Saturday, October 29, 2016

"Impulses'--314--"दीवाली"

"दीवाली"

"दीवाली शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है यानि दीवा+वाली, दीवा=दीपक, वाली=बालना=जलाना यानि दीपकों को जलाने की प्रक्रिया को दीवाली शब्द से दर्शाया गया हैं। अतः आप सभी को दीप प्रज्वलित करने की प्रक्रिया यानि दीवाली बहुत बहुत शुभ व् आनंदाई हो।


बाह्य रूप से दीपक जलाना तो एक प्रतीक मात्र है वास्तव में आध्यात्मिक रूप से यदि देखा जाए तो "आत्म-ज्ञान" रूपी दीपक का स्वम् के भीतर में जलना व् भीतर के प्रज्वलित दीपक के द्वारा अनेको मानवों के हृदयों में "ज्ञान" रूपी दीपकों को जलाने की प्रक्रिया ही वास्तविक दीवाली है।



आप सभी को उच्च-चेतना के 'प्रकाश' से युक्त दीपावली बहुत बहुत मुबारक हो, "श्री माँ" आप सभी को अनेकानेक 'आंतरिक' दीपकों को प्रज्वलित करने का अवसर प्रदान करें और सम्पूर्ण जगत को 'प्रेम-प्रकाश' से आलोकित करें।"


-------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

Thursday, October 27, 2016

"Impulses"--313--"धनतेरस"

"धनतेरस"


"आप सभी 'जागृत चेतनाओं' को इस 'चेतना' की ओर से "धनतेरस" पर्व की अनेकानेक शुभ कामनाएं। "परमपिता" आप सभी को वास्तविक धन-धान्य से परिपूर्ण करे।

"धनतेरस" शब्द मुख्य रूप से तीन शब्दों से मिलकर बना है यानि "धन+तेर+रस", यानि, धन=पैसा,संपत्ति,वैभव,सम्पन्नता, मान प्रतिष्ठा,यश,नाम,प्रशंसा,गुणगान,ज्ञान, समस्त विभूतियां, प्रेम एंव आत्मज्ञान।

तेर='तेरा', जो कुछ भी आपने हमें दिया है "प्रभु" वो सभी कुछ आपका ही दिया हुआ है जो आपने हमें इस सांसारिक जीवन का आनंद व् अनुभव लेने के लिए दिया है।

रस=अतः हम सभी "आपके" द्वारा प्रदान की गई समस्त धन सम्पदा,ज्ञान,विभूतियों,प्रेम व् आत्म-ज्ञान को आपके "श्री चरणों" में समर्पित कर पूर्ण मुक्त हो इस समर्पण के रस के आनंद में आनंदित हो रहे हैं।

हे "प्रभु" हमें इसी अवस्था में स्थित कर प्रतिदिन 'धनतेरस' मनाने के भाव में सदा बने रहने की हम पर अनुकम्पा करना'। ताकि हम हर दिन हर पल 'आपके' "श्री चरणों" में समर्पित रहकर अपने मानवीय जीवन को सार्थक बना सकें।

तो इस प्रकार से हमें इसी एहसास के साथ 'धनतेरस' का त्यौहार इसके वास्तविक मायनो को सार्थक करते हुए मनाने में बेहद आनंद आएगा।"


-----------------------------Naryan
"Jai Shree Mata Ji"

Saturday, October 22, 2016

"Impulses"--312--"सत्याभिव्यक्ति"

"सत्याभिव्यक्ति"

1)"दहन(प्रकाश) के लिए तीन चीजे आवश्यक हैं।
(Combution needs three things)

i) ईंधन(Fuel=Know How)
ii)अग्नि (Fire=Utilization)
iii) वायु(Oxizen=Experience)



2) आत्म ज्ञान के लिए तीन चीज जरुरी हैं,
(Self Knowledge need three things)

i) सूचना-यानि, पढ़ना, सुनना, देखना(इल्मियात=Information)
ii) प्रयोग-जाने व् समझे गए को करके देखना(अम्लियात=Activation)
iii) अनुभव-जो करके देखा है उसे अपने भीतर में धारण करना(एहसासात=Realization)



3) योग के लिए तीन विभूतियों का एकाकार होना आवश्यक है,
(Integration in three Entities is Necessary)

i) जीवात्मा (Soul)
ii) आत्मा (Spirit)
iii) परमात्मा (God)



4) जागृति के लिए तीन अवस्थाओं की उपलब्धता होनी चाहिए,
(Awakening needs three stages)

i) चित्त(Attention)
ii) चेतना(Awareness)
iii) चेतन(Lightened-ness)



