Saturday, October 1, 2016

"Impulses"--307

"Impulses"


1)"हमारा मानवीय जीवन अनेकानेक अनुभवों का खजाना है, अज्ञानता व् तूलनावश केवल एक ही प्रकार के अनुभव से चिपक जाना और उसी अनुभव के साथ निरंतर जुड़े रहने का यत्न करना और उस विशिष्ट अनुभव से जुड़ पाने के कारण स्वम् को दुखी रखना इस सुन्दर जीवन की उपयोगिता को नष्ट करना ही है

ये तो बिलकुल ऐसा ही है कि एक सुन्दर से उपवन में जाकर अपने मन को पसंद आने वाले केवल एक ही प्रकार के फूलों को निहारते रह जाना  अतः इस अदभुत मानवीय जीवन के हर तथ्य से गुजरना ही जीवन का सौंदर्य व् उपयोगिता है।

अन्यथा उन छूटे हुए तथ्यों व् अनुभवों को प्राप्त करने के लिए हमें बारम्बार इस धरा पर जन्म लेना पड़ेगा और जन्म लेने की प्रक्रिया के समस्त कष्टों को बारम्बार भोगना होगा जो निर्थक है।


तो क्यों इस वर्तमान जीवन, जो "परमात्मा" की 'अनुकंम्पा' के रूप में हमें मिला है, के समस्त घटनाक्रमों व् अनुभूतियों को चाहे वो हमारे मन को आनददाई लगें या दुखद, को पूर्ण आनंद, स्वेच्छा व् स्वीक्रोत्ति से जीकर "मोक्ष" के अधिकारी बनें "



2)"एक साधारण मानव जीवन आम हालात में जीवन-मरण के बीच में ही चलता रहता है, शरीर से वो जरूर एक ही बार मरता है परंतु मन में जीने मरने का सिलसिला लगातार चलता रहता है।

थोड़ी सी सांसारिक ख़ुशी मानव को जिला देती है और हलकी सी दुःख-तकलीफ की बदली उसको अनेको बार भीतर ही भीतर मरने पर मजबूर कर देती है यह सब कुछ चलता ही जाता है और मानव एक ही जीवन में अनेको बार जीता व् मरता रहता है।

अमर होने का एक ही उपाय है और वो है "प्रभु" के शरणागत हो जाना, एक बार पूर्ण समर्पित भाव से यहाँ आकर कभी मरा नहीं जाता वरन अमरत्व की अनुभूति ही लगातार बनी रहती है "

-------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"

No comments:

Post a Comment