Wednesday, June 29, 2022

"Impulses"--614-- "जागो और जगाओ मानव जाति को बचाओ" -भाग-1

 "जागो और जगाओ मानव जाति को बचाओ"

भाग-1


"हमारे देश में तथाकथित दूसरी लहर के नाम पर जो चल/हो रहा है उसे देख कर हृदय अत्यंत दुख से चीत्कार कर रहा है।

इस आंतरिक पीड़ा के कारण "श्री माँ" के द्वारा हृदय में इस प्रकार की समस्याओं पर भी कुछ चिंतन करने की तीव्र प्रेरणा अनुभव हो रही है।

हमारे देश के नागरिक हजारों की संख्या में प्रतिदिन बहुत तेजी से बीमार पड़ पड़ कर आक्सीजन की कमी से संघर्ष करते हुए दम तोड़ते हुए हर जगह दिखाई दे रहे हैं।

चारों तरफ एक अफरा तफरी मची हुई है और आम लोगों के दिलों में अत्यंत भय व्याप्त हो गया है।

किसी को कुछ समझ नहीं रहा कि अचानक से इतने सारे लोगों के फेफड़ों में इतनी तीव्रता के साथ इंफेक्शन क्यों कर फैलता ही जा रहा है।

तो सबसे पहले इस काल में अचानक से लोगों के शरीरों में होने वाली असक्सीजन की कमी के कारणों को समझते हुए इस कमी को संतुलित करने के लिए कुछ चिंतन करेंगे।

हमारे भारत देश के विभिन्न स्थानों पर शरीर में यकायक घटने वाली आक्सीजन की कमी से हजारों लोगों को दम तोड़ने वाली स्थितयों को देखते हुए हमें स्मरण हो आया है।

कि जब चीन के वुहान शहर से यह तथाकथित विषाणु प्रसारित किया गया था तो उसके लगभग दो तीन माह बाद हमने एक विदेशी पत्रकार की रिपोर्टिंग पढ़ी थी।

जिसमें बताया गया था कि वुहान शहर में दिसम्बर 2019 में गुपचुप तरीके से दस हजार टावर लगा कर फाइव जी का टेस्ट अत्यंत हानिकारक आवृति पर किया गया था।

जबकि इसी फाइव जी का इस्तेमाल मात्र संचार व्यवस्था के लिए किया जाय तो उसकी आवृति कुछ खास हानि नहीं पहुंचाती है।

जिसके कारण 60 वर्ष से ऊपर के लोगों के हजारों लोग आक्सीजन की कमी से मर गए थे।

और इन मौतों पर पर्दा डालने के लिए ही वहां की सरकार ने इस विषाणु को फैलाने के घटनाक्रम को अंजाम दिया था ताकि वहां के लोग इन मौतों का कारण इस बीमारी को ही मानें।

उस रिपोर्टिंग में यह भी बताया गया था कि अमेरिकन आर्मी में फाइव जी तकनीक को एक घातक हथियार की संज्ञा दी गई है।

इन तथ्यों पर जब हमारा चिंतन चला तो हमें यह समझ में आने लगा कि इसकी आवृति को यदि किसी उपग्रह के जरिये कंट्रोल करके किसी भी स्थान पर खतरनाक स्तर पर पहुंचा दिया जाय।

तो इसके कारण मानव शरीर की कोशिकाओं के अणुओं की अत्याधिक सक्रियता बढ़ने के कारण मानव देह में आक्सीजन की मात्रा तीव्रता से घट सकती है और उसका हृदय अचानक से बन्द हो सकता है।

उसी दौरान इसके सन्दर्भ में एक और वैज्ञानिक का ग्राफिक वीडियो हमने देखा था जिसमें वो बता रहे थे।

कि यदि मानव शरीर की कोशिकाओं के अणु जब घातक स्तर की इस फाइव जी आवृति के सम्पर्क में आते हैं तो वे अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं।

जिसके कारण उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है(इसके कारण शरीर के तापमान बढ़ने की पुष्टि डब्लू एच ने भी की है) और मानव का कंठ नासिका सूखने लगते हैं ऐसी दशा में हमारा कंठ किसी भी विषाणु से संक्रमित हो सकता है।

