"वादा"
"चिरागों में रोशनी तभी तक ही महफूज रहेगी,
जब तक बेपनाह मोहब्बत की इस कायनात में रवायत रहेगी,
"दिल से दिल को राह होती रहेगी,
बेशकीमती जिन्दगी इसी तरह नुमायदार होती रहेगी है,
गर रूह "उसकी" मुहब्बत में डूब जाएगी,
तो काँटो में भी खुशनुमा सी इक राह बनी रहेगी,"
गर्दिश में सितारे भले ही रहते रहे हों,
पर सितारों का जलसा बादस्तूर जारी रहेगा,
इस 'रूह' की शमा यू हीं जलती रहेगी,
क्योंकि अंधेरों को हटाने की 'उसने' अब ठानी है।"
"जब तक मानव "ईश्वर" से तकनीकी(Connectivity=Vastvik Yog) रूप से जुड़ नहीं पाता तब तक वह सदा किसी न किसी प्रकार की सोचों के भ्रम में भ्रमित ही रहता है।
क्योंकि बिना 'जुड़े' मानव की चेतना अपने मन के 'पूर्व-संस्कारों' से घिरा होने के कारण कभी भी इतनी उन्नत हो ही नहीं पाती कि वह सही व गलत का फैंसला कर सके।
इसी कारण वह जो भी सोचता है, वह अपने मन की पूर्व सूचनाओं व उन सूचनाओं पर आधारित आंकलन के आधार पर ही सोचता है जिसका 'वास्तविक सत्य' से कोई लेना-देना नहीं होता।"
------------------------------------------------Narayan
."Jai
Shree Mata Ji"
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