This Blog is dedicated to the "Lotus Feet" of Her Holiness Shree Mata Ji Shree Nirmala Devi who incepted and activated "Sahaj Yoga", an entrance to the "Kingdom of God" since 5th May 1970
Wednesday, March 30, 2022
Sahaj Yoga(Video)-Z M-1, 'Workshop on Attention' on Zoom Cloud 15-04-2020
Tuesday, March 29, 2022
"Impulses"--587--"सद् भाव ही ईश्वर को प्रिय "
"सद् भाव ही ईश्वर को प्रिय "
"यदि हमारा मन, चित्त, चेतना,भाव व विचार सत्य के समर्थन व सहयोग में नहीं हैं।
या हम अपनी किसी भी कुंठा या हीन भावना के कारण गुपचुप तरीके से किसी सच्चे व्यक्ति को नीचा दिखाने की सोच भी रहे होते हैं।
*तो हमारी यह अन्तः स्थिति "ईश्वरीय विधान" के अनुसार निकृष्ट कर्मों की श्रेणी में आएगी। और इसी के मुताबिक ही हमें अपने कर्मफल भोगने ही होंगे।*
*क्योंकि "परमात्मा" तो हमारे हृदय के भीतर विद्यमान हैं जिनसे" हम अपनी मनोदशा व मनोभाव कभी भी छुपा नहीं सकते।*
फिर भले ही हम बाहरी रूप से कितने ही धार्मिक व कल्याणकारी कार्य ही क्यों न करते रहते हों।
*इसीलिए मन, वचन, कर्म व भाव में अंतर रखने वाले ऐसे व्यक्तियों के जीवन में अचानक बहुत सी तकलीफे व विपरीत स्थितयां आ धमकती हैं।*
और हमनें से अनेको लोग यह अक्सर कह उठते हैं कि,'अरे यह तो बहुत भले, नेक व धार्मिक इंसान थे फिर भी इतनी परेशानी में क्यों फंस गए।"
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"Jai Shree Mata Ji"
09-12-2020
Monday, March 28, 2022
Sahaj Yoga(Video)-Part-34, '8th Workshop on Attention', Varanasi, U.P 05-01-2020
Saturday, March 26, 2022
"Impulses"-586-किसान हमारे देश की रीढ़
किसान हमारे देश की रीढ़
"हमारे देश के किसान हमारे देश की रीढ़ की हड्डी हैं,यदि यह हड्डी टूट कर बिखर गई तो देश को पूरी तरह बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता।
हमारे देश की 70% आबादी कृषि से जुड़ी हुई है जिस पर हमारे देश की सारी की सारी अर्थव्यवस्था
टिकी हुई है।
*जो भी लोग किसानों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं व उनके आंदोलन का विरोध कर रहे हैं सही मायनों में उन्हें अन्न, सब्जी व फल को हाथ लगाने का अधिकार ही नहीं है।*
ये अज्ञानी लोग शायद यह भूल गए हैं कि प्राचीनकाल में हमारे देश भारत का मूल व्यवसाय खेती ही होता था और हमारे देश की GDP, पूरे विश्व की
GDP का
25% हुआ करती थी।
*अंग्रेज हमारे देश की सम्पन्नता को देख कर ही व्यापारी बन कर यहां आए थे जिन्होंने उस काल की सत्ता में बैठे लोभी व गद्दार लोगों को लालच देकर अपना गुलाम बनाया,किसानों पर अनेको जुल्म ढाये और धीरे धीरे हमारे पूरे देश को गुलामी में जकड़ लिया।*
आज भी लगभग वैसे ही हालात फिर से उत्पन्न होने लग रहे हैं,बहुत बड़े व्यापारी अंग्रजो वाली नीति को अपनाते हुए हमारे देश को पुनः गुलाम बनाने का षड्यंत्र रच रहे हैं,"माता प्रकृति" इन लोगों को कभी क्षमा नहीं करेंगी।"
-----------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
(08-12-2020)
Friday, March 25, 2022
Sahaj Yoga(Video)-Part-33, '8th Workshop on Attention', Varanasi, U.P 05-01-2020
Thursday, March 24, 2022
"Impulses"--585-- "बिन पुरषार्थ कुछ प्राप्ति नहीं"
"बिन पुरषार्थ कुछ प्राप्ति नहीं"
"अक्सर लोग किसी धनी व्यक्ति की सम्पन्न सन्तान के लिए कह देते हैं कि,'देखो इसके बच्चे को सभी कुछ बैठे बिठाये मिल गया, उस बच्चे को कुछ भी नहीं करना पड़ा।
*वास्तव में यह कथन सत्य नहीं है, क्योंकि इस संसार में कोई भी चीज मुफ्त में नहीं मिलती है।यदि किसी को कुछ भी बैठे बिठाये मिल रहा है तो यह उसके पूर्व जीवन की मेहनत का ही प्रतिफल है।*
और जो मिल जाता है उसको सम्भालने व उसका आनंद उठाने के लिए भी सदकार्य करने होंगे अन्यथा वह दौलत लम्बे समय तक कायम नहीं रहेगी।
जब "परमात्मा" ने मानव को प्रथम बार जन्म दिया था तो "उन्होंने" उसके भोजन/साधन को अर्जित करने के लिए केवल दो हाथ, दो पांव व एक मस्तिष्क देकर ही भेजा था।
*इस दुनिया में बिना पुरुषार्थ के किसी को कभी कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता, फिर भले ही इस जन्म की अथक मेहनत, तीव्र लगन व ईमानदारी के द्वारा इसी जन्म में प्राप्त हो जाय या फिर पूर्व जीवनों में किये गए कार्यों के परिणाम के कारण प्राप्त हो।*
"इसके विपरीत यदि कोई बेईमानी, छल, धोखा, लूट व भ्रष्टाचार के द्वारा अर्जित करता है तो निश्चित रूप से उससे वह सब या तो इसी जन्म में 'प्रकृति' के द्वारा छीन लिया जाएगा या फिर उसके अगले कई जीवन आभावों में ही व्यतीत होंगे।
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"Jai Shree Mata Ji"
07-12-2020