"नशे से हानि"
"हम सभी अपने बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि किसी भी प्रकार का नशा हर स्तर पर हमारे लिए हानिकारक है।
*यहां तक कि इस वसुंधरा पर जितने भी सद्गुरु व सन्त हुए हैं उन सब ने भी मानव को नशा न करने की हिदायत दी है।*
क्या हमने कभी गहनता से चिंतन किया है कि आखिर नशा करने में ऐसा क्या है जिसके लिए सभी उच्च अवस्था के मानव मना करते आ रहे हैं।
हमारी तुच्छ समझ व चेतना के अनुसार किसी भी प्रकार का नशा हमारे केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही नहीं होता वरन यह हमारी चेतना के विपरीत भी कार्य करता है।
*क्योंकि जिस मार्ग से हमें "परमात्मा" का 'प्रेम' व 'शक्ति' प्राप्त होती है यह केवल उस मार्ग को अवरुद्ध ही नहीं करता, बल्कि यह हमारी 'उत्क्रांति' के क्रम तक को उलट देता है।*
वास्तव में मनुष्य 'अमीबा से मानव' बना हैं और 'उत्क्रांति' की प्रक्रिया के दौरान वह अनेको प्राणियों की योनियों से गुजरा है।
*यह नशा, कुछ प्राणियों के स्वभाव व गुणधर्म को मानव के मन की सतह पर ला देता है।*
जिसके प्रभाव के चलते मानव अक्सर विभिन्न प्रकार के जानवरो जैसा व्यवहार तक करने लगता है।"
----------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
21-12-2020
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