Thursday, December 28, 2023

"Impulses"-658-"जागो और जगाओ अपने विश्व को बचाओ"

 "जागो और जगाओ अपने विश्व को बचाओ"


"समस्त निर्मल चेतनाओं को इस साधक का हृदय से प्रणाम .

आपमें से बहुत से लोग पिछले दो वर्षो से अनुभव कर ही रहे होंगे कि यह जो काल है वह मानव जाति के लिए कितना हानिकारक है।

पूरे विश्व में तथाकथित 'बीमारी' के नाम पर अनेको तरीकों से मानवता का गला घोंटा जा रहा है।

आम मानव की स्वत्रंता पर किसी किसी बहाने से लगभग हर देश की सरकारें लगातार कुठाराघात कर रहीं हैं।

उक्त बीमारी के इलाज के नाम पर जबरन मानव देह में जहरीले तत्व डाले जा रहे हैं ताकि आम लोग गंभीर रोगों से ग्रसित हो जाएं।

और दवाई माफियाओं की तिजोरी दिन दूनी रात चौगनी गति से भरती रहें और सत्ता में ऊंचे ओहदों पर बैठे हुए लोगों की धन सम्पत्ति इन कम्पनियों की मेहरबानी से निरंतर बढ़ती रहे।

हमारे कई नजदीकी लोग इस जहरीली दवाइयों के रिएक्शन के कारण कालकवलित हो चुके हैं कुछ गम्भीर बीमारियों से संघर्ष कर रहे हैं।पिछले वर्ष भी हमने इन विषयों पर पोस्ट डाली थी।

यह बात विश्व के कई नामी वैज्ञानिकों डॉक्टरों के द्वारा प्रमाणित हो चुकी है कि इन जहरीली दवाइयों से मानव देह की प्राकृतिक रोग निरोधक क्षमता शून्य हो जाती है जिसके कारण कई अन्य गम्भीर बीमारियां पनपने लगती है।

हमारे देश का तो विश्व में सबसे ज्यादा बुरा हाल है क्योंकि पिछले चार पांच वर्षों से तो यहां पहले ही अराजकता,झगड़े,बेरोजगारी,हिंसा,धार्मिक कट्टरता,धर्मगत घृणा,जात-पांत,स्वर्ण-दलित आदि का जहर फैला हुआ है।

यह देखकर अत्यंत आश्चर्य होता है कि विषैली दवाई के मुद्दे पर सत्ता पक्ष विपक्ष एक साथ होकर एक ही सुर में बोल रहे हैं।

जबकि राजनैतिक सत्ता में बने रहने सत्ता पाने की होड़ में सभी राजनैतिक दल के नेता एक दूसरे पर निरंतर कीचड़ उछालते रहते हैं।हैरानी की बात यह है कि हमारे देश के स्वास्थ्य विभाग ने इस दवाई को ऐच्छिक घोषित किया हुआ है।

किंतु फिर भी हर राज्य की सरकारें इस दवाई को जबरन नागरिकों के जिस्मों में विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपना कर आम नागरिकों को इसे ग्रहण करने के लिए मजबूर कर रही हैं।

और अब तो चंद रोज पहले केंद्रीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस दवाई के ऐच्छिक होने किसी भी मकसद के लिए इस दवाई को जबरन देने का हलफनामा भी दिया है।

फिर भी राज्य सरकारों और स्वयम केंद्र शासित प्रदेशों में इस दवाई को जबरन देने के लिए प्रशासन पुलिस के द्वारा अंधेरगर्दी जारी है।

और अब तो हमारी अगली पीढ़ी को रोगी बनाने के लिए 'ट्रायल' बेसिस की दवाइयां भी स्कूलों में बिना किसी लिखित आदेश के जबरन दिलवाईं जा रही हैं।

यह बीमारी कितनी झूठी है इसका पर्दाफाश किसान आंदोलन चुनावी रैलियों से चला।आम लोगों के लिए जबरन जहर बुझी सूई,मुख आवरण चालान और चुनावी रैलियों में रत नेता गणों को पूर्णतया छूट।

मानो इन लोगों के स्थूल शरीर पूर्ण अमरत्व को प्राप्त हो चुके हों और इस बीमारी ने इन्हें पूर्ण रूप से मुक्ति प्रदान कर दी है।

