Monday, September 28, 2020

"Impulses"--537--"Old Friendship is a Boon"

"Old Friendship is a Boon"


"How lucky we all are if we have got such a Genuine Friends around who's Heart Pulsate out of Care and Love for each other's.


Irrespective of Different Status,


Different Notions,


Different Approach towards Gross Life,


Different Aptitude,


Different Temperament,


Different Mental Conditioning,


Different Level of Awareness,


Different Living Standard,


and Different Perception,


we all are One somewhere, bonded together by the 'Web of Pure Love' at Heart Level.


Because we have spent several Days together in all kinds of Situations and Circumstances even in Extreme Adversities.


We stood firmly with each other's in Rainy Days,


We shouldered several kinds of Difficulties of each other's happily without any kind of If & But,


We consoled and provided solace to each other's in Unfavorable Circumstances,


We Unburdened each other's from different kinds of Personal and Collective Responsibilities with Courage and Zeal,


We Laughed Together,


we Cherished Together,


We Enjoyed the Success Together,


We Relished Parties,


We joked together,


We cried together,


We worried for something together,


We quarreled together,


Some times we became angry with each other's over some petty things,


Some times we stopped talking with each other's out of annoyance due to some misunderstanding,


Some times we discarded each other's act due to half knowledge,


Or due to self baked thoughts,


Or due to some one's mischievous intentions,


Or due to wrong evaluation & analysis,


Or due to being prejudice,


Or due to feeling Incompetent/ Inefficient/Inferior/Superior or due to any kind of thinking.


In spite of hundred kinds of Discrepancies & Differences we often feel each others Heart into our own Heart.


Though we do not call or talk to each other's for years due to Busy Routine life but we feel connected with Each Other's Heart.


When ever we remember our Beautiful & Joyous Past, the quality time, we spent Together, our Heart expresses Joy.


Whereas we have achieved lots of things Great in our life still then we realize those moments very precious.


It's a fact that some of us might be discriminating by Acknowledging our present Status with others.


Some of us might feel little pride for ourselves over our Materialistic Attainments in the comparison of others.


Yet we often feel such friends into our Sub Conscious smiling/ whispering/chating with welcoming expression.


My Awareness knows very well that this Blissful & Loving Friendhip will soothe our Soul right at the time of our Final Departure.


Everybody has to go back to One's "Origin" again as most of us has completed 70% to 80% of our Journey as per average Life Span.


So my Heart request every friend to be connected/to be in touch/to have a rapport with Each Other to enjoy this Unique Togetherness till our Last Breath.


For the last 20 yrs I have come across hundreds of people closely who were lacking Real Friends, Love, Compassion, Care inspite of possessing everything in their Life.


This expression is dedicated to 'Those' who still have such friends in their lives, they are really blessed people.


Such kinds of Beautiful & Selfless Friendship can be established among Sahajis too, if their Hearts get open by the Grace of "Shree Maa."


------------------------------------------------Narayan
".Jai Shree Mata Ji"



July 8 ·2020

Friday, September 18, 2020

"Impulses"--536--"धर्म"

"धर्म"


"आज के काल में हम देखते हैं कि हमारे चारों तरफ अनेको धर्मो के अनुयायी नजर आते हैं। और अपने अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ समझते हुए अन्य धर्मों को अक्सर हेय दृष्टि से देखते हैं।


यहां तक कि धर्मिक रूप से कट्टर बनकर अन्य धर्म के लोगों को मारने पर उतारू हो जाते हैं। और अक्सर एक दूसरे के खून के प्यासे बन कर एक दूसरे का खून बहाने से भी नहीं चूकते।


हद तो तब हो जाती है जब धर्म के नाम पर अन्य धर्मों के लोगों की हत्या तक कर देते हैं। जो कि पूर्णतया "ईश्वर" की खिलाफत करना ही होता है।

तो भला ऐसे व्यक्ति धर्मिक कैसे हो सकते हैं जो मानवता को ही लज्जित कर दें।


हमारी छोटी सी समझ चेतना के अनुसार जितने भी धर्म हैं वे चाहे कितने भी एक दूसरे से भिन्न नजर आते हों किन्तु इन सबका एक ही लक्ष्य है।


और वो है मानवता की राह पर चलने की हमें शिक्षा प्रदान करना इसकी सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए हमारी समझ को विकसित करना।


क्योंकि मानव के आज तक के इतिहास में इस धरा पर जो सबसे बड़ा धर्म है वह है मानव धर्म।


जितने भी धर्म "परमात्मा" से जुड़ने के लिए आज तक हमारे सद गुरुओं ज्ञानियों ने बनाये हैं। वे सभी सर्वप्रथम मानव को मानव धर्म में स्थापित होने की बात ही सिखाते हैं।