और कोशिकाओं के अणुओं की तीव्र सक्रियता मानव शरीर में इस विषाणु के संक्रमण को गति भी प्रदान करती है जिस कारण से मानव को ठीक प्रकार से सम्हलने का मौका नहीं मिल पाता।

*"हमारे भारत के महान वैज्ञानिक स्वर्गीय राजीव दीक्षित जी के अनुसार, "यदि हमारे कंठ में स्त्रावित होने वाली लार हमारी नसिका में रहने वाला म्यूकस यदि पर्याय मात्रा में हमारे मुहं नाक के अंदर उपस्थित है।तो दुनिया का कोई भी विषाणु हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि यह दोनों द्रव्य ही किसी भी विषाणु को नष्ट करने में सक्षम हैं।"*

कहीं ऐसा तो नहीं विश्व के अलग अलग देशों में भी यही हुआ हो और अब हमारे देश में यह प्रयोग किये जा रहे हों।

लगता है अब किसी भी देश को जीतने के लिए हथियारों के प्रयोग करने के स्थान पर इन्हीं 'इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी' यानि ' एम एफ' या 'आर एफ'(रेडियो फ्रीकवेंसी' का प्रयोग घातक आवृति पर किया जाएगा।

और यह भी हो सकता है कि चुनावी प्रतिद्वंदिता को समाप्त करने के लिए किसी क्षेत्र विशेष के लोगों को इस तरह से बुरी तरह बीमार कर दिया जाय।

अथवा उस क्षेत्र के लोगों को इस बीमारी की अनेको लहरों विषाणुओं के वेरिएंट इनके नए नए स्ट्रेन के नाम पर, समाप्त ही कर दिया जाय या यूं कहें तो उनकी हत्या ही कर दी जाय।

कहीं ऐसा तो नहीं कि हरिद्वार कुम्भ, पांच राज्यों यू पी में पंचायत चुनाव इस विकट स्थिति में भी करवा कर खूब भीड़ एकत्रित की गई।

जिससे सभी को यह लगे कि सरकार ने अपनी मूर्खता लापरवाही के चलते भारी भीड़ एकत्रित करवानें के कारण पूरे देश में संक्रमण फैल गया जिससे 'रेडिएशन' के कारण होने वाली मौतों की सच्चाई छुपाई जा सके।

इस देश में इन दो लोगों की सरकार के रहते कुछ भी सम्भव है जिसने पिछले 7 वर्षों में हमारे देश को गहन अंधकार में धकेल दिया।

ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे देश की सभी सरकारें भी इस खेल में कहीं कहीं शामिल हैं तभी तो फाइव जी की देशव्यापी टेस्टिंग की परमिशन दी गयी है।

यदि हम अध्यन करें तो पाएंगे कि इस दूसरी लहर का प्रारम्भ सबसे पहले महाराष्ट्रा से हुआ या ये कहें सबसे पहले फाइव जी की टेस्टिंग के लिए महाराष्ट्र को चुना गया और फिर जहां जहां टेस्टिंग की गई वहां वहां इस विषाणु की दूसरी लहर ने अपना प्रभाव जमाया।

इन सभी बातों के मद्देनजर यह बात तो सिद्ध हो रही है कि हमारे देश के लगभग सभी राज्यों के मुख्य मंत्री इस तथ्य को भली भांति जानते हैं और वे कहीं कहीं अपने किन्ही स्वार्थों के चलते आंख मूंद कर बैठे हैं और उनका हृदय पत्थर का हो चुका है।

और इसीलिए शायद डंडे मार मार के चालन काट काट कर हर समय मास्क जबरन पहनाने का खेल किया जा रहा है।

जिसके कारण लोगों के शरीर में कॉर्बन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ती जाय और लोगो को हाइपोक्सिया हाइपर कैपनिया नाम की बीमारियां लगें।

और उनकी आंतरिक शक्ति इन घातक आवृति के कारण अत्यंत कमजोर हो जाय जिससे बदलते मौसम के कारण हर साल में कम से कम दो बार होने वाले वायरल फीवर को भी लोग झेल नहीं पाए और लोग बीमार हो जाएं या मृत हो जाएं।जिससे इस बीमारी का भय और भी फैल जाय।

