"Impulses"
1)"What we seek within.....? Perhaps......Peace and Satisfaction which gives Strength and Joy to our Soul, but............., very often we do what gives more suffering and pain to our Soul out of the dominance of our mind which works on the basis of Action & Reaction.
What we keep into its memory it reacts only on it and what we
remember.........which has been past............... So how can a past becomes
our present............
As we can not eat the same bread which we had eaten earlier. So just think
about.......this is the only reason of our pain and anguish........just
contemplate and enjoy your present life."
(" हम अपने जीवन में क्या ढूँढ़ते हैं........? शायद.......शांति और संतुष्टि जो हमारी जीवात्मा को शक्ति व् सामर्थ्य प्रदान करते हैं,लेकिन .......अक्सर जो भी हम करते हैं वो हमारी जीवात्मा को और भी ज्यादा पीड़ा व् तड़पन देता है क्योंकि वो कार्य हमारे मन के अधीन होता है और मन क्रिया व् प्रतिक्रिया के आधार पर कार्य करता है।
जो भी हम मन की स्मृति के भीतर संचित करते हैं ये उसी संचित स्मृति पर अपनी प्रतिक्रिया करता है और जो भी हम याद करते हैं वो भूत काल ही होता है .........इसीलिए भूतकाल भला वर्तमान कैसे हो सकता है ..........जैसे हम यदि किसी भी रोटी को पहले खा चुके हों तो हम उसे दुबारा नहीं खा सकते। तो जरा सोचिये ........यही हमारी पीड़ा व् दुःख का कारण है ..........अतः थोड़ा चिंतन कीजिये और अपने वर्तमान का आनंद उठाइये।")
जो भी हम मन की स्मृति के भीतर संचित करते हैं ये उसी संचित स्मृति पर अपनी प्रतिक्रिया करता है और जो भी हम याद करते हैं वो भूत काल ही होता है .........इसीलिए भूतकाल भला वर्तमान कैसे हो सकता है ..........जैसे हम यदि किसी भी रोटी को पहले खा चुके हों तो हम उसे दुबारा नहीं खा सकते। तो जरा सोचिये ........यही हमारी पीड़ा व् दुःख का कारण है ..........अतः थोड़ा चिंतन कीजिये और अपने वर्तमान का आनंद उठाइये।")
2) “Enlightenment, not only provides us the capacity to see or
observe the right things in right manner around us but also it teaches us how
to put others in this process of their own Enlightenment.
It is an Endless Chain Reaction which is capable to spread the Light everywhere as a ‘Prism’ channelizes the rays of Sun, so an Enlightened Person becomes the ‘Prism of Divinity’.”
It is an Endless Chain Reaction which is capable to spread the Light everywhere as a ‘Prism’ channelizes the rays of Sun, so an Enlightened Person becomes the ‘Prism of Divinity’.”
("प्रकाशित होना न केवल हमें सही चीज को सही तरीके से देख पाने व् ग्रहण करने के की क्षमता को उपलब्ध कराता है बल्कि यह हमें दूसरों को भी प्रकाशित होने की प्रक्रिया में ले जाने का तरीका भी सिखाता है।
यह एक अन्त रहित प्रतिक्रिया है जो सारे संसार में 'ज्ञान के प्रकाश' को फैलाने में सक्षम है जैसे की "प्रिज्म " सूर्य के प्रकाश की किरणों को अनेको किरणों में परिवर्तित कर आगे बढ़ा देता है, इसी प्रकार से एक प्रकाशित मानव भी "दिव्यता का प्रिज्म" बन कर समस्त मानव जाति को लाभान्वित करता है।"
यह एक अन्त रहित प्रतिक्रिया है जो सारे संसार में 'ज्ञान के प्रकाश' को फैलाने में सक्षम है जैसे की "प्रिज्म " सूर्य के प्रकाश की किरणों को अनेको किरणों में परिवर्तित कर आगे बढ़ा देता है, इसी प्रकार से एक प्रकाशित मानव भी "दिव्यता का प्रिज्म" बन कर समस्त मानव जाति को लाभान्वित करता है।"
3) "There is no future in this world actually, it is just
nothing but an assume-nary term which hardly gives us mental satisfaction on
the basis of the calculation of previous data because what ever we think today
for next day, hardly happens as per our thinking, it is evident in our day to
day life. Only our Present is Truth which is happening around us every moment
in our life. So it is far and far better to relish
our present rather than worrying for Future."
("इस संसार में भविष्य नाम की कोई चीज नहीं है, यह कुछ भी नहीं है बस केवल एक मान्यता है जो हमें ठीक प्रकार से मानसिक संतुष्टि भी प्रदान नहीं कर पाती है और जो की मात्र हमारे मन के भीतर संचित गुजरे हुए पलों की गड़ना के ऊपर ही आधारित होती है।
क्योंकि जो भी हम आने वाले दिन के बारे में आज सोचते हैं वो हमारी सोचों के मुताबिक अक्सर घटित ही नहीं होता। यह हम सभी के दैनिक जीवन में परिलक्षित होता रहता है। केवल वर्तमान ही सत्य है जो हमारे जीवन के इर्द-गिर्द हर पल घटित हो रहा है। इसीलिए भविष्य की चिंता करने से ज्यादा अच्छा है की हम आने वर्तमान का भरपूर आनंद उठायें।"
-----------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
No comments:
Post a Comment