"Impulses"
1) “Our Gross Body and our Meditation both are the actual
companion to complete this difficult Journey of our Life, both of them have to
keep equal pace together.
If one is either fast or slow then the equilibrium will get
disturbed either by our poor Health or by our Negative Mental Disposition.
So, for both the things we are responsible and we have to take
care of ourself because ‘God’ hardly help us Directly.”
("हमारी स्थूल देह और हमारा ध्यान इस जीवन की कठिन यात्रा पूरा करने के लिए वास्तव में एक दूसरे के वास्तविक व् सच्चे साथी हैं, दोनों को इस सफर में एक साथ एक ही गति से चलना है।
यदि इनमे से कोई एक चलें में ज्यादा तेज होगा या धीमे होगा तो संतुलन बिगड़ जाएगा चाहे ये संतुलन हमारे खराब स्वास्थ्य के कारण बिगड़े हमारी नकारात्मक मानसिक स्थिति के कारन बिगड़े।
इसी लिए हम दोनों ही चीजों के लिए जिम्मेदार हैं और हमें अपने मन व् अपने स्वास्थ्य का पूर्णतया ध्यान रखना चाहिए क्योंकि 'परमात्मा' हमारी सीधे सीधे मदद नहीं करतें हैं।")
2)“We often use the ‘Hindi’ word “Santulan” (Balance) for proper
growth in meditation to maintain the ‘Equilibrium’ in our Materialistic and
Spiritual Life
.
This word ‘Santulan’ is made of two words, Sant+Tulan,
Sant=Saint, Tulan=Equivalent, means, the person who is in proper balance is
just like Saint,
Or to become Saint we have to maintain proper Balance and to
maintain balance we have to keep on realizing “Him” into our Heart all the
time.
and to feel "Him" into our being we have to maintain
the feeling of Energy at our Sahastrara and into our Central Heart all the
time. Because our Sahastrara looks after our Spiritual Growth while our Central
Heart takes care of our Materialistic Life”
("हम लोग अक्सर 'संतुलन' शब्द का प्रयोग करते रहते हैं जो ध्यान में ठीक प्रकार से उन्नत होने के लिए हमारे भौतिक व् आध्यात्मिक जीवन में उचित संतुलित रखने को दर्शाता है।
यह शब्द 'संतुलन' दो शब्दों से मिलकर बना है, संत + तुलन, संत = प्रभु को समर्पित, तुलन= तुलनीय, यानि जो व्यक्ति संतुलित है वो एक संत के समान है।
या संत बनने के लिए हमें अपने दोनों प्रकार के जीवनो में एक संतुलन बना कर चलना होगा और संतुलन बनाये रखने के लिए हमें "परमात्मा" को अपने ह्रदय के भीतर रहना होगा।
--------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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