विश्व के कई विद्वानों के मतानुसार यह सब एक बहुत बड़े वैश्विक स्तर के षड्यंत्र के तहत किया जा रहा है इस तथ्य पर चिंतन अगली पोस्ट में हम अवश्य करेंगे।

इसी के साथ दुनिया के एक महान अस्तिव के द्वारा जिसे 'बि++ गे++ के नाम से जाना जाता है जो माइक्रो सॉफ्ट की दुनिया से निकल कर पिछले कई वर्षों से 'टीकों' की दुनिया पर राज कर रहे हैं।

*इन साहेब ने यह भी भविष्य वाणी कर दी है कि भारत में जल्द ही इस बीमारी की सुनामी आने की संभावना है।*

*जिसकी पुष्टि गूगल के सी श्री पिचाई ने भी विदेशी चैनल को दिए अपने एक इंटरवियू में भी की है।जबकि यह तो जैव विज्ञान के ज्ञाता भी नहीं हैं।*

और यही बात हमारे देश विदेश के अनेको लोग भी कह रहे हैं, आखिर यह सब किस आधार पर यह सब बातें बोल रहे हैं।

तो कहीं ऐसा तो नहीं भारत में आने वाले कुछ दिनों के भीतर फाइव जी की अत्याधिक मारक क्षमता के प्रयोग पूरे भारत के राज्यों में होने लगें जिसके कारण इस वायरस की आड़ में सुनामी लाने का घटना क्रम बने।

लगता है इसी कारण से इस दवाई के निर्माता अदार पूनावाला अन्य बड़े कारपोरेट परिवार भारत छोड़ कर चुपचाप तीन चार दिन पहले ही लन्दन निकल लिए क्योंकि शायद वो इस तथाकथित सूनामी के बारे में अच्छे से जानते थे।

इन सभी के जाने के बारे में प्रणय प्रसून जी से सुना था और एक और शोशल मीडिया यूट्यूब चैनल ने बताया था।

कि भारत से 8 जेट प्लेन भर कर चार पांच दिन पहले लंदन के लिए सपरिवार रवाना हो गए हैं जिनमें सभी बड़े कारपोरेट 50% बालीवुड हस्तियां शामिल हैं।

अब ये सभी लोग तो बहुत पैसे वाले हैं ये तो चांद पर भी जाकर रह सकते हैं किंतु हम जन साधारण ऐसी विकट स्थिति में क्या करें।?

तो इसके लिए हमारी चेतना से कुछ सुझाव प्रगट हुए हैं जो निम्न प्रकार हैं;-

1.इस लेख के साथ हमने एक फोटो के रूप में पहाड़ों की विभिन्न ऊंचाइयों के स्तर के अनुसार वहां जाने के ओर साधारण अवस्था में घटने वाली आक्सीजन के स्तर का चार्ट पोस्ट किया है कृपया आप सभी से निवेदन है कि उस चार्ट का एक बार फिर से अध्यन कर लें।

आपमें से शायद कुछ लोग जानते हैं कि हम एक पर्वतारोही ट्रेकर भी रहे हैं जिसे 1982 से लेकर 2008 तक पहाड़ों पर काफी ऊंचे स्थानों पर रहने का अवसर मिलता रहा है।हम लगभग 24500' की ऊंचाई तक जा चुके हैं।

और इस चार्ट के अनुसार हम अक्सर एक माह से ज्यादा समय तक भी कम आक्सीजन की उपलब्धता के वाबजूद भी आराम से रहे हैं।

जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि जब हम पहाड़ो में अमूमन 12 हजार से अधिक की ऊंचाई पर जाते हैं।

तो सभी प्रकार के पेड़ पौधे मिलने बन्द हो जाते हैं जिसके कारण आक्सीजन उपलब्धता भी कम होती जाती है।

और शरीर में घटे हुए आक्सीजन स्तर को पूरा करने के लिए हमारे हीमोग्लोबिन,जो कि खून में आक्सीजन के कैरियर हैं, इनकी अत्याधिक सक्रियता बढ़ जाती है जिसके कारण खून के दौरे का प्रेशर काफी बढ़ जाता है।

