"मृत्युपरांत शोक दिवंगत जीवात्मा को कष्ट देता है"
"किसी भी प्रियजन की किसी भी कारण से हुई मृत्यु के बाद लम्बे काल तक दुःख कभी भी नहीं मनाना चाहिए।
ऐसा करने से दिवंगत की 'जीवात्मा' को अत्यंत कष्ट होता है, वह दुखी होने वाले/दुख मनाने वाले के प्रति मोहग्रस्त होकर अगला जन्म तक नही ले पाती और यहां वँहा भटकती फिरती है।
और अक्सर दुष्ट/लोभी तांत्रिकों के चंगुल में फंस कर "परमात्मा", 'प्रकृति' व मानवता विरोधी कार्य तक करने के लिए मजबूर हो जाती है जिसके कारण उसकी 'मुक्ति' होनी मुश्किल हो जाती है।
यदि हम किसी भी दिवंगत 'जीवात्मा' के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो उसको/उसके हित की चिंता को "ईश्वर" के "चरण कमलों" में सच्चे हृदय से समर्पित कर दें।
ताकि "परमपिता" हमारे मोह के कारण उत्पन्न होने वाली अड़चनों के बिना 'अपनी' देख रेख में उस जीवात्मा का कल्याण कर सकें।
हाँ, उसकी स्मृति में कुछ निस्वार्थ कल्याणकारी कार्य किये जा सकते हैं जिनके द्वारा सुप्त/निराश्रितों/भूखो/जरूरत मंदों को लाभ मिल सके।"
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"Jai Shree Mata Ji"
20-11-2020
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