"माँ का प्रिय बालक : दुःख"
जब मैं हुआ बहुत दुखी,
सोचा कब होऊंगा सुखी ?
'माँ' ने थामा मेरा हाथ,
और प्यार से बोलीं,
जैसे तू है मेरा बालक,
वैसे ही हैं सुख और दुःख,
मेरे बच्चों कों अपना कर,
पाले विश्व के सारे सुख,
दुःख कों तू कभी न कोसना,
बड़े नसीब से मिलता है,
सुख तो लोग खरीद सकतें हैं,
दुःख ही प्रेम संग मिलता है,
जैसे प्यार बिकाऊ नही है,
वैसे ही कुछ दुःख भी है,
ख़ुशी-ख़ुशी अपना लो इसको ,
प्रेम साथ में मुफ्त भी है,
दुखी भी हो तो, रोना कभी मत,
गुस्सा चाहे करो कभी,
ना आयें आँखों में आंसू,
क्योंकि वे इतने सस्ते भी नहीं।
------------मिताली नारायण
"जय श्री माता जी"
सोचा कब होऊंगा सुखी ?
'माँ' ने थामा मेरा हाथ,
और प्यार से बोलीं,
जैसे तू है मेरा बालक,
वैसे ही हैं सुख और दुःख,
मेरे बच्चों कों अपना कर,
पाले विश्व के सारे सुख,
दुःख कों तू कभी न कोसना,
बड़े नसीब से मिलता है,
सुख तो लोग खरीद सकतें हैं,
दुःख ही प्रेम संग मिलता है,
जैसे प्यार बिकाऊ नही है,
वैसे ही कुछ दुःख भी है,
ख़ुशी-ख़ुशी अपना लो इसको ,
प्रेम साथ में मुफ्त भी है,
दुखी भी हो तो, रोना कभी मत,
गुस्सा चाहे करो कभी,
ना आयें आँखों में आंसू,
क्योंकि वे इतने सस्ते भी नहीं।
------------मिताली नारायण
"जय श्री माता जी"
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