Thursday, October 27, 2016

"Impulses"--313--"धनतेरस"

"धनतेरस"


"आप सभी 'जागृत चेतनाओं' को इस 'चेतना' की ओर से "धनतेरस" पर्व की अनेकानेक शुभ कामनाएं। "परमपिता" आप सभी को वास्तविक धन-धान्य से परिपूर्ण करे।

"धनतेरस" शब्द मुख्य रूप से तीन शब्दों से मिलकर बना है यानि "धन+तेर+रस", यानि, धन=पैसा,संपत्ति,वैभव,सम्पन्नता, मान प्रतिष्ठा,यश,नाम,प्रशंसा,गुणगान,ज्ञान, समस्त विभूतियां, प्रेम एंव आत्मज्ञान।

तेर='तेरा', जो कुछ भी आपने हमें दिया है "प्रभु" वो सभी कुछ आपका ही दिया हुआ है जो आपने हमें इस सांसारिक जीवन का आनंद व् अनुभव लेने के लिए दिया है।

रस=अतः हम सभी "आपके" द्वारा प्रदान की गई समस्त धन सम्पदा,ज्ञान,विभूतियों,प्रेम व् आत्म-ज्ञान को आपके "श्री चरणों" में समर्पित कर पूर्ण मुक्त हो इस समर्पण के रस के आनंद में आनंदित हो रहे हैं।

हे "प्रभु" हमें इसी अवस्था में स्थित कर प्रतिदिन 'धनतेरस' मनाने के भाव में सदा बने रहने की हम पर अनुकम्पा करना'। ताकि हम हर दिन हर पल 'आपके' "श्री चरणों" में समर्पित रहकर अपने मानवीय जीवन को सार्थक बना सकें।

तो इस प्रकार से हमें इसी एहसास के साथ 'धनतेरस' का त्यौहार इसके वास्तविक मायनो को सार्थक करते हुए मनाने में बेहद आनंद आएगा।"


-----------------------------Naryan
"Jai Shree Mata Ji"

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