"Impulses"
1)“Flowing knowledge is as essential as flowing water of
river, otherwise when it gets stagnated then it start stinking and it pollutes
the atmosphere , so same thing happens when some one acknowledges his/her
knowledge with his/her being then the bad fume of Ego start releasing from
his/her mind and other people feel suffocated around such a person.
("बहता हुआ ज्ञान उतना ही जरूरी है जितना की बहता हुआ जल, वर्ना जब यह जल बहना रुक जाता है तो यह एक ही जगह एकत्रित होकर सड़ने लगता है और बदबू फैलाने लगताहै जिससे सारा वातावरण प्रदूषित जाता है।
ठीक इसी प्रकार से यदि कोई अपने ज्ञान को स्वयं महसूस करने लगता है तो अहंकार रुपी दुर्गन्ध उसके 'मन' से प्रसारित होने लगती है और बाकी दूसरे लोग जो उसके चारों ओर रहते हैं, उनको घुटन महसूस होने लगती है। "
2) “Fear is the outcome of calculation and analyses on the
basis of old data of our mind which was saved into our mind. Past occurrences n
happenings and the same things in the same manner can never happen in our life
again. So it is useless to be frightened of our own thinking.”
("हमारा भय, हमारे मन में स्थित पूर्व स्मृतियों के आधार पर किये गए विश्लेषण व् जोड़-घटा का ही परिणाम है जो कि हमारे मन के कोष में संचित हैं।
पुराने घटना-क्रम व् घटनाएं और वही समस्त चीजें ठीक उसी क्रम व तौर-तरीके से दुबारा हमारे जीवन में कभी भी घटित नहीं हो सकतीं हैं। इसीलिए अपने स्वम् के सोच विचार के कारण सदा डरे हुए रहना व्यर्थ है। ")
3) "Dharam and Karma, both are very much compatible to
each other like the outer body and machinery of the car which is being used for
carrying people to their destination.
so same with Dharma, if we follow it with our true heart and It
inspires to do good Karmas, vice versa if we do good Karmas then it fulfils all
the parameters of Dharma to maintain the Dynamism of this Creation."
("धर्म और कर्म दोनों एक दूसरे के पूरक हैं जैसे कि एक कार के बाहरी ढांचे व् इसके भीतर इसकी मशीनरी में पूरकता होती है और कार का इस्तेमाल लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए किया जाता है।
ठीक इसी प्रकार से यदि हम अपने धर्म का पालन पूर्ण हृदय से करते हैं तो यह हमें अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है और यदि हम अच्छे कर्म करते हैं तो यह धर्म पालन के सभी मानकों पूर्ण कर इस रचना की गति शीलता को बनाये रखता है।
")
-----------------------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
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