"दीपक"
"श्री माँ" अक्सर प्रसन्न होकर हम सभी से कहती हैं, "तुम सब प्रकाशित दीपक की तरह हो"।
हम सब बहुत खुश होते है, कि हम "श्री माँ" के दीपक हैं।
साथियों क्या आप सब दीपक को समझते हैं ?
जरा हमारी नजर से भी दीपक को देखियेगा।
दीपक पांच चीजों से मिलकर बनता है, यानि:-
1) मिटटी, दीपक मिटटी का बना होता है, वह हमारा शरीर है,।
2) तेल, उसमें पड़ा हुआ तेल है हमारी आयु।
3) बाती, वो है हमारा अस्तित्व।
जिसको कई जन्मो से हमने बड़े चाव से पाल पोस कर बड़ा किया है।
4) अग्नि की लौ, है हमारा आत्म-ज्ञान।
5) प्रकाश, है निस्वार्थ प्रेम।
सोच लीजिये, इसी अस्तित्व को जलना है।
यदि हम अपने बाती रूपी अस्तित्व को स्वेच्छा से आत्मज्ञान की अग्नि में मिटाने को तैयार होंगे।
तभी प्रकाश रूपी प्रेम सारे संसार को आलोकित करेगा। यानि हम वास्तविक रूप में "श्री माँ" के दीपक बन पाएंगे।"
------------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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