और जब कोई मानव, मानवता के धर्म में अच्छे से स्थापित हो जाता है। तब "परमपिता" उसे किसी किसी सदमार्ग के द्वारा अपने नजदीक आने का साधन प्रदान करते हैं।


और उस ध्यान-धारणा रूपी साधन के माध्यम से जब वह गहन ध्यान में उतने के अभ्यास के द्वारा "उनको" अपने हृदय में स्थापित कर लेता है।


तब उसमें अपनी आत्मा के माध्यम से "प्रभु" से वार्तालाप करने की सक्षमता प्राप्त होने लगती है। और वह "हृदेश्वर" के द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रेरणाओं के माध्यम से कार्य करने लगता है।


तो वह "उनके" एक सुंदर से 'यंत्र' रूप में विकसित होता हुआ धीरे धीरे "उनका" प्रतिनिधि बन जाता है और "उनकी" सन्तान के रूप में जाना जाता है।


यानि किसी भी धर्म का पूर्ण निष्ठा, श्रद्धा लगन के साथ पालन करने से हम अच्छे इंसान बन सकते हैं। और जब अच्छे इंसान बन जाते हैं तब "परमेश्वर" हमें अपने से जोड़ने की व्यवस्था करते हैं।


और "उनसे" जुड़ने के बाद हम उनके सन्देश वाहक बन जाते हैं और अपने मानवीय जीवन को सार्थक कर पाते हैं। यानि पहले हम धार्मिक होते हैं और फिर सही मायनों में मानव बनते हैं और फिर आध्यात्मिक हो जाते हैं।


किन्तु जो भी लोग धर्म के नाम पर लड़ते हैं, उत्पीड़न करते हैं, अन्य लोगों को तकलीफ पहुंचाते हैं, अन्य धर्मों का अनादर करते हैं धर्मांध होकर हत्या तक कर डालते हैं वे कभी भी धर्मिक नहीं हो सकते। फिर चाहे वे रात दिन मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे चर्च में ही क्यों रहते हों।


क्योंकि कोई भी धर्म, अधर्म करने की तो कभी इजाजत देता है, ही कभी किसी का अनादर करना ही सिखाता और ही किसी को तकलीफ देता है।


*हैरानी तब और भी बढ़ जाती है जब "श्री माँ" के बताए मार्ग 'सहज योग' को अपनाने वाले तथाकथित सहजी। अन्य सहजियों को अपने किन्ही स्वार्थों, अहंकार, दमित कुंठाओं शासन करने की इच्छा की पूर्ति के चलते उत्पीड़ित करते हैं।


तो हम जैसे मामूली साधकों के हृदय में प्रश्न पूर्ण भाव आते हैं, कि क्या ये लोग इंसान भी हैं कि नहीं ?


क्या ये सहज "श्री माँ" का अनुसरण करते भी हैं कि नहीं ?


या ऐसे ही 'सहज' को दिखावे के लिए चादर की तरह अपने अस्तित्व पर लपेटा हुआ है ?*


धर्म शब्द में ही इसका बहुत गहरा मतलब समाहित है। धर्म शब्द ढाई अक्षरों से मिलकर बना है। यदि हम इसका सन्धि विच्छेद करें तो:-


=धारण करना,


='ईश्वरीय शक्ति',


=मानव


यानि जो मानव 'परमेश्वरी शक्ति' को धारण कर लेता है वह 'धर्म' को अपना लेता है। यानि सही मायनों में 'धार्मिक' हो जाता है।


--------------------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"



June 24 2020

Wednesday, September 9, 2020

"Impulses"--535--"अनाथ भारत"

"अनाथ भारत "

 जय श्री माता जी, आप सभी जागरूक चेतनाओं से देश के हालात के बारे में पिछले 4 साल के अपने गहन अध्ययन आंतरिक अनुभूति के आधार पर यह कहना चाह रहे हैं।

कि आज के हालात में हमारा देश राजनीतिक कूटनीतिक स्तर पर पूर्णतया अनाथ है। क्योंकि वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी ने आज समूचे विपक्ष को या तो खरीद लिया है या डरा धमका कर निष्क्रिय कर दिया है।

अतः हमारे देश का वर्तमान भविष्य पूर्णतया अंधकार में डूबता ही जा रहा है जिसके इन हालातों में ठीक होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं।

अतः हम सभी जागरूक आम नागरिकों को विपक्ष की भूमिका में अप्रत्यक्ष रूप में देश देश की जनता को बचाने के लिए कमर कसनी होगी।

"श्री माता जी" ने भी विश्व को बचाने की जिम्मेदारी हम सभी 'जागृत चेतनाओं' पर ही डाली है। इसलिए हम सभी को अपने चित्त चेतना की शक्तियों से निरंतर ध्यानस्थ अवस्था में रहकर कार्य करते रहना पड़ेगा।