ऐसी अवस्था में यदि हमारा शरीर के किसी भी भाग पर किन्ही कारणों से कट लग जाये या चोट के कारण घाव हो जाये तो मैदानी इलाकों की अपेक्षा बहुत तेजी से खून बहना प्रारम्भ हो जाता है।

तो जरा कल्पना कीजिये कि यदि हमारे शरीर में किसी भी कारण से आक्सीजन की कमी होने लगे और साथ ही हमारे खून में किसी जीवाणु अथवा विषाणु का भी संक्रमण हो तो यह संक्रमण कितनी तेजी से हमारे शरीर में फैल सकते हैं।

इस बात को यदि हम समझ गए तो हम यह तथ्य भी आसानी से समझ लेंगे की आजकल हमारे देश के लोगों के साथ क्या हो रहा है।

तो हम कह रहे ठगे कि उपरोक्त ऊंचाइयों पर पहुंचने पर चार्ट में वर्णित स्तर की आक्सीजन ही हमें मिल पाती है।या यूं कहें कि हमारे शरीर में आक्सीजन की उपलब्धता घट जाती है।

इस घटी हुई आक्सीजन को पूरा करने के लिए हम काफी लंबी गहरी सांसें लेने लगते हैं और धीरे धीरे चलते भी रहते हैं।

इस अवस्था में हमारा शरीर जमीन की ओर आगे की ओर झुका होता है जिससे हमारे फेफड़े ऊपर की ओर हो कर अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करने लगते हैं।

ऐसी दशा में हमारा शरीर अपने लिए आक्सीजन की पूर्ति करता रहता है और हम कई कई दिन तक भी कम आक्सीजन होने पर भी ऊँचाई पर बने रहते हैं।

इसी सिद्धान्त के चलते यदि आज के हालात में हम किसी भी कारण से आक्सीजन की कुछ कमी अनुभव करते हों।

तो कृपया बिना घबराए आगे की ओर झुक कर बैठे या खड़े होकर लम्बी गहरी सांस लेना प्रारम्भ कर दें तो इससे कुछ ही समय में आराम आना प्रारम्भ हो जाएगा।

वास्तव में हममें से ज्यादातर लोग, जो स्पोर्ट्स से नहीं जुड़े/स्वसन को तीव्र करने वाक दैनिक व्यायाम नहीं कर पाते जिसके कारण वे आम साधारण जीवन जीते हुए अपने फेफड़ों की क्षमता का पूरा इस्तेमाल ही नहीं कर पाते।

इसीलिए आज की चिंता जनक हालत से बचे रहने के लिए प्रतिदिन दिन में कई बार गहरी लम्बी सांस लेने छोड़ने का अभ्यास करते रहें।

इसके अतिरिक्त प्राणायाम की अनेको क्रियाएं भी कर सकते हैं जिसमें स्वसन के ठहराव पर बल दिया जाता है।

साथ ही वायुपान भी दो तीन बार कर सकते हैं जिसके द्वारा होटों को सीटी बजाने वाली मुद्रा में गोल करते धीरे धीरे वायु को अपने फेगडों में अच्छे से भरते हैं और कुछ सेकंड बाद उसे नसिका से धीरे धीरे बाहर कर देते हैं।

वैसे सबसे अच्छा तरीका एक काफी लंबी सांस को अंदर भरकर 30-40 सैकिंड तक रोकने धीरे धीरे छोड़ने का है इसे हम प्रतिदिन 5 मिनट के लिए कम से कम दो-तीन बार कर सकते हैं।

इस तरीके की विशेषता यह है कि जब हम स्वांस को रोकते हैं तो यह आज के समय में विश्व के लाखों जागृत सहज योग अभ्यासियों के सहस्त्रार से उत्सर्जित होने वाली 'चैतन्य से युक्त' ऊर्जा वातावरण मे उपलब्ध होने के कारण किसी भी मानव के सर के तालू भाग में स्थित ब्रह्ममरंध्रों को खोल देता है।

