"जागृत मानव के पांच कर्तव्य"
"जागृत चेतनाओं के प्रार्थमिक्ताओं
के आधार पर 5 मुख्य कर्तव्य बनते हैं।:-
प्रथम, "परमात्मा"
की सर्वोत्तम रचना यानि अपने शरीर रूपी मंदिर को पुष्ट रखने के लिए।
दूसरा इस मंदिर के 'गर्भ-गृह' यानि 'हृदए' को ध्यान, मनन व् चिंतन के द्वारा स्वच्छ रखने के लिए क्योंकि हमारे 'ईश्वर' यहीं निवास करते हैं।
तीसरा, "परमपिता' के द्वारा प्रदान किये गए परिवार के सदस्यों की उचित देखभाल व् उनके आंतरिक कल्याण के लिए।
चौथा, "परमात्मा" के प्रेम व् सन्देश को सारी मॉनव-जाति तक पहुंचने के लिए।
पांचवा, जो 'सत्य' के मार्ग पर अग्रसर होना चाहते हैं उनकी यथा संभव मदद करने के लिए।"
----------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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