वर्ना यह समझ लीजिए कि हमारा देश आज की तिथि में अप्रत्यक्ष रूप से गुलाम हो ही चुका है। इसको बचाने के लिए आंतरिक शक्तियों की सहायता से संघर्ष करना होगा।

*अच्छे से समझ लीजिए एक प्रकार से हम सभी 'प्रकाशित चेतनाओं' पर ही अपने देश को बचाने का दायित्व गया है।*

किन्तु इसके लिए बाहर से कुछ भी करने की जरूरत नहीं है किंतु हमें केवल बाह्य घटनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ानी है।

हम यह महसूस करते हैं कि हमारे ज्यादातर सहजियों में से विशेष तौर पर महिला सहजियों को अपने देश विश्व के अन्य देशों के हालातों के बारे में के बराबर पता होता है।

यदि कुछ टेलीविजन अखबार के माध्यम से जान भी जाते हैं तो वह अक्सर पूर्णतया सत्य नहीं होता है।

विशेष तौर से हमारे देश का जो मीडिया अधिकतर अखबार हैं वे तो मात्र सत्तासीन सरकार के गुलाम बन कर रह गए हैं। जो सुबह से शाम तक केवल और केवल वर्तमान सरकार की चाटुकारिता ही करते रहते हैं।

बल्कि हम तो यह कहने में भी गुरेज नहीं करेंगे कि हमारे देश की वर्तमान सत्ता पिछले छै सालों से मीडिया अखबारों का इस्तेमाल भारत की आम जनता का ब्रेन वाश करने में ही कर रही है।

और हमारे देश की हालत प्रतिदिन हर स्तर पर बुरे से बुरी ही होती जा रही है जिसके कारण हमारे देश की 70% गरीब मध्य वर्गीय जनता अत्यंत पीड़ित है।

यहां तक कि हमारे देश के करोड़ो लोग भूख बेरोजगारी से पिछले 4 सालों से बिलख रहे हैं। और इनका आंकड़ा प्रतिदिन दिन दूनी रात चौगनी गति से बढ़ता ही जा रहा है।

हमारे देश में हर दिन 40-45 किसान अन्य बेरोजगार आत्महत्याएं कर रहे हैं। साथ ही देश का वातावरण बद से बदतर होता जा रहा है, हर प्रकार की अमानवीयता हमारे देश में परिलक्षित होने लगी है।

यह सब हम सभी अपने चारों ओर देख रहे हैं और अपने देश विश्व के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि हममें से ज्यादातर सहजियों को हमारे देश की वास्तविक स्थिति का वास्तव में पता ही नहीं है।

यदि आप टेलीविजन अखबार की खबरों का त्याग कर कुछ सच्चे पत्रकारों की बातों को उनके यूट्यूब चैनल पर सुनेंगे/देखेंगे।

जो सत्य तथ्यों पर प्रूफ के साथ विवेचना करते हैं तो आप हैरान रह जाएंगे कि जो हम टी वी अखबार में देखते/पढ़ते हैं वह कितना गलत होता है।

यदि आप "श्री माता जी" से वास्तव में प्रेम करते हैं तो सचेत हो जाइए सत्य के प्रति खोज खबर रखने के लिए कमर कस लीजिए।

वैसे हमारे कुछ सच्चे निष्पक्ष सहजी सत्य/असत्य बातों को अपनी फेस बुक पोस्ट के जरिये निरंतर हाई लाइट करते रहते हैं। आप उनकी पोस्ट्स के जरिये भी हमारे देश की वर्तमान स्थिति के बारे में जान सकते हैं।

और यदि कोई असत्य सामने आता है तो "श्री माँ" से प्रार्थना करते हुए उस पर चित्त चेतना से निरंतर कार्य करते रहिए है।

इससे दो लाभ होंगे, एक तो आप सभी का ध्यान गहन होता जाएगा और दूसरे "श्री माता जी" के 'सच्चे बालक' बनने का भी कर्तव्य पूरा कर रहे होंगे।

*क्योंकि कोई भी चित्त का कार्य बिना ध्यान की गहनता में उतरे किया ही नहीं जा सकता।*

आशा है आप सभी "श्री माँ" के अच्छे यंत्र बनने के साथ साथ 'सच्चे देश भक्त' होने का कर्तव्य निभाने के लिए अवश्य तत्पर होंगे।

*किसी भी सत्तासीन सरकार की विचार धारा कार्यों का अंधानुकरण करना तो देशभक्ति है और ही राष्ट्रवादिता है।*

यदि ऐसा होता तो आज भी अंग्रेजों का शासन हमारे देश पर होता।

आज ये हैं कल दूसरे होंगे, यह सब तो बदलते रहते हैं, और जो नहीं बदलता वह है हमारा प्यारा देश भारत और इसके भारत वासी।"

"सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा"

------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"



June 21 2020