यदि यह वास्तव में एक भयानक बीमारी होती तो ये नेतागण चुनावी रैली या अन्य सामूहिक आयोजन करने के स्थान पर अपनी खिड़कियों से बाहर तक नहीं नहीं झांकते।

वास्तव इन राजनैतिक नेताओं बड़े धन कुबेरों में से शायद ही किसी ने यह दवाई अपने शरीरों में डलवाई हो क्योंकि ये लोग तो अच्छे से जानते हैं कि इसमें क्या पड़ा हुआ है और यह वास्तविक बीमारी है ही नहीं।

अब आप में से अनेको लोगों के मन में एक प्रश्न कौंध रहा होगा कि यदि यह तथाकथित बीमारी झूठी थी तो इतने सारे लोगों ने अपने प्राण क्यों गंवाए ?

आपका प्रश्न एकदम वाजिब है,हमारे अध्यन चिंतन के अनुसार इतनी सारी मौतों का श्रेय केवल दो चीजों पर जाता है,थोड़ा खुले हृदय से समझने की चेष्टा कीजियेगा।

याद कीजिये जब इस बीमारी के बारे में मीडिया चैनल्स,अखबारों कुछ वीडियो क्लिप्स के जरिये ही पता चला था।

और उसके बाद क्रिकेट की कमेंट्री की तरह संक्रमण की गिनती लगातार आनी प्रारम्भ हो गयी थी जिनको विभिन्न लहरों के नाम से आज तक नवाजा जा रहा है।

क्या इससे पूर्व बदलते मौसम में घर घर में वायरल फीवर नहीं होता था ?

जरा याद लीजिए कई बार तो घर के सारे सदस्य बीमार हो जाते थे।और गली मोहल्लों में इलाज करने वाले डॉक्टर,वैद्य,हकीमों के साधारण से इलाज से ही 3 से लेकर 7 दिनों में स्वतः ही ठीक हो जाया करते थे।

जरा याद कीजिये हमारे देश में पहली बार में दो माह के लिए यकायक सब कुछ रोक दिया गया।

ताकि हम सभी पूरी तरह अपने काम धंधे छोड़ कर सारे दिन इन नकारात्मक डरावनी खबरों को सुन सुन कर इस बीमारी की तथाकथित भयानकता के सत्य के प्रति अपने दिमाग को कंडीशंड करलें।

और अपनी विवेकशीलता की तिलांजलि देते हुए अपनी तर्क शक्ति का पूर्णतया ह्रास कर मीडिया की हर बात की सच मानने लगें।

इस भय को कामयाब बंनाने के लिए हर प्रकार की इलाज पद्यतियों पैथियों के सभी हॉस्पिटल,क्लिनिक केंद्र जबरन बंद करा दिए गए।

और इस बीमारी के नाम पर केवल दो तीन किस्म की 'वर्जित' दवाइयां सुनिश्चित कर दी गईं जो मानव शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।

जो अन्य बीमारियों के मरीज थे उनको भी जबरन इसी बीमारी के वर्ग में डाल कर उनको उनकी वास्तविक बीमारी के इलाज से वंचित कर दिया गया।

यहां तक कि दुर्घटना के मामलों को भी इस बीमारी के नाम कर बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या बढ़ा कर इसका डर जनमानस के मन में पूरी तरह फैला दिया गया।

और डर इसलिए फैलाना था कि इस झूठी बीमारी के इलाज के नाम पर सबके शरीरों में सुई के जरिये जबरन जहरीले तत्व डालें जा सकें।

ताकि 1 घण्टे से लेकर आगामी 5-10 वर्षो में लोग इस जहरीली दवाई के रिएक्शनस के कारण गम्भीर रोगों का शिकार हो सकें और फार्मा व्यवसाय खूब फलता फूलता रहे।

तो तथाकथित पहली लहर में मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों का पहला कारण था,उनकी पूर्व बीमारियों का ठीक प्रकार से इलाज होना अत्यंत हानिकारक वर्जित दवाइयों का दिया जाना।

अब आते हैं दूसरी लहर पर, इस काल में एक घटना क्रम को लगभग सभी राज्यों की सरकारों के द्वारा अंजाम दिया गया।

वो था उच्च आवृति पर 'पांच-जी' की टेस्टिंग जिसके परिणाम स्वरूप आंतरिक रूप से कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के शरीर में 'जीवन वायु' घटने लगी।

