Tuesday, February 9, 2021

"Impulses"--545-- "अंध भक्ति के लक्षण"

 "अंध भक्ति के लक्षण"


"पिछले 4 वर्षों के दौरान हमारे सम्पर्क/ अवलोकन में आने वाले अनेकों सहज अनुयायियों में MODIABVIN-16 संक्रमण के विभिन्न लक्षण अनुभव किये गए जो नीचे दिए जा रहे हैं:-

1.इनमें विवेक शीलता की न्यूनता,

2.मानसिक दासता के अंश,

3.कुतर्कों की प्रचुरता,

4.व्यक्तिवादिता का प्रभाव,

5.संवेदन हीनता की पराकाष्ठा,

6.तथ्य विहीनता का आधिपत्य

7.सत्य को ग्रहण करने/सामना करने के प्रति अक्षमता,

8.अपने आका की विचारधाराओं के अंधानुकरण की प्रवृति,

9."श्री माता जी" की भक्ति के स्थान पर अपने आका के भक्ति रस में लीन रहने की ललक,

10.अपने आका के विरोध में कही/लिखी/बोली गई बात पर झगड़ा/बहस के प्रति हर पल तत्तपर्रता,

11.अन्य सहजियों की पोस्ट में कहीं आका के विरुद्ध तो नहीं लिखा गया है, यह जानने की तीव्र उत्कंठा,

12.यदि लिखा गया है तो उनकी फेसबुक वाल पर जाकर उनकी पोस्ट पर जिरह करना अपनी बेसिर पैर की बातें जबरन थोपना,

13.अपने आका के विभिन्न स्वांगों पर मोहित होकर उसकी शान में बारम्बार कसीदे पढ़ना,

14.अपने आका के सफेद/प्रमाणित झूठों को सदा सही ठहराना उनका अंध समर्थन करना,

15.अपने आका की धोखेबाजी/कुटिलता/देश अहित में की गई कारगुजारियों के खिलाफ बोलने/लिखने वाले सत्य राहियों को केवल ध्यान में निर्विचार/साक्षी रहने की जबरन सलाह देना,

16.अपने आका की तरह मानवता/देश/देशवासियों के खिलाफ होने वाली समस्त गतिविधयों/अन्याय के प्रति आंखे मूंद कर रहना,

17.जात-पात,ऊंच नीच, भेदभाव हिन्दू-मुस्लिम-दलित-स्वर्ण आदि में हर समय लगे रहना,

18.व्हाट्स एप्प यूनिवर्सिटी में छपी/ITCell के द्वारा तैयार की गई झूठी पोस्ट्स/डीप फेक वीडियोज का सर्कुलेशन करना अपनी फेसबुक वॉल पर भी चिपकाना,

19.अपनी फेसबुक वाल पर अपने आका की प्रशंसा में अनर्गल निर्थक बाते लिख/बोल कर समाज को उसके अनुसार सीख देने के लिए लालायित रहना,

20.बिकाऊ मीडिया की घृणा रूपी जहर को फैलाने वाली बातें लगातार आत्मसात करना उन्हें समाज में फैलाना,

21.देश की वास्तविक समस्याओं से आम लोगों का ध्यान हटाने के लिए सत्तासीन राजनैतिक नेताओं के इशारे पर चलने वाले बॉलीवुड के कुछ कलाकारों की झूठी सच्ची कहानियों/टिप्पड़ियों की चर्चा में लगे रहना,

22.आका के प्रभाव में अपने बाप दादाओं के त्यागों स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए योगदान को लजाते हुए पूर्व सरकारों के कार्यों को खूब कोसना,

23."श्री माता जी" के द्वारा हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए किए गए "उनके" संघर्ष हमारे देश/समाज/व्यवस्था/समस्त धर्मों के सम्मान के लिए कही गयी गई बातों पर कभी ध्यान देना और ही उनका पालन करना,आदि आदि।

वास्तव में ऐसे सहज अनुयाइयों की चेतना उपरोक्त प्रकार के प्रभावों में बुरी तरह जकड़ जाती है जिसके कारण इनका यंत्र "श्री माँ" की सामूहिक ऊर्जा से दूर होता जाता है।

बाह्य रूप में ये लोग अपने बाह्य उपक्रमों प्रदर्शन के कारण सहज से जुड़े नजर आते हैं किंतु तकनीकी रूप से इनका कनेक्शन कट चुका होता है।

इतने कठिन समय में जब मानवता चीत्कार कर रही है ये लोग अपनी अपनी मानसिक जड़ताओं के उथले प्रदर्शन में मस्त हैं।

इनको तनिक भी एहसास नहीं है कि जंगल में भयानक आग लग चुकी है जो इसी जंगल में स्थित इनके घरों तक भी अवश्य पहुंचेगी और इन सभी को स्वाहा कर देगी।

जो भी जागरूक इस आग को फैलने देने और मानवता/अपने देश अपने देश के लोगों को बचाने के लिए अनेकों प्रकार से प्रयास कर रहे हैं।

उनको ये विवेकहीन, ध्यान में निर्विचार होने साक्षी भाव में वायब्रेशन महसूस करने सभी कुछ "श्री माँ" पर छोड़ने की सलाह देते फिरते हैं।

ऐसी मूर्खता पूर्ण सोचों से आच्छादित इन संक्रमितों से हम कुछ प्रश्न कर रहे हैं,

*यदि आप देखें कि आपके घर में कोई चोर/लुटेरा घुस आया है तो क्या आप आंख मूंद कर ध्यान में उतरकर यह वायब्रेशन चेक कर रहे होंगे कि चोर/लुटेरा आपका समान चुराएगा/लूटेगा कि नहीं ?

