"Impulses"
1)“Our Conditioned mind is the greatest enemy of the child who
resides into our Heart all the time, that’s why we must keep our mind into our
pocket while dealing with any Creation of “Almighty” especially with the best
creation like Human, for the growth and nourishment of this Child, so let our
Consciousness Enrich with It’s Smile and Happiness.
(हमारा स्वम् का, 'पूर्वा ग्रह से ग्रसित मन' ही, हमारे हृदय के भीतर में हर पल बसने वाले 'बच्चे' का शत्रु होता है। अत: जब भी कभी हम 'परमात्मा ' की किसी भी रचना से मुलाकात करें, खासतौर से परमात्मा की सुन्दरतम व् श्रेष्ठतम रचना यानी मानव से, तो हमें अपने उस 'ग्रसित मन'' को अपनी जेब में रख लेना चाहिए ताकि हमारे भीतर में रहने वाले उस 'सुन्दर से बच्चे का उचित लालन-पालन हो सके। तो क्यों न हम अपनी जाग्रति को उस बालक की मुस्कराहट व् प्रसन्नता से लाभान्वित करें।)
2) “We, Enlightening Soul usually need three things to lead a
harmonious Human life in this world which are, Sensibility, Sensitivity, and
Satisfaction.
Sensibility comes after going through some experiences of our
life and Sensitivity sprouts from our Spirit after realizing It into our own
being while Satisfaction generates after being interacted with ‘The Divine’
(हम सभी जागृती की प्रक्रिया से गुजरती हुई जीवात्माओं को शांति पूर्ण मानवीय जीवन को जीने के लिए मुख्य रूप से तीन चीजे चाहियें जो कि समझदारी, संवेदनशीलता व् संतुष्टि के रूप में हैं।
समझदारी जीवन के किन्ही अनुभवों से गुजरने के बाद ही प्राप्त होती है, संवेदनशीलता, अपनी आत्मा की अपने ही भीतर में अनुभूति करने पर स्वम् प्रस्फुटित होती है और संतुष्टि 'परमात्मा' से जुड़ने पर ही उत्पन्न हो सकती है।)
3) “The actual Wealth is the wealth of Satisfaction and Peace,
only then we will be counted among ‘Rich People’. Peace and Satisfaction hardly
depend on others, it is the out come of our contemplation and contentment
within after performing our own duties regarding Materialistic World and
Spiritual world with honesty, grace and dedication.”
(हमारी वास्तविक संपत्ति वास्तव में केवल संतुष्टि और शांति ही है, यदि हम इन्हे धारण कर पाएं केवल तभी ही हम अमीर व्यक्ति कहलाये जा सकते हैं। क्योंकि शांति व् संतुष्टि दूसरों पर निर्भर नहीं करती बल्कि ये तो हमारे गहन चिंतन का ही परिणाम है जो अपनी सांसारिक व् आध्यात्मिक जगत की जिम्मेदारियों को पूर्ण ईमानदारी, समर्पण व् शानदार तरीके से निर्वाह करने के बाद ही उत्पन्न होती है।")
4)"Our Being is just like a Car, the Outer Body of this
Car is our Gross Body, the inner Mechanism of this car is our Subtle Body, all
kinds of Parts of this car are our Inherent Deities, Our Consciousness is the
GPS of this Car, Our Attention works as Steering of this Car, Our Awareness is
the Rider of this Car, Our Spirit is the Driver of this Car, "Maa Adi
Shakti' is the workshop of this Car and "Almighty" is the owner of this Car Company.
So, just, hand over this Car to the 'Driver' and enjoy this
beautiful Ride of the journey of this life without being frightened of any
kinds of Accidents as well as without worrying about Its problems.
(हमारा मानवीय अस्तित्व एक कार की तरह है, इस कार का बाहरी आवरण हमारी स्थूल देह है, इस कार की भीतरी मशीनरी हमारा सूक्ष्म यंत्र है, इसके समस्त कल-पुर्जे हमारे भीतर में स्थित देवी-देवता हैं, हमारी जागृति इस कार का ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है, हमारा चित्त इस कार का स्टीयरिंग व्हील है,हमारी चेतना इस कार की सवारी है, हमारी आत्मा इस कार की ड्राइवर है, "माँ आदि शक्ति" इस कार की कार्य-शाला हैं, और "परमपिता" इस कार कम्पनी के मालिक हैं।
अत: इस कार को कार ड्राइवर के हवाले कर के इस सुन्दर जीवन यात्रा का आनंद उठायें व् किसी भी प्रकार की होने वाली दुर्घटना व् इस कार में हो सकने वाली खराबी की चिंता न करें। "
-------------------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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