जिसके कारण उनके फेफड़ों में संक्रमण तेजी से फैला और उचित इलाज संसाधनों के आभाव के चलते उन्हें अपने प्राण गंवाने पड़े।

याद कीजिये सबसे पहले 'पांच जी' की टेस्टिंग महाराष्ट्र में हुई थी,और सबसे पहले तेजी से मृत्य दर वहीं पर बढ़ी थी।उसके बाद जहां जहां यह टेस्टिंग होती रही वहां वहां लोगों के तेजी से मरने का सिलसिला बढ़ता गया।

यह टेस्टिंग का सिलसिला एक के बाद एक चरणों में हमारे देश के लगभग सभी राज्यों में 15-20 दिन चला और हमारे देश में लाशों के अंबार लग गया।

अभी दो तीन दिन पूर्व ही आपने पढ़ा/सुना होगा कि 'पांच जी' के कारण अमरीका में प्लेन नहीं उड़ाए जा रहे हैं।

और भारत ने भी अमेरिका के लिए अपनी उड़ानों पर पाबन्दी लगा दी है क्योंकि इसकी 'विशेष आवृति' की तरंगें हवाई जहाज की सूचना प्रणाली को अवरुद्ध करती हैं।

हमने मार्च 2020 में कुछ वैज्ञानिको की रिपोर्ट का अध्यन किया था जिसमें प्रमाणित किया गया था।कि 'पांच जी' की तीव्र तीक्ष्ण आवृति मानवीय शरीर के सेल्स को अत्याधिक सक्रिय कर देती है जिसके कारण गला सूखने लगता है और गले में कांटे जैसे चुभने लगते हैं, यह हमने उस दौरान स्वयं अनुभव किया है।

जिसके परिणाम स्वरूप मानव शरीर में यदि किसी भी विषाणु की उपस्थिति है तो वे सेल्स की अतिसक्रियता के कारण बहुत तेजी से फैल जाते हैं।

साथ ही एक और रिपोर्ट हमने पढ़ी थी कि अमेरिकन आर्मी के जर्नल्स(पत्रिका)में 'पांच जी' तकनीक एक शस्त्र के रूप में वर्णित है।

हां यदि हम इसकी तरंगों की आवृति को केवल कम्युनिकेशन के लिए ही प्रगोग करते हैं तो ये इतनी हानिकारक नहीं है।

किन्तु इसकी तरंगों को आवश्यकतानुसार बढ़ाया घटाया जा सकता है यह बात सुनिश्चित सत्य है।

अब जरा चिंतन कीजिये कि हर वर्ष होने वाली साधारण सी सीजनल बीमारी को इस तकनीक की मदद से भयानक बनाया जा सकता है।

समझने वाली बात यह है कि पिछले वर्ष होने वाली लाखों मौतों के घटनाक्रम की उस भयावह स्थिति से एक दो दिन पूर्व ही हमारे देश के लगभग सभी बड़े कारपोरेट देश की बड़ी हस्तियां देश छोड़ कर इंग्लैंड चले गए थे।

मानो इन सभी को यह पता था कि हमारे देश में यह त्रासदी आने वाली है।एक और हास्यपद बात यह है कि हर बार यह बीमारी नए नए नामों से अलग अलग स्थानों पर प्रगट होती है।

फिर जबरन इसके गलत सलत टेस्ट होने शुरू हो जाते हैं और यह अचानक से (मीडिया के जरिये) पूरे विश्व में फैल भी जाती है।

आश्चर्य की बात यह है कि यह उन देशों में भी फैल जाती है जहां की जलवायु इस प्रकार की बीमारी के विरोध में होती है।

जिस टेस्ट से यह बीमारी टेस्ट की जा रही है उस टेस्ट को ईजाद करने वाले ने इस टेस्ट की बीमारी के निर्धारण के लिए पूर्णतया अनुपयुक्त बताया है।

उसने तो यह बताया था कि यह टेस्ट केवल रिसर्च वर्क के लिए ही है कि डायग्नोज करने के लिए।फिर भी पूर्णतया अवैज्ञानिक तौर पर अंधानुकरण करते हुए भय को बढ़ाया जा रहा है।

एक सत्य तथ्य की बात विचार कर के योग्य यह भी है कि यह प्रचलित बीमारी केवल उन्हीं देशों में फैली है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंडर में आते हैं।

