"Impulses"
1) "Right and Wrong can not be assessed by our Mind on
the basis of previous conditioning and memory but it can be understood by our
Spirit only.
Whenever we do right thing then we feel internal happiness and
Zeal which would be sprouting from our Heart.
On the contrary if we do wrong things then we might feel Sadness
without any specific reason and our Heart would show suffocation before our
consciousness.
So it is always better to test the things before doing once at
the meter of our Heart."
( सही और गलत का निर्णय कभी भी मन के आधार पर नहीं लिया जा सकता क्योंकि हमारा मन पूर्व स्मृतियों व् पूर्व संस्कारों के आधार पर ही कार्य करता है लेकिन आत्मा के माध्यम से समझा जा सकता है।
जब भी हम कभी भी कोई अच्छा कार्य करते हैं तो हम अंदरूनी रूप से खुशहाली व् उत्साह महसूस करते हैं जो हमारे हृदय से प्रस्फुटित हो रहा होता है।
इसके विपरीत जब हम कोई भी गलत कार्य करते हैं तब हम अकारण ही अंदर से दुखी व् उदास हो जाते हैं और हमारा हृदय हमारी जागृति के समक्ष घुटन प्रगट करता है।
इसीलिए अपने जीवन में हर कार्य को किन्ही स्थितियों व् परिस्थितियों में करने से पूर्व हृदय के स्तर पर परख कर देख लेना चाहिए। "
जब भी हम कभी भी कोई अच्छा कार्य करते हैं तो हम अंदरूनी रूप से खुशहाली व् उत्साह महसूस करते हैं जो हमारे हृदय से प्रस्फुटित हो रहा होता है।
इसके विपरीत जब हम कोई भी गलत कार्य करते हैं तब हम अकारण ही अंदर से दुखी व् उदास हो जाते हैं और हमारा हृदय हमारी जागृति के समक्ष घुटन प्रगट करता है।
इसीलिए अपने जीवन में हर कार्य को किन्ही स्थितियों व् परिस्थितियों में करने से पूर्व हृदय के स्तर पर परख कर देख लेना चाहिए। "
2) “Our Soul is a Wanderer that’s why It stays into our Body
as we live in a
Tent temporarily on an Adventurous Trip, that’s why we should not stick with this Tent as well as its surrounding like relation,house,business,job,vehicle,money etc., it is just transitory affair.”
Tent temporarily on an Adventurous Trip, that’s why we should not stick with this Tent as well as its surrounding like relation,house,business,job,vehicle,money etc., it is just transitory affair.”
("हमारी जीवात्मा घुमक्कड़ की तरह व्यवहार करती है इसीलिए यह हमारे शरीर में कुछ ही समय के लिए निवास करती है जैसे हम किसी 'एडवेंचर ट्रिप' पर किसी टेंट में कुछ समय के लिए रूकते हैं। अतः हमें न तो अपने शरीर रूपी टेंट से मोह रखना चाहिए और न ही इसके चारों ओर के वातावरण यानि नाते-रिश्ते,मकान, दुकान, वाहन, रुपया-पैसा इत्यादि, क्योंकि यह सभी अस्थाई व्यवस्था है।"
3) "The difference between what we say and what we
actually do creates so much problems into our Subtle System by seizing the
vital flow of Energy which weakens our Heart and Weak Heart causes permanent
fear of losing some thing and such imaginary losses diminishes our faith and
self confidence which becomes liable to make us greedy and greed makes us
cunning and cunningness compels us to become liar and lies makes all our
deities annoyed and their annoyance often manifests in the form of Serious and
Life threatening Diseases."
-------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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