"पांच प्रकार के कष्ट"
"किसी भी मनुष्य के जीवन में पांच प्रकार के कष्ट ही वास्तविक कष्टों की श्रेणी में आते हैं :-
1.किसी भी रोग/चोट अथवा विकृति के कारण स्वयं के व परिवार के सदस्यों के शरीर के अंगों का ठीक प्रकार से काम न करना/खराब हो जाना।
2.स्वयं के व परिवार के सदस्यों के लिए पर्याप्त भोजन का उपलब्ध न होना।
3.ऋतुओं के अनुसार स्वयं के व परिवार के सदस्यों के लिए तन ढकने के लिए आवश्यक वस्त्रों का न होना।
4.स्वयं के व परिवार के सदस्यों के सर छुपाने के लिए उचित छत का न होना।
5.यदि सन्तान है तो उसकी उचित शिक्षा/लालन-पालन के लिए आवश्यक धन का उपलब्ध न होना।
इनके अतिरिक्त जितने भी कष्ट मानव को अनुभव होते हैं वे सभी मानसिक स्तर के कष्ट हैं जिनका आधार तूलना/प्रतिस्पर्धा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
यदि किसी मानव के हृदय में समाधान रूपी पुष्प खिल चुका है तो ये मन-जनित कष्ट कभी अनुभव ही नहीं होंगे और इन 5 प्रकार के कष्टों का कष्ट भी विचलित नहीं करेगा।
इसके विपरीत यदि उपरोक्त कष्ट किसी के जीवन में नहीं हैं तो वह अत्यंत भाग्यशाली है,उसे हर पल सर नवाते हुए 'परमेश्वर' के प्रति सदा कृतज्ञता महसूस करते रहना चाहिए।"
---------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
18-11-2020
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