"कुसंगति भी अक्षमीय"
"यह अक्सर देखने में आता रहता है कि कुछ लोग अपनी सनक/अहंकार/महत्वकांशा/इच्छा/लोभ को पूरा करने की खातिर इंसानियत के नाम पर कलंक साबित हो रहे होते हैं।
किंतु फिर भी अनेको लोग अपनी पसंद/लोभ/स्वार्थ/प्रभाव/मान्यता/नजदीकी सम्बन्धों के कारण ऐसे मानवता के शत्रुओं के सहयोग में खड़े नजर आते हैं।
*ऐसे साथ देने वालों को सदा स्मरण रखना चाहिए कि "ईश्वर" जब ऐसे नकारात्मक लोगों के बुरे कर्मों का फल उन्हें दे रहे होंगे तो सजा पाने वाले लोगों की लिस्ट में साथ देने वालों का भी नाम शामिल होगा।*
*यह बात ऐसे अंधानुकरण करने वाले लोगों तो तब तक समझ नहीं आती जब तक खुद उनके साथ कुछ अत्यंत बुरा न हो जाये अथवा उनको कोई अति गम्भीर रोग लगने के कारण वे बिस्तर पर न पड़ जाएं।*
*समझदारी इसी में है कि सत्य का एहसास होते ही ऐसे लोग अपने सभी नकारात्मक कर्मो व भावो के लिए "परमपिता" से क्षमा मांगने के साथ साथ उन समस्त लोगों से भी सच्चे हृदय के साथ क्षमा मांग लें जिनके साथ बुरा किया है/जिनके लिए बुरा सोचा है।*
अन्यथा सालों साल तक शारीरिक/मानसिक पीड़ा से छटपटाते रहेंगे, नजदीकी भी कुछ राहत नहीं पहुंचा पाएंगे और मृत्यु भी कोसो दूर पहुंच जाएगी।"
------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"
22-12-2020
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