"Impulses"
1) "Why we feel bad, because of the comparison between
two segments of time and why we feel good it is again the evaluation between
past and present.
Because of the memory of our mind. If our files of memory could
be deleted then we would always feel happy.
In meditative mood we hardly get influenced with our past and
all such old files diminishes automatically but slowly with the maintenance of
the Flow of Divine Energy within our Being."
("हमें कुछ भी बुरा क्यों लगता है, क्योंकि हम अक्सर दो अलग अलग समय की घटित हुई घटनाओं की आपस तुलना करते हैं।
और हमें कुछ भी अच्छा क्यों लगता है, क्योंकि हम इस स्थिति में भी भूतकाल व् वर्तमान काल में बीती हुई स्थितियों की गड़ना करते हैं जो की हमारे मन में स्थित स्मृति कोष के कारण हो पता है।
यदि हमारे स्मृति कोष में स्थित स्मृतियों को हटा दिया जाए तो हम सदा प्रसन्न ही रहेंगे। ध्यान की अवस्था में हमारा भूतकाल हमें मुश्किल से ही प्रभावित कर पाता हैं क्योंकि ध्यान के दौरान भीतर में प्रवाहित होने वाली ऊर्जा की धाराएं इस प्रकार की स्मृतियों को अपने आप धीरे धीरे समाप्त करती चली जाती हैं।"
2)”All the information which are saved into our mind can not
become our knowledge when and until we realize them into our Being.
If we use them for the teaching of others then it feels like spending of borrowed money which hardly gives us satisfaction and joy within us as well as for others.
Actually our own experiences and feelings put the essence of Pure Energy because of the realization of inherent truth which has vibration in it which goes into other's internal system and ignites their Deities who expresses happiness which feels like Joy, Peace and Satisfaction."
("जितनी भी सूचनाएँ हमारे मन में संचित हैं वो तब तक हमारे ज्ञान में परिवर्तित नहीं हो सकती जबतक हम उन सभी को अपने भीतर में घटित होते हुए न महसूस कर पाएं।
यदि हम उन सभी सूचनाओं का इस्तेमाल बिना स्वम् अनुभव किये दूसरे लोगों को शिक्षा देने के लिए करेंगे तो ये ऐसा हमें ऐसा अनुभव होगा कि हम उधार लिया पैसा खर्च रहे हैं जिससे कभी भी हमें व् दूसरों को संतुष्टि व् आनंद प्राप्त नहीं हो सकता।
वास्तव में हमारे स्वम् के अनुभवों एवं अनुभूतियों में सत्य का पुट होने के कारण उसमे से पवित्र ऊर्जा का संचार होता है जो दूसरों के सूक्ष्म यंत्र में प्रवेश कर उनके भीतर में स्थित समस्त देवी-देवताओं को जागृत कर देती है और उन सभी देवी-देवताओं की प्रसन्नता उनके भीतर प्रस्फुटित होने वाले आनंद, शांति व् संतुष्टि के रूप में उन्हें महसूस होती है।"
----------------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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