*जिसकी वजह से वह "परम शक्तियां" भी उन छिद्रों के माध्यम से हमारे भीतर दोनों दिमागों के बीच में स्थिति सुषुम्ना नाड़ी(मध्य नाड़ी) के माध्यम से हमारे कंठ से होते हुए हमारे मध्य हृदय में हृदय के द्वारा नीचे के अन्य सभी अंगों में भी आना प्रारम्भ हो जाती हैं जो किसी भी प्रकार के विषाणु को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं।*

साथ ही यह हमारे शरीर में स्थित पंच तत्वों को भी पोषित करती हैं जिसके कारण किसी भी तत्व की पूरी आसानी से होने लगती है।

साथ ही यह प्रक्रिया विचारों के आवागमन में ठहराव लाते हुए ध्यान में स्थिति होने में मदद करते हुए "परमेश्वरी" के साथ हमारी चेतना आत्मा से सम्पर्क बनाये रखने में भी सहायक सिद्ध होती है।

इससे हमारे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में भी प्रगति होती है।इस प्रक्रिया के परिणाम बहुत अच्छे हैं।

कुछ अपने नजदीकी 'इन्फेक्टेड' लोगों को इस प्रकार का अभ्यास जा कर करवाया कुछ को फोन पर बताया तो उन्हें काफी राहत महसूस हुई और वे अब काफी ठीक हैं।

2.हमारा दूसरा सुझाव यह है कि भोजन के रूप में ऐसी समस्त चीजों का सेवन करें जिनमें जल की मात्रा प्रचुर मात्रा में हो क्योंकि जल में आक्सीजन की मात्रा भी उपलब्ध होती है।

3.हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाली सभी चीजें लगातार सदा भोजन के रूप में लेते रहें ताकि हीमोग्लोबिन का सही स्तर हमारे शरीर में बना रहे। क्योंकि हीमोग्लोबिन ही हमारे खून में आक्सीजन को बनाये रखते हैं।

4.अपने कंठ को सदा तर रखने के लिए थोड़ी थोड़ी देर में घूंट घूंट करके जल/ताजे फलों का रस/ताजी सब्जियों का सूप लेते रहें जिसके कारण मुख का सलाइवा कंठ के जरिये हमारे शरीर में जाता रहे।

5.अपनी नसिका को कभी भी किसी भी ऋतु में सूखा रखें, हर स्नान के उपरांत अपनी नसिका में सरसों का तेल/देसी घी लगाते रहें जिससे नसिका में नमी बनी रहे।

6.मास्क का प्रयोग केवल मजबूरी में ही करें क्योंकि इसके कारण हमारी नसिका पर्याप्त मात्रा में वायु ही नहीं ग्रहण नहीं कर पाती जिससे फेफड़ों को प्रचुर मात्रा में आक्सीजन नहीं मिल पाती।

बल्कि इसे सदा लगाए रखने के कारण हम अपने शरीर से निकलने वाली कार्बन डाई आक्साइड को फिर से ग्रहण करते रहते है जिससे हमारे फेफड़ों में जीवाणु(बेक्टिरिया) के जाने की संभावना भी प्रबल हो जाती है।

लंबे काल तक ऐसा ही करते रहने से अंततः हमारे फेफड़े गम्भीर रूप में संक्रमित हो ही जाते हैं उसके बाद आप देख ही रहे हैं कि क्या हो रहा है।

7.हमें प्रतिदिन सुबह शाम कम से कम आधा घंटे के लिए बिना मास्क लगाए थोड़ा तेज गति से घूमना चाहिए या रस्सी कूदनी चाहिए या कुछ ऐसे व्यायाम करने चाहिए जिससे हमारा स्वसन तीव्र हो सके और हमारे फेफड़ों को अपनी पूरी क्षमता के साथ कार्य करना पड़े।

इससे हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं और किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ कर उसे बाहर फेंकने के लिए सक्षम हो जाते हैं।

8.शरीर विज्ञान के अनुसार हमारे शरीर में 80% जल मेन्टेन होना चाहिए इसके लिए कम से कम 50ml प्रति किलो ग्राम शरीर के वजन के अनुसार घूंट घूंट करके जल ग्रहण की पूर्ति बनाये रखें।

