"Impulses"
1) "इस संसार में हर मानव किसी न किसी कारण से दुखी व् पीड़ित है वो अक्सर ये सोचता है कि तेरे कष्ट औरों से ज्यादा हैं क्योंकि वो दूसरों के कष्टों के बारे में पूरी तरह से नहीं जानता। कभी कभी दुखी होकर मानव "भगवान्" से अपने कष्टों के दूर करने के लिए भी कहता है और इन्तजार करता रहता कि एक दिन ऐसा जरूर आएगा कि उसकी तकलीफें दूर हो जाएँगी।
वो परेशानी अक्सर समय पर दूर भी हो जाती है लेकिन कुछ ही दिनों में कोई दूसरी परेशानी उसे आ घेरती है और वो मानव अब उस परेशानी को दूर करने का यतन करना प्रारम्भ कर देता है ।दिन पर दिन निकलते जातें है और समय का चक्र आगे बढ़ता जाता है और इस उपपोह में मानव अपने जीवन के अंत तक पहुँच जाता है पर परेशानियों का अंत नहीं हो पाता।
वास्तव में मानव जीवन में अनंत परेशानियों को "प्रभु" ने जानबूझ कर डाला हुआ है ताकि मानव इस बाहरी जीवन में पूरी तरह लिपट कर "घर-वापसी" न भूल जाए।क्योंकि अन्ततः मानव परेशान होकर ध्यान के माध्यम से "परमपिता" से संपर्क बढ़ा कर इस संसार में दुबारा न आने का फैसला कर ही लेता है और आवा-गमन से मुक्त हो ही जाता है।"
2)"इस दुनिया में न कोई अपना होता है और न परया होता है बस जो भी आपके दिल की बात को एहसास करले वो बहुत अपना और जो बेदिली और बेकद्री दिखाए वो परया सा लगता है। और मजे की बात ये है कि ये हालात मौसम की तरह बदलते रहते है तो भला शिकायत किससे और किस किस की, की जाए।
"जब तक रिश्तों में आत्मिक प्रेम नहीं जाग पायेगा तब तक रिश्ते, रिसते ही रहेंगे और हर रिसन के साथ पीड़ा ही देंगे । और जब तक दिल की तलहटी में बैठे खुदा से दीदार न होगा तब तक ये नफ़्फ़सानि गिला शिकवा दूर न होगा और न ही इंसानी रिश्ता रूहानी में तब्दील ही होगा ।"
-----------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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