"क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं ?"
1.क्या हमारे देश के समस्त नागरिक दूषित 'विचारधाराओं' के अंधानुकरण व इनकी गुलामी से मुक्त है ?
2.क्या हममे से अधिकतर नागरिक धार्मिक कट्टरता, जात-पात, ऊंच-नीच, भेदभाव, सवर्ण-दलित, अमीरी-गरीबी, आदि के भावों से मुक्त हैं,
3.क्या हमारे देश के राजनीतिज्ञ, सत्ता भोगने की भूख, अकूत धन सपत्ति एकत्रित करने की चाह, व तानाशाही की प्रवृति से मुक्त हैं,
4.क्या हमारे देश के सभी नागरिक भूख, बेरोजगारी, वास्तविक गरीबी व अति आवश्यक संसाधनों की आवश्यकता से मुक्त हैं,
5.क्या हममे से सभी घृणा, ईर्ष्या, वैमनस्य, द्वेष, स्वार्थ, लालच, हिंसा, शत्रुता, षडयंत्रो आदि की भावनाओं से मुक्त हैं,
यदि नही, तो आखिर हम ये कौनसा 'स्वतंत्रता पर्व' मना रहे है ?
शायद अति महत्वपूर्ण मानवीय मूल्यों का निरंतर ह्रास,
दुर्लभ मानवीय जीवन का अवमूल्यन,
मानवीय संवेदनाओं की भारी क्षति,
व नियमो व कानून की आड़ में मानवता का गला घोंटने के लिए ही प्राप्त अधिकारों के दुरुपयोग की स्वतंत्रता का ही जश्न मना रहे हैं।
दुर्लभ मानवीय जीवन का अवमूल्यन,
मानवीय संवेदनाओं की भारी क्षति,
व नियमो व कानून की आड़ में मानवता का गला घोंटने के लिए ही प्राप्त अधिकारों के दुरुपयोग की स्वतंत्रता का ही जश्न मना रहे हैं।
क्या हमारे देश की ऐसी वर्तमान स्थिति के लिए ही हमारे रणबाकुरों ने हमारे देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की सहर्ष आहुति दी थी ?
---------------------------------------Narayan😡
'जय हिंद'
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