"आज का सत्य"
"जब से "परमेश्वरी" ने मानव का निर्माण किया है तब से आज तक 'सत्य' भी काल व परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित होता आ रहा है।
क्योंकि 'सत्य' का सीधा सम्बंध मानव की चेतना से है या यूं कहें कि "परमात्मा" मानव की चेतना की 'उत्क्रांति' व विकास के लिए ही सत्य को कालानुसार स्थापित करते आ रहे हैं।
*इसीलिए जैसे जैसे मानवीय चेतना उन्नत होती जाती है वैसे वैसे 'सत्य' का स्वरूप भी बदलता जाता है।*
यह बिल्कुल ऐसे ही है जैसे मोबाइल को वर्तमान काल की आवश्यकतानुसार निरन्तर अपग्रेड किया जा रहा है।
*जो भी जागरूक 'सत्य का खोजी' होता है वह हर काल में सत्य के परिवर्तित स्वरूप व रूप को पहचान कर उसको अंगीकर कर लेता है।*
-------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
01-12-2020
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