"Impulses"
1)”After merging of this Gross Body into five Elements again
our soul carries Mind and Awareness for the next Life Cycle either to Gross
Body or to Subtle Body. So we have got golden Chance in this present life to
develop our Awareness by solving all the queries and suppressed instincts of
our mind so that our mind would not create any kind of regret and repent before
our soul which might be troublesome and torturing for It.
But we should do something like good that our all the senses
could give a cheerful Farewell to our soul. For this, our Spirit is there to
give Its services to guide us every moments, we are supposed to interact with
it for such communication through ‘Deep Meditation.
("हमारी स्थूल देह के पाँचों तत्वों में विलीन होने के बाद हमारी जीवात्मा हमारे मन व् चेतना को अगले जीवन चक्र की ओर ले जाती है चाहे हमारा अगला जीवन स्थूल देह के रूप में हो या सूक्ष्म रूप में। इसीलिए हमारे पास हमारे वर्तमान जीवन में हमारे लिए एक सुनहरी मौका है जिसके माध्यम से हम अपनी चेतन को विकसित करके अपने मन के सभी प्रश्न व् दमित व्रतियों को हल कर सकते हैं ताकि हमारा मन हमारी जीवात्मा के सामने कसी भी प्रकार का पछतावा न उत्पन्न करे जो हमारी जीवात्मा के लिए बेहद पीड़ा दायक व् परेशानी उत्पन्न करने वाला होगा।
लेकिन हमें कुछ ऐसा अच्छा करना होगा की उस घडी में हमारी समस्त ज्ञानेन्द्रियाँ हमारी जीवात्मा को हर्षित विदाई दे सकें। इस कार्य के लिए हमारी आत्मा हमको हर पल मार्गदर्शन देने के लिए उपस्थित है, हमको अपनी आत्मा के साथ गहरे ध्यान के माध्यम से सदैव संपर्क बनाये रखना चाहिए।")
2) ”Some times we can see the Destination but we have to find
its way towards the same destination. So we should move towards our target with
Eagerness like a Thirsty, Patience like a Hunter, Strength like a Lion, Balance
like an Eagle and Big Heart like an Entrepreneur to tolerate little losses to
gain big Profit, only then we can get success by hitting our actual Goal.”
("कभी कभी हम अपनी मंजिल को देख पाते है लेकिन हमें वहां तक पहुँचने के लिए रास्ता ढूंढना पड़ता है। इसीलिए हमको अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए जैसे एक प्यासा पानी की ओर तीव्र गति से बढ़ता है,जैसे कि एक शिकारी अपने शिकार को प्राप्त धैर्य धारण करता है, जैसे शेर अपने भीतर की शक्ति से लबरेज रहता है, जैसे एक गरुण उड़ते हुए संतुलन बनाये रखता है और जैसे एक उद्दमी बड़े लाभों के लिए छोटी छोटी हानियों को सहने के लिए बड़ा दिल रखता है, केवल इन्ही स्थितियों को धारण करने पर ही हम अपने लक्ष्य को भेद सकते हैं।"
---------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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