'समर्पण'
"हिंदी भाषा का शब्द 'समर्पण' वास्तव में दो शब्दों से मिलकर बना है, यदि हम इस शब्द की संधि विच्छेद करें तो यह, सम + अर्पण, यानि सम=एक समान और अर्पण=चढ़ाना यानि अर्पित कर देना।
इसका मतलब है कि:-
i) जब तक हमारी दोनों नाडियों, यानि 'इड़ा नाड़ी व् 'पिंगला नाडी' में दौड़ती ऊर्जा-धारा,
ii) हमारे दोनों, बाएं व् दायें अगन्या चक्रों की गति व्
iii) हमारी दोनों बाईं व् दाईं विशुद्धि में ऊर्जा का आवागमन ठंडक के रूप में दोनों हथेलियों में समान अवस्था में न महसूस हों तब तक हम "श्री माँ" को कुछ भी अर्पण करने योग्य नहीं होते।
इसीलिए सब लोग अक्सर कहते हैं, कि "माँ हम सबकुछ समर्पित करतें हैं", फिर भी समर्पण नहीं हो पाता।
जब हम एकाग्रचित्त ध्यान अवस्था में अपनी दोनों हथेलियों में ऊर्जा के दौरे को गोल गोल घूमता महसूस कर रहे होते हैं, तब ही हम वास्तविक संतुलित अवस्था होते हैं।
यानि हमारी चेतना हमारे चित्त के साथ 'सुषुम्ना' के ऊध्र्वगामी-ऊर्जा प्रवाह के साथ इसी मध्य नाडी पर गति कर रही होती है, जिसके परिणाम स्वरूप हमारी चेतना का संपर्क "माँ आदि शक्ति" से घटित हो रहा होता है।
इस जुड़ाव की दशा में ही "माँ आदि" हमारे समर्पण की सच्ची भावनाओं को स्वीकार कर हमें समर्पण का सामर्थ्य प्रदान करती हैं।
इस समर्पण की योग्यता का एहसास हमें, गहन ध्यान-अवस्था में, मध्य हृदय और सहस्त्रार में घटित होने वाले इक सुखद ऊर्जा-युक्त खिंचाव की अनुभूति के रूप में भी होता है।"
(Hindi word 'Samarpan' is made of two words, like 'Sam'+'Arpan',
which means 'Sam'=Equal, 'Arpan'=Surrender.
It means, when and until we feel:-
i) Some flow of 'Energy' in both our Left(Ida) and Right(Pingla) Nadies in Equal Intensity,
ii) Some movement of 'Energy' into our both the Left and Right
Agnya in equal frequency and
iii) Some going and coming 'Energy' into our both, Left and Right
Vishudhi with equal pressure either with Cool feelings into our both the palms.
We will not be eligible to surrender anything to "Shree
Maa" in spite of praying or reciting before "Her" ,"We
surrender everything to you "Shree Mata Ji", still then actual
surrender do not take place.
When we would be feeling 'Rotating Energy' right into our both
the palms during meditative state at a time, only then we use to be in balanced
state.
At this time our Awareness and our Attention use to be moving
into our 'Sushummna Nadi' along with 'Upwardly' Flow of Energy.
Then our Awareness establish connectivity with the 'Power of
Adi Shakti' and then "Shree Maa Adi Shakti" provides us our actual
Surrender after accepting our True Feelings through this connectivity.
We can acknowledge this feeling of the Eligiblity of Surrender
by realizing a 'Pleasent Pulling Sensation of Energy' into our Central Heart
and Sahastrara during Deep Meditative State."
-------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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