सीधी भाषा में कहें तो वे देश जिन्होंने विश्व बैंक से बहुत सारा कर्जा लिया हुआ है।और विश्व बैंकों में विश्व की बड़ी बड़ी हस्तियों का पैसा लगा हुआ है।

एक बहुत ही रोचक बात है कि विश्व बैंक में जिसका सबसे ज्यादा पैसा लगा है वह विश्व की सबसे अमीर हस्ती ऐसी है जो इस तथाकथित बीमारी की भविष्य वाणी कर देती है और यह भविष्यवाणी सत्य साबित होती है।

यह हस्ती पहले कम्प्यूटर के क्षेत्र में हुआ करती थी किन्तु अब पिछले दस-पन्द्रह वर्षो से इस प्रकार की बीमारियों की दवाई बनाने के कार्य में संलग्न है।

सबसे ज्यादा हैरानी की बात है कि इस प्रकार की बीमारी की दवाइयों के निर्माण के लिए इन साहेब के पास इससे सम्बंधित कोई डिग्री भी नहीं है।

इनकी एक संस्था है जो गरीब मुल्कों के नेताओं की जेबों में 'दान' के नाम पर धन भरकर उसके ऐवज में उन देशों के नागरिकों के शरीरों पर झूठ बोलकर मुफ्त में/बिना किसी हर्जाने के अपनी इन दवाइयों के टेस्ट कराती है।

सबको समझना होगा कि प्रचलित बीमारी भी इन साहेब की ही देन है और इस बीमारी की दवाई को इन साहेब ने ही पेटेंट करवा रखा है।

यानि कि इनके द्वारा तैयार किये गए दवाई के 'इंग्रेडिएंट्स' के बिना पूरे विश्व में कोई भी दवा कम्पनी स्वतंत्र रूप से अपने स्तर पर इस प्रकार की दवा बना ही नहीं सकती।

इनके प्रयोगों के खिलाफ विश्व के कई देशों की अदालतों में कई मुकदमे विचारधीन हैं पर मजाल है किसी भी देश की सरकार की जो इनके खिलाफ कोई कार्यवाही भी हो जाये।

क्योंकि अधिकतर देशों की सत्ता के सत्तानशीं,लोभी निम्न नेतागण इनके जरखरीद गुलाम हैं।और उन देशों की सत्ता के उच्च पदों पर बैठी हुई बिकाऊ कठपुतलियां देश के अहित में ही इन साहेब की मन चाही नीतियों को देश में लागू करती हैं।

जिनके कारण देश के नागरिकों के हितों का लगातार हनन होता रहता है और धीरे धीरे इन देशद्रोहियो के कारण वह देश विदेशी शक्तियों की गुलामी के साये में धकेल दिया जाता है।

पिछले सप्ताह ही पता चला है कि श्री लंका का खजाना पूर्णतया खाली हो चुका है और यहां के आम लोगो के पास खाने तक के लिए पैसे नहीं हैं,यही हाल वेनेजुएला का भी है।

यदि हमारे देश के नागरिक/जागृत मानव नहीं चेते तो हमारे देश का भी यही हाल होने जा रहा है।यदि हम अपने सद विवेक सद बुद्धि से अपने देश के हालातों का जायजा लें तो पाएंगे कि हमारा देश भी कंगाल होने के मार्ग पर अग्रसर हो चुका है।

सरकारी सम्पत्तियों अच्छी भली चलती हुई अनेको सरकारी कम्पनियों को औने पौने दामों में अपने प्रिय लोगों को बेच दिया गया है।और बची हुई कम्पनियों को भी निरंतर बेचे जाने प्रयास किया जा रहा है।

दिवालिया घोषित करने के षड्यंत्र के चलते अपने चहेतों की बोगस कम्पनियों को बैंकों से भारी भरकम ऋण दिलवाकर आम जनता का धन अप्रत्यक्ष रूप से लूटा जा रहा है।

यानि खेल यह चल रहा है नई नई नामधारी बीमारियों के नाम पर अर्थ व्यवस्था बैठाओ और सरकारी कम्पनियों में हानि दिखाकर काफी कम कीमत में अपने नजदीकियों को बेच दो।

इसका ताजा उदाहरण यह है कि देश के दो सबसे बड़े व्यापारियों की सम्पत्ति उस काल में चार-पांच गुना बढ़ गई जिस काल में हमारे देश की आम जनता गरीब हो गई।

