"Impulses"
1)"इस जिंदगी का रुख भी बहुत अजीब है, ये अक्सर जीत में हार और हार में जीत का एहसास दिला जाती है । जब कभी अपने मन के मुताबिक जीत मिल भी जाती है तो अपने करीबियों को खोने का गम सताता है।
और जब अपने दिल के करीब लोगों से और करीब हो जाते हैं तो हार और भी ज्यादा तकलीफ देती है । जब तक कि अपने दिल में खुद के 'अक्स' से रूबरू न होंगे तब तक ये हार-जीत का सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा ।"
2)"If
we become capable to let others feel "God" into their own 'Being'
only then, we can say we are following Purity."
3)"We all are 'Unique',
nobody is like anybody, it is just like the Different Leaves of of the Same
Tree which hardly matches with Each Others.
That's why we must respect our
'Uniqueness' with Gratitude. It will be a Respect for the Best
Creation of "God".
If, by mistake, we are trying to
become like others out of some Undue Influence. It means we are condemning
"His" Creativity which makes this Universe
Beautiful."
4)"अव्यक्त" का भीतर में 'व्यक्त' होने का आभास ध्यान का प्रारम्भ है। भजन, वाणी के माध्यम से "उनके" अपने अंतस में आभासित होने के लिए एक पुकार है। व् सुमिरन उस पुकार की 'मौन' में अभिव्यक्ति है ।"
------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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