यानि यदि किसी जा वजन 70 किलोग्राम है तो उसे कम से कम 3.5 ltr पानी अवश्य ग्रहण करना चाहिए।किन्तु ध्यान रहे किसी भी वक्त के भोजन से 45 मिनट पूर्व 1.45 मिनट बाद ही जल का सेवन करें।

साथ ही ध्यान रखें कि जल के अतिरिक्त द्रव्य ऐसे लें जिनमें क्षार की मात्रा पर्याप्त हो, क्योंकि यह विषाणु एसिडिक है।

यदि हमारे शरीर में क्षार की मात्रा ऐसिड से अधिक होगी तो यह विषाणु निष्क्रिय हो जाएगा शरीर से मूत्र विसर्जन के द्वारा बाहर निकल जायेगा।

क्षार एडिड की मात्रा की चेकिंग विसर्जित किये गए मूत्र के रंग से कर सकते हैं, यदि मूत्र का रंग सफेद है तो हमारे शरीर में क्षारीय तत्व उपलब्ध हैं।और यदि उसका रंग पीला गहरा पीला हो तो समझ जाना चाहिए कि हमारे शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ी हुई है।

तो इसको ठीक करने के लिए प्रचुर मात्रा में जल ग्रहण करें क्षारीय द्रव्य लेते रहें जब तक मूत्र का रंग सफेद हो जाये, इसके रंग से ही शरीर में जल की मात्रा का आंकलन करते हुए जल की पूर्ति भी कर सकते हैं।

9.इस फाइव जी रेडिएशन के प्रभाव से बचने के लिए बाजार से किसी भी अच्छी कम्पनी का Spirulina लें आएं, जो टेबलेट अथवा कैप्सूल के रूप में मिलता है।

सही हालात में चार चार कैप्सूल सुबह शाम ले सकते हैं और बुखार होने की दशा में 12 से लेकर 16 कैप्सूल /टेबलेट्स सादे पानी के साथ ले सकते हैं।

सुनामी के समय जब फुकुशिमा में न्यूक्लियर रेडिएशन फैल गई थी तब जपानियों ने डेढ़ डेढ़ सौ ग्राम स्पिरुलिना प्रतिदिन खाया था और इसके कारण ही वे बचे रहे थे।

इसके अतिरिक्त यह बहुत ही उच्च कोटि का प्रोटीन भी है जिसमें एन्टी वायरल प्रॉपर्टीज प्रचुर मात्रा में होती हैं यह बुखार होने पर कमजोरी नहीं आने देता।

क्योंकि बुखार होने की दशा में हमारे शरीर का प्रोटीन बहुत तेजी के साथ डीप्लीट होना शुरू हो जाता है जिसके कारण बेचैनी के साथ पिंडलियों,कमर पूरे शरीर में दर्द होने लगता है।

इसका प्रयोग तो हम पिछले कई सालों से करते रहे हैं। वैसे यदि DXN कम्पनी का स्पिरुलिना मिले तो यह सबसे अच्छा है किंतु यह दुकानों के स्थान पर इंटरनेट की सहायता से मिल सकता है क्योंकि यह डायरेक्ट सैलिंग प्रोडक्ट है।

तो यह थे कुछ सुखाव अपने शरीर में आक्सीजन की मात्रा को पर्याप्त मात्रा में बनाये रखने के लिए इस आज के लेख में बस इतना ही।

इस लेख के साथ हमने दैनिक जागरण में छपे मेरठ के एक नामी होम्योपैथिक डॉक्टर के द्वारा इस इस बीमारी से बचने ग्रसित हो जाने के बाद लेने वाली दवाईयों के बारे में बताए गए लेख का फोटो खींच कर पोस्ट किया है।

हो सकता है आपको या आपके किसी परिचित को बताई गईं दवाइयों की बहुत आवश्यकता हो। यदि ऐसा हो तो इसे अवश्य पढ़ें।

इस लेख को आत्मसात करने के लिए आप सभी का हृदय से आभार, यदि इस लेख के तथ्य आप सभी को पसंद आये तो इसे अन्यों के साथ भी शेयर अवश्य करें, क्या पता आपके द्वारा शेयर करने के कारण किसी का जीवन बच जाए।

