"Impulses"
1)“We human can neither miss to commit mistakes nor we avoid
begging for pardon for our wrong doings because all such things are programmed
into our life by ‘Him’ to run “His” Great Show. But all of us have to play our
role with great Honesty and Sincerity."
("हम मानव न तो गलती करना छोड़ सकते हैं और न ही उन गलतियों के लिए क्षमा मांगने की प्रक्रिया की उपेक्षा ही कर सकते हैं क्योंकि'परमात्मा' ने स्वम् अपने इस संसार रुपी 'महान नाटक' को संचालित करने के लिए ये सारी चीजें हमारे इस जीवन में डालीं हैं। लेकिन हम सबको अपना अपना पात्र पूरी गंभीरता एवं ईमानदारी के साथ अदा करना हैं।"
2) “Being away from Negative people is just like keeping an
ideal distance from a Garbage Drum which stinks badly all the time, it is
useless to sprinkle even a full bottle of perfume on it to change its bad
fume.”
("नकारात्मक व्यक्तियों से एक निश्चित दूरी बनाये रखना ऐसे ही है जैसे एक कूड़े के ड्रम से अपने को दूर रखना क्योंकि वो हर समय बदबू फैलाता रहता है। ऐसे ड्रम पर सुगन्धित इत्र की पूरी की पूरी बोतल छिडकना भी बिलकुल व्यर्थ है क्योंकि उसकी बदबू फिर भी समाप्त नहीं होगी।")
3)“We have to pay for Each and Every Moment to the Mother
Nature for our stay on this planet in the form of Good Behaviour, Honesty,
Love, Compassion to every creation of “Almighty” as we pay to Hotels and
Restaurants for our accommodation and food otherwise we might be penalized by
the Nature.”
("हमें इस पृथ्वी पर बिताने वाले अपने हर एक पल की कीमत, 'परमात्मा' की इस रचना के हर एक प्राणी के साथ अपने अच्छे व्यवहार, ईमानदारी, प्रेम, वात्सल्य के रूप में "माँ प्रकृति" को अदा करनी चाहिए। जैसे कि हम किसी भी होटल में रहने या रेस्त्रां में खाना खाने पर पैसा चुकाते हैं, वरना हमें 'माँ प्रकृति' के द्वारा सजा मिल सकती है। ")
4)“Bearing of Pain hardly goes in vain,
“it makes us train to perceive joyous Divine Rain,
which makes us eligible to be fit into all kinds of frame,
to enjoy this precious life without any strain.”
“it makes us train to perceive joyous Divine Rain,
which makes us eligible to be fit into all kinds of frame,
to enjoy this precious life without any strain.”
("दुखों को अपने जीवन में धारण करना कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है,
ये हमें 'परमात्मा' के दिव्य 'प्रेम वर्षा' को ग्रहण करने का अभ्यास कराता है,जो हमें हर प्रकार के जीवन के उतार-चढाव रुपी 'फ्रेम' में सुशोभित होने योग्य बनता है,जिससे हम इस बहुमूल्य जीवन का आनंद बिना किसी परेशानी को महसूस कये उठा सकते हैं।" )
ये हमें 'परमात्मा' के दिव्य 'प्रेम वर्षा' को ग्रहण करने का अभ्यास कराता है,जो हमें हर प्रकार के जीवन के उतार-चढाव रुपी 'फ्रेम' में सुशोभित होने योग्य बनता है,जिससे हम इस बहुमूल्य जीवन का आनंद बिना किसी परेशानी को महसूस कये उठा सकते हैं।" )
--------------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"