"परेशानी"
"परेशानी का वास्तविक मतलब:--
ये शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है,
यानि ,परे+शा+नी,
परे=पार ब्रह्म,
शा=शरण से आना,
नी=नीर=ऊर्जा रूपी धारा="माँ आदि शक्ति" की शक्ति,
'जो 'धारा' के रूप में इस धरा पर जीवात्माओं का कल्याण करने के लिए अवतरित हुई हैं।
यानि 'पार ब्रहम्' की शरण से आने वाला नीर(अमृत)।
जो हम सभी के सहस्त्रार पर आभासित होती हैं।
यानि जब मानव के जीवन में अत्यधिक परेशानी बढ़ जाती है।
तभी यह 'दिव्य धारा' मानव को प्रेम प्रदान कर संतुलित करने के लिए 'ईश्वर' की ओर ले जाती है।तो फिर कैसी परेशानी ?
"
------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata JI"
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