5) हम सभी के भीतर 24 घंटे में तीन प्रकार के गुणों का प्रादुर्भाव होता रहता है।और हमारा चित्त इन तीन गुणों से प्रभावित भी होता रहता है, यानि,
(Our attention passes through all three mental dispositions in 24 hours)

i) तामसिक
ii)राजसिक
iii)सात्विक


6) ध्यान में गहनता पाने व् अच्छे प्रकार से विकसित होने के लिए तीन कार्य आवश्यक हैं,
(Three Works are essential for achieving depth in meditation)


i)आत्मसाक्षात्कार देना(Giving Self Realization)
ii)सहस्त्रार व् मध्य हृदय से लगातार जुड़े रहना।(Meditating)
iii)नए व् पुराने सहजियों को ध्यान में स्थापित होने में मदद करना(Helping New and Old Sahajis in establishing in meditation



7) तीन प्रकार के मानव आम जीवन में मिलते हैं,
(We meet three kinds of people in this human life)

i)कायर (चापलूस=Buttering)
ii)अहंकारी)दमनकारी=Dominating
iii)स्वाभिमानी(प्रशंसक=Self Respect Oriented)



8) मानव की तीन प्रकार की मनोवृति होती हैं,
(A human has three types of temperament)

i) आसक्ति ( Inclination)
ii) विरक्ति (Dejection)
iii) अनासक्ति (Indifferent-ness)



9) तीन प्रकार के स्वभाव मानव में परिलक्षित होते हैं,
(Three kinds of nature manifest in human behavior)

i) धूर्त(Cunning)
ii) चालाक (Clever)
iii) सरल (Innocent)



10) मानवीय चेतना के विकास में तीन सहायक मदद करते हैं,
(Three helpers are there to develop human awareness)

i) मन (Mind)
ii) मस्तिष्क (Brain)
iii) हृदय (Heart)



11) मानव के भीतर तीन मित्र निवास करते हैं,
(A human has three friends within)

i) विवेक(Rationality)
ii) बुद्धि(Wisdom)
iii) विद्वता(Intellect)



12) सत्यनिष्ठ मानव की तीन बातों में समानता अवश्य होनी चाहिए,
(Three things must have oneness in a Truthful Human)

i) मन(Mind)
ii) वचन(Speaking)
iii) कर्म(Working)



13) तीन चीजों पर कभी गर्व नहीं करना चाहिए,
(We must never proud for three things)

i) तन(External Appearance)
ii) मन(Mental Ability)
iii) धन(Money and Wealth)



14) तीन चीजे एक जीवन में कभी वापस नहीं आतीं,
(Three stages never come back in one life)

i) जवानी(Youth-ness)
ii) बीता हुआ समय(Spent Time)
iii) मुख से निकली बात(Spoken Words)



15) तीन चीजों के लिए कभी अफ़सोस नहीं करना चाहिए,
(We should never regret for three things)

i) मृत्यु(Death)
ii) हानि(Losses)
iii) खाये गए भोजन(Eaten Food)



16) तीन चीजे भाग्यशाली लोगों को ही नसीब होती हैं,
(Three things use to be available for fateful persons)

i) पेटभर भोजन(Full Diet)
ii) सुखद निद्रा(Sound Sleep)
iii) अच्छा स्वस्थ(Good Health)



17) स्थूल संसार को सुचारू रूप से चलाने व् गतिमान रखने के लिए "परमपिता" ने 'सत्य' को तीन भागों में विभक्त किया है,
(Truth has been divided into three forms to run this materialistic world by "Almighty")

i) वर्तमान काल(Present)
ii) भूत काल(Past)
iii) भविष्य काल(Future)



18) मातृत्व तीन गुणों से परिपूर्ण होता है,
(A True Mother is fulfilled by three traits)

i)वात्सल्य(Compassion)
ii)प्रेम(Love)
iii)करुणा(Humility)



19) पितृत्व तीन गुणों से सुसज्जित होता हैं,
(A Real Father must be equipped with three qualities)

i) सौरक्षण(Protection)
ii) अनुशासन(Discipline)
iii) आश्वासन(Assurance)



20)एक सच्चा मित्र तीन परिस्थितयों में सदा साथ खड़ा मिलता है,
(A Genuine Friend is always there in three situations),


i) संकट की घडी में(Adversity)
ii) उपलब्धियों का जश्न मानते समय(At Celebration Time)
Iii) अनिर्णय व् असमंजस की स्थिति में(At the time of Indecisiveness and Bewildered-ness)

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"Jai Shree Mata Ji"