क्या ऐसी स्थिति में उस चोर को पकड़ने/भगाने/उससे संघर्ष करने के स्थान पर उसे "श्री माता जी" पर छोड़ देंगे ?

दूसरा प्रश्न, यदि आपकी सन्तान चोरी करने लग जाय तो क्या अपनी संतान की चोरी रोकने के स्थान पर उसकी हरकतों को "श्री माता जी" को समर्पित करके शांत बैठ सकते है ?

तीसरा प्रश्न, यदि कुछ लोग आपके घर को जलाने का प्रयास करें तो क्या आप उनसे संघर्ष करने के स्थान पर ध्यान में धूनी रमा कर बैठ जाएंगे ?

और अपने घर के समान/सदस्यों को जल कर भस्म हो जाने देंगे अथवा समान/सदस्यों की बचाने के लिए उन दुष्टों से मुकाबला करेंगे ?

क्या यह देश केवल आप जैसे अंधभक्ति रस में डूबे लोगों का ही है ?

क्या संसद/राज्य सभा में ढाई तीन सौ लोगों के बहुमत के नाम पर हम सभी इन भेड़ियों को अपना देश बर्बाद करने की छूट दे दें।?

क्या बहुमत के नाम पर मात्र तीन सौ लोगों को हमारे देश के 138 करोड़ देशवासियों के हित से खिलवाड़ करने/बर्बाद करने का अधिकार मिल गया है ?

यदि आपके घर का मुखिया अपनी अज्ञानता/भ्रम के चलते आपके सभी घर के सदस्यों के वर्तमान/भविष्य को बिगाड़ने चले तो क्या आप उसको सभी घरवालों को बर्बाद करने का अधिकार दे देंगे या विरोध करेंगे ?

"श्री माता जी" ने हमें 'अपनी' अनेको शक्तियां प्रदान की हैं जिनके होने से हम सत्य/असत्य, उचित/अनुचित, बुराई/कल्याण में आसानी से भेद कर सकते हैं।

और सही तथ्यों को समझ कर अन्य लोगों की चेतना को जागृत कर, सामूहिक रूप से उन शक्तियों का गहन ध्यान में उपयोग भी कर सकते हैं।

यही नहीं हम जागृत लोगों को निडरता के साथ मानवता, प्रकृति "परमात्मा" के खिलाफ चलने वाले समस्त षड्यंत्रों को उजागर करने, उनसे संघर्ष करने, उनके खिलाफ आवाज उठाने का कर्तव्य भी निभाना होता है।

विवेकशीलता शांत भाव से ध्यानस्थ अवस्था में चिंतन के माध्यम से समझने का प्रयास करें कि "श्री माँ" हमको अपने "श्री चरणों" में क्यों लायी हैं ?

क्या सहजी केवल भजनों पर भांगड़ा करने/केवल ध्यान में वायब्रेशन का आनंद लेने/केवल अपने परिवार के कल्याण के लिए/ या अपने मोक्ष के लिए ही सहज में लाये गए हैं "

या कोई इनसे भी बहुत बड़ा उद्देश्य लेकर "श्री माँ" ने हमें 'अपने' सहस्त्रार से जन्म दिया है ?

क्या "उनके" उस उच्च उद्देश्य को हम अपनी मूर्खताओं के चलते मिटाने वाले हैं ?

क्या "उनके" अवतरण को हम अपनी घोर अज्ञानता के चलते असफल बनाने जा रहे हैं ?*

याद कीजिये "श्री माँ" ने क्या कहा था,

आप लोगों को यह पता चल चुका है कि विश्व की नाव डूबने वाली है,यदि आपने विश्व को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया तो "परमात्मा" की नजरों में आप जिम्मेदार माने जाएंगे।

वास्तव में उपरोक्त लक्षणों से आच्छादित कुबुद्धि के मारे ऐसे अंधभक्त भेड़ों के झुंड की तरह होते हैं।

जिन्हें इनका गडरिया(आका)अपनी लच्छेदार बातों से कहीं भी हांकता रहता है और ये बिना कुछ सोचे विचारे जयकारे लगाते हुए उधर ही चल देते हैं।

हमने स्वयं पहाड़ों में देखा है कि भेड़ों की एक विशेषता होती है कि ये सदा अपने से आगे चलने वाली भेड़ों का अनुसरण करती हैं।

यदि आगे वाली गड्डे में कूद रही है तो पीछे वाली सारी भेड़ें भी बिना देखे गड्ढे में कूदती जाती हैं। इसी को भेड़चाल कहते हैं।"


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"Jai Shree Mata Ji"


नोट-हमारी इस पोस्ट पर अंधभक्ति में जकड़े हुए संक्रमित कोई भी टिप्पड़ी करने से बचें अन्यथा जो भी आपको प्रतिउत्तर स्वरूप मिलेगा, तो फिर शिकायत करना।

समस्त देश प्रेमियों देश हितार्थीयों से विनम्र निवेदन हैं कि जिन लोगों में उपरोक्त या इससे मिलते जुलते लक्षण परिलक्षित हों तो इनसे दूर रहें।

अपना कीमती समय बेशकीमती चित्त इन लोगों को समझाने में व्यर्थ करें क्योंकि जब तक इनकी रोजी रोटी नहीं छिनेगी तब तक शायद इन लोगों को कुछ भी समझ नहीं आने वाला।

कोरोना संक्रमण के मरीज तो एक बार को 10-15 दिन में ठीक भी हो जाय किन्तु MODIABVIN-16 से संक्रमित लोगों का ठीक होना लगभग असंभव है।


24-08-2020