हम आपके आपके परिवार आपके समस्त परिचितों के लिए अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

साथ ही "परमेश्वरी" से प्रार्थना करतें हैं कि वे इस विपदा के समस्त षड्यंत्र कारियों के दुषकर्मों की भरपूर सजा देते हुए अपने सभी बच्चों का ख्याल रखें।"

----------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


नोट:-1.उपरोक्त सभी बातों पर चिंतन वर्तमान पिछले वर्ष घटित होने वाली घटनाओं के आधार अनेको विद्वानों वैज्ञानिकों के कथनों पर आधारित है, कृपया इसको अन्यथा लें।

2.इससे चार पांच दिन पूर्व की अपनी पोस्ट को जिसे अभी तक लगभग 9500 लोग हमारे पेज पर देख चुके हैं,हमने, हमारे को शामिल करने वाले लगभग 100 फेस बुक ग्रुप्स में शेयर करने के लिए पोस्ट करना प्रारम्भ किया।

तो इनमें से 40 ग्रुप्स के Admins ने हमें या तो ब्लॉक कर दिया या हमारा नाम अपने ग्रुप्स से डिलीट कर दिया जिसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया क्योंकि सत्य को आत्मसात करने वाले सहजियों के ग्रुप्स में हमारा काम ही क्या है।और वैसे भी हम।किसी के भी ग्रुप्स में स्वयं नहीं जुड़े थे, हमें तो पता भी नहीं किसने हम इन सभी ग्रुप्स में जोड़ा है।

3. लगभग 60 ग्रुप्स में हमने अपनी पोस्ट शेयर की किन्तु आधे से ज्यादा ग्रुप Admins ने हमारी इस पोस्ट को शेयर करने की इजाजत नहीं दी तो हमने स्वयं 30 ग्रुप्स के करीब छोड़ दिये।

एक ग्रुप 'Words of Shree Mata Ji' के Admins ने तो हमारी पोस्ट को अनेको लोगों के द्वारा लाइक करने वाबजूद भी कुछ घंटों के बाद हटा दिया था।

क्योंकि ऐसे ग्रुप्स में रहने का भी क्या लाभ जो सत्य को समझ ही पाएं और एक सहजी के रूप में इस विश्व के लोगों के लिए कोई जिम्मेदारी ही अनुभव करते हैं।

4.उन सभी ग्रुप Admins का हृदय से आभार जिन्होंने उस पोस्ट को सर्वकल्याणकारी समझते हुए अपने ग्रुप्स में पोस्ट करने की अनुमति प्रदान की।

5.वैसे तो हम अपनी सभी पोस्ट्स को अपने पेज अपने ग्रुप्स में ही शेयर करते हैं किन्तु जिन पोस्ट्स के बारे में हमें लगता है कि इससे बहुतों को लाभ होगा और वे पोस्ट्स वर्तमान काल के लिए अति आवश्यक होती हैं।

6.राजनीतिक नेताओं की अंध भक्ति में लीन चक्षुविहीन लोग अनुभव विहीन मानसिक ज्ञान से आच्छादित जड़ मानव, कृपया हमारी पोस्ट पर वाद विवाद करने की चेष्टा करें।

जिन्हें इस इस भयानक विपदा काल में भी अपने चहेते नेताओं की भक्ति अपने मानसिक ज्ञान को सिद्ध करने की पड़ी है

हमारी पोस्टस यदि पसंद नहीं हैं तो इन्हें पढ़ें, किन्तु किसी भी हालत में शास्त्रार्थ करने की चेष्टा भी करें,अन्यथा आपके सभी कमेंट्स को डिलीट करके आपको ब्लॉक कर दिया जाएगा।

इस पोस्ट को भी हम उन बाकी के ग्रुप्स में कुछ समय बाद पोस्ट कर देंगे, यदि आपमें से किन्ही Admins को ठीक लगे तो हमें अपने ग्ग्रुप से हटा सकते हैं हम पर आपका यह उपकार ही होगा।


06-05-2021