप ही, बिटिया की बोली खुद ही लगातें हैं,
खूब दहेज़ के रूप में सुख-साधन बढ़ाने की टेंशन में,
लोग अपनी ही बहु को जिन्दा जलातें हैं,
न जाने क्या-क्या पाने की टेंशन में,
लोग दुनिया जहान के अपराध कर रहे हैं,
आज ये टेंशन सर्वयापी हो गई है, लगता है ये आज का इश्वर बन गई है,
अरे इंसानों को तो छोडो, अब ये जानवरों को भी घर कर गई है,
तभी तो सोते-सोते कुत्ता भी सपने में, घुरराता है,
रास्ता गुजरता बिजार भी, बिन बात पीछे पड़ जाता है,
अरे भइय्या बन्दर भी, बिन बात के, घुडकने लगें हैं,
अब तो बादल भी बिन मौसम के, बरसने लगें हैं,
जहाँ सदा सूखा रहता था, खुंदक में आकर वहां बरस पड़ते हैं,
ग्रीन बैल्ट के क्षेत्र को, अब ये बहुत तरसाते हैं,
गर्मी में कभी बेहद ठण्ड, और ठण्ड में कभी गर्मी हो जाती है,
रेगिस्तान में बाड़, हरे में सूखा अक्सर पड़ जाता है,
कहीं पे भूकंप कहीं पे सूनामी खूब आते हैं,
लगता है भइय्या पंच तत्व भी, अब खूब टेंशन में रहने लगे हैं,
"श्री माँ" कहतीं हैं, अब तो बेटा, श्री महादेव" को भी हो गई है टेंशन,
रौद्र रूप धारण कर वो खड़े हो गए हैं,
बड़े गुस्से में आकर तांडव करने चले हैं,
मेरे प्यारे बच्चे हो तुम, जरा ध्यान तुम मेरी बात पर देना,
नित्य तुम ध्यान करोगे, सदा सहस्त्रार पर तुम मेरी अनुभूति करोगे,
सबकी कुण्डलिनीयां उठाने के मेरे कार्य में जब तुम लग जाओगे,
तब जाकर तुम सभी "श्री महादेव" की टेंशन कम कर पाओगे,
इतने प्रेम से बनाई मेरी सृष्टि को, तभी तुम बचा पाओगे,
तब जाकर बिन टेंशन के, मुक्त जीवन बिताओगे।
"जय श्री माता जी"
-----नारायण
बहुत खूब कही भैया, आपने तो टेंशन की टेंशन निकाल डाली
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