"विकार उन्नमूलन प्रक्रिया"
"यदि शरीर के विकारों को दूर करना हो तो भूख का 75% ही भोजन के रूप में ग्रहण करें ताकि बची हुई 25% भूख विकारो को खा कर आपको स्वस्थ रख सके।
इस व्यवस्था को अपनाने से पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है और व्यक्ति के शरीर पर अनावश्यक चर्बी भी नहीं चढ़ पाती।
*और यदि मन को विकारों से दूर रखना चाहते हैं तो अपने जीवन के लिए प्राप्त समय के 75% भाग को "परमपिता परमेश्वर" की अनुभूति में रमाना चाहिए।*
*और अपने समय के केवल 25% भाग को ही आवश्यक सांसारिक कर्तव्यों के निर्वहन में लगाना चाहिए।*
इस विधि से हमारी चेतना में निरंतर 'निर्लिप्तता' बनी रहेगी जिसके परिणाम स्वरूप हमारे हृदय में प्रफुल्लितता
बनी रहेगी।
और प्रफुल्लित हृदय हमारे मन को प्रभावी नहीं होने देगा जिससे हमारी 'जीवात्मा' प्रसन्नता पूर्वक अपने मोक्ष की ओर अग्रसर होती रहेगी।
*वास्तव में रोग सदा मन में ही पहले लगता है जो बाद में शरीर पर दिखाई देने लगता है।*
----------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
03-12-2020
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