"बिन पुरषार्थ कुछ प्राप्ति नहीं"
"अक्सर लोग किसी धनी व्यक्ति की सम्पन्न सन्तान के लिए कह देते हैं कि,'देखो इसके बच्चे को सभी कुछ बैठे बिठाये मिल गया, उस बच्चे को कुछ भी नहीं करना पड़ा।
*वास्तव में यह कथन सत्य नहीं है, क्योंकि इस संसार में कोई भी चीज मुफ्त में नहीं मिलती है।यदि किसी को कुछ भी बैठे बिठाये मिल रहा है तो यह उसके पूर्व जीवन की मेहनत का ही प्रतिफल है।*
और जो मिल जाता है उसको सम्भालने व उसका आनंद उठाने के लिए भी सदकार्य करने होंगे अन्यथा वह दौलत लम्बे समय तक कायम नहीं रहेगी।
जब "परमात्मा" ने मानव को प्रथम बार जन्म दिया था तो "उन्होंने" उसके भोजन/साधन को अर्जित करने के लिए केवल दो हाथ, दो पांव व एक मस्तिष्क देकर ही भेजा था।
*इस दुनिया में बिना पुरुषार्थ के किसी को कभी कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता, फिर भले ही इस जन्म की अथक मेहनत, तीव्र लगन व ईमानदारी के द्वारा इसी जन्म में प्राप्त हो जाय या फिर पूर्व जीवनों में किये गए कार्यों के परिणाम के कारण प्राप्त हो।*
"इसके विपरीत यदि कोई बेईमानी, छल, धोखा, लूट व भ्रष्टाचार के द्वारा अर्जित करता है तो निश्चित रूप से उससे वह सब या तो इसी जन्म में 'प्रकृति' के द्वारा छीन लिया जाएगा या फिर उसके अगले कई जीवन आभावों में ही व्यतीत होंगे।
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"Jai Shree Mata Ji"
07-12-2020
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