"Impulses"
1) "Our Being is just like a Car, the Outer Body of this
Car is our Gross Body, the inner Mechanism of this car is our Subtle Body, all
kinds of Parts of this car are our Inherent Deities, Our Consciousness is the
GPS of this Car, Our Attention works as Steering of this Car, Our Awareness is
the Rider of this Car, Our Spirit is the Driver of this Car, "Maa Adi
Shakti' is the workshop of this Car and "Almighty" is the owner of this Car Company.
So, just, hand over this Car to the 'Driver' and enjoy this
beautiful Ride by enjoying the journey of this life without being frightened of
any kinds of Accidents as well as without worrying about it's problems.
(हमारा मानवीय अस्तित्व एक कार की तरह है, इस कार का बाहरी आवरण हमारी स्थूल देह है, इस कार की भीतरी मशीनरी हमारा सूक्ष्म यंत्र है, इसके समस्त कल-पुर्जे हमारे भीतर में स्थित देवी-देवता हैं, हमारी जागृति इस कार का ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है, हमारा चित्त इस कार का स्टीयरिंग व्हील है,हमारी चेतना इस कार की सवारी है, हमारी आत्मा इस कार की ड्राइवर है, "माँ आदि शक्ति" इस कार की कार्य-शाला हैं, और "परमपिता" इस कार कम्पनी के मालिक हैं।
अत: इस कार को कार ड्राइवर के हवाले कर के इस सुन्दर जीवन यात्रा का आनंद उठायें व् किसी भी प्रकार की होने वाली दुर्घटना व् इस कार में हो सकने वाली खराबी की चिंता न करें।")
2) "Human Emotions
are just like Gas which is produced by friction between Actual Needs and
Existing Desires, such kind of emotions always try to seek an out let in the
form of a Genuine Loving and Compassionate person who can absorb and appreciate
all such feelings with great care and understanding."
("मानव की मानसिक भावनाएं गैस की तरह होती है जो मनुष्य की वास्तविक आवश्यकताओं व् वर्तमान इच्छाओं के बीच होने वाले घर्षण से उत्पन्न होती है। इस प्रकार की भावनाएं सदा एक वास्तविक वात्सल्य से युक्त मानव रुपी यंत्र को तलाशती रहतीं हैं जो दूसरे मानव की समस्त प्रकार की अनुभूतियों व् भावनाओं को अपने भीतर शोषित कर सके व् बहुत समझदारी व जिम्मेदारी के साथ उनका सम्मान कर सके।")
3) "God is available
all the time at every place, we are not supposed to think about Temples,
Special Places, System, Procedure of Worship, Enchanting of Mantras and
Preparation for Connectivity, just remember 'Him' with our True Heart and
'Inhale' "His Power" through our Crown(Sahastrara) of our Head,
within few seconds 'He' would be at your 'Door' (Sahastrara) and then into your
Lobby (Heart) after a warm welcome by your
Consciousness"
("परमात्मा"
हर समय हर स्थान पर उप्लब्ध होते हैं इसीलिए हमें सदा मंदिरों , विशिष्ट स्थानों, विधि,पूजा के तौर तरीके, मंत्रो-चारण व् ,परम के साथ जुड़ने की तैयारी के बारे में नहीं सोचना चाहिए। जरा
"परमात्मा"
को से स्मरण करें और उनकी शक्तियों को सहस्त्रार के माध्यम से ग्रहण करें। कुछ ही क्षणों में
"वो"
आपकी चेतना के द्वारा स्वागत करने के उपरान्त आपके सहस्त्रार रूपी द्धार पर उपस्थित हो जायेंगे और उसके बाद आपकी हृदय रूपी लॉबी में प्रवेश कर जायेंगे।"
--------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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