Friday, September 29, 2023

"Impulses"--656--"शास्वत रिश्ते"

"शास्वत रिश्ते"


"जिस प्रकार डीप फ्रिज के भीतर बर्फ में दबा हुआ भोजन महीनों तक तरो-ताजा रहता है।

उसी प्रकार से निर्वाजय प्रेम से सींचे गए आत्मिक रिश्ते सदा सनातन होते हैं और वे सदा प्रेम,करुणा,आनंद, सम्मान प्रसन्नता का ही संचार करते हैं।

ऐसे निर्मल अनमोल रिश्ते बरसों तक आपसी बातचीत होने पुनः मिल पाने पर भी एक दूसरे से कभी कोई शिकायत नहीं करते।

वे तो इस प्रकार के लंबे काल-अंतराल का बुरा मानते हैं और इसके लिए आपस में उल्हाना ही देते हैं।

ऐसी दिव्य आत्मीयता से सराबोर मानवों को जब भी कभी आपस में मिलने बातचीत करने का अवसर मिलता है तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि अभी कल ही तो मिले थे।

क्योंकि वे एक दूसरे के हृदय के द्वारा मूक संवाद के जरिये जुड़े रहते जो उनकी जीवात्माओं के मध्य निरंतर चलता ही रहता है।

इसके विपरीत जो लोग इन बातों को लेकर आपस में बुरा मानते हुए एक दूसरे को भला बुरा कहते रहते हैं।अथवा अन्य लोगों के बीच एक दूसरे की पीठ पीछे एक दूसरे की बुराई करते रहते हैं।

वे वास्तव में एक दूसरे से जुड़े ही नहीं होते बस अपने उन तथाकथित रिश्तों को एक दूसरे पर लादते हुए एक दूसरे की चेतना पर सदा दवाब ही बनाये रखते हैं।

यही नहीं इस प्रकार के व्यक्ति रिश्तों के नाम पर निरंतर एक दूसरे को किसी किसी बात पर पीड़ा ही पहुंचाते रहते हैं।

ऐसे रिश्तों को ढोने के स्थान पर उन रिश्तों से दूर हो जाना ही श्रेष्ठ होता है।यदि बाहरी रूप से सम्भव हो तो अंदरूनी रूप से ऐसे रिश्तों को समाप्त कर देना चाहिए।

ताकि शांतिपूर्ण जीवन जीते हुए इस अनमोल मानवीय जीवन को सार्थक बनाया जा सके।

वास्तव में "परमपिता" ने हम सभी की जीवात्माओं को मानवीय देहावरण प्रदान कर एक दूसरे की चेतनाओं की विकास प्रक्रिया में एक दूसरे की मदद करने के लिए ही रिश्तों के रूप में स्थापित किया है।

जिसके लिए शांति,प्रेम,वात्सल्य,सौहार्द,सामंजस्यता,समन्वयता आपसी समझ का वातावरण अति आवश्यक है।"


----------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


11-01-2022

 


Monday, September 18, 2023

"Impulses"--655--"भारत "-'विभिन्न संस्कृतियों का उपवन '

 "भारत "-'विभिन्न संस्कृतियों का उपवन '

"हमारा 'भारत' महान था,महान है और सदा महान ही रहेगा क्योंकि यह मिलीजुली संस्कृतियों,आस्था,श्रद्धा,विश्वास का एक 'उपवन' है।

जो सदा आपसी प्रेम,सहृदयता, सहिष्णुता,समन्वयता,सामंजस्यता,सहयोग,सरलता,सौहार्द,शांति,अमन,चैन सम्मान के जल से सींचा जाता रहा है और सींचा जाता रहेगा।

जो भी घिनौने स्वार्थी लोग अपनी अनंत अमानवीय लालसाओं को पूरा करने के लिए मानवता,'प्रकृति' "परमात्मा" विरोधी कार्यों षड्यंत्रों के द्वारा इस सुंदर उपवन को 'बबूल की नर्सरी' में परिवर्तित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं।

वे इस उपवन का सौरक्षण देखभाल करने वाली "ईश्वरीय शक्तियों" के द्वारा स्वतः ही नष्ट कर दिए जाएंगे जैसे एक किसान अपनी फसल बचाने के लिए खेत में उगे खरपतवारों को उखाड़ कर फेंक देता है।

बस इस 'दिव्य उपवन' में आनंद के साथ विचरण करने वाले हम लोगों को केवल इतना ही करना है कि हमारे आसपास जो भी बबूल नजर आएं उन्हें रेगिस्तान भेजने(बहिष्कार)का प्रबंध करना है।

एक समय आएगा जब सारे के सारे ये बबूल फिर से रेगिस्तान में अकेले अकेले ही खड़े मिलेंगे और हमारा यह उपवन फिर से महकेगा।"


------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


27-12-2021

 

Monday, September 11, 2023

"Impulses"--654-'अमन' अवस्था'

 "अमन' अवस्था"


"मानव को अपने वर्तमान जीवन काल का सदुपयोग करते हुए ध्यान के माध्यम से "प्रभु" के सानिग्ध्यय में रहकर मन रहित स्थिति को ज्यादा से ज्यादा बनाये रखने का निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।

*क्योंकि पूर्ण 'अमन' अवस्था में ही 'जीवात्मा' स्थूल देह का त्याग करती है।*

 यदि 'मनरहितता' मानव की चेतना में स्थापित हो पाए तो 'मृत्यु काल' अत्यंत लंम्बा और पीड़ा दायक हो जाता है।

तो क्यों सजगता पूर्वक अपने जीवन की 'सांझ' से पूर्व ही अपने अंतःकरण को मन के पाश से मुक्त कर लिया जाय।"



--------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


23-12-2021