हमें तो अपने देश के अधिकतर लोगों की विवेकहीनता पर बेहद अफसोस होता है कि किस प्रकार से टीवी चैनल्स के द्वारा प्रसारित किए जाने वाले सफेद झूठों से सम्मोहित हो जाते हैं।

हमारा आप सभी जागृत चेतनाओं से विनम्र निवेदन है कि आज के काल की भयानकता को अच्छे से समझें।

यह महसूस कर अत्यंत पीड़ा होती है कि आज विश्व के ज्यादातर देशों की सरकारों में सर्वोच्च पदों पर मानव देह धारी राक्षस/शैतान/नरपिशाच बैठे हैं।जो सम्पूर्ण मानव जाति को अपने विभिन्न षडयंत्रो के द्वारा गुलाम बनाने के लिए नित नवीन चालें चल रहे हैं।

आम सर्व साधारण ज्यादातर नागरिकों को इन बातों की समझ बिल्कुल भी नहीं है किंतु आप सभी से इस विश्व को बचाने की अपेक्षा अवश्य की जा सकती है।

आप सभी की बाह्य रूप से ज्यादा कुछ भी नहीं करना है, केवल इतना ही करना है:-

1.कि हर समय अपने सहस्त्रार मध्य हृदय में 'दिव्य ऊर्जा' को अनुभव करते रहें।

2.मीडिया के द्वारा जो भी सूचना प्राप्त हो उसे अपने सहस्त्रार मध्य हृदय की कसौटी पर कस के देखें।

यानि उस सूचना घटना की प्रतिक्रियाओं को अपने मध्य हृदय सहस्त्रार की ऊर्जा के घटने/बढ़ने के अनुभव के द्वारा उनकी असत्यता/सत्यता को समझें।

या फिर सबसे आसान तरीका यह है कि जिस सूचना घटना से आपके मध्य हृदय में घुटन का अनुभव हो तो वह निश्चित रूप से असत्य मानवता विरोधी है।

इसके विपरीत यदि हृदय में प्रफुल्लता उत्साह की वृद्धि हो तो समझ लें कि उक्त सूचना/घटना सत्य है।

3.यदि कोई सूचना घटना से हृदय में घुटन अनुभव हो तो 24 घंटे में कोई भी एक समय सुनिश्चित करके उक्त सूचना घटना पर गहन ध्यान अवस्था में अपने सहस्त्रार मध्य हृदय की ऊर्जा को कम से कम 10 मिनट तक प्रवाहित करें।

इसके साथ "श्री महाकाली"/"श्री कल्कि" से उक्त सूचना घटना में शामिल मानवता,'प्रकृति' "परमात्मा" विरोधी अस्तित्वों शक्तियों के संहार के लिए भी प्रार्थना करें।

आप सभी यदि चाहें तो अपने अपने देशों की समय सारिणी के अनुसार रात्रि के 10 बजे का समय रख सकते हैं

हममें से अनेको साधक/साधिका इस समय(रात्रि 10 बजे)पर वैश्विक नकारात्मकताओं पर ध्यान अवस्था में चित्त से प्रतिदिन कार्य करते हैं।

4.यदि चित्त से कार्य नहीं हो पाता है और चाहते हैं कि हम भी इस प्रकार से कार्य करें तो आप सभी को अपने अपने यंत्रो को इन कार्यो के लिए तैयार करना होगा।

इस तैयारी के लिए हम एक वीडियो लिंक(Non-Monetized)यहां पर देने जा रहे हैं जिसका टाइटिल है 'Workshop on Attention at Different Places'(https://youtube.com/playlist...)

इस वीडियो लिंक में लगभग 117 वीडियों हैं,जिनमें चित्त शक्ति को उन्नत करने के साथ साथ चित्त से अनेको स्तर पर कार्य करने का अभ्यास किया जा रहा है।

इन वीडियोज में उपस्थित सामूहिकता का हिस्सा बनकर अपनी चित्त शक्ति का प्रयोग करते हुए उसे विकसित करने के लिए अभ्यास करें।कम से कम एक वीडियो क्रमानुसार प्रतिदिन अपेक्षित है।यदि पसंद/समझ आये तो छोड़ दें।

यह वीडियोज केवल और केवल चेतना के विकास और ध्यान में गहनता बढ़ाने के लिए ही "श्री माता जी" की प्रेरणा स्वरूप ही बन पाए हैं।

इनका प्रयोजन धन नाम कमाना नहीं है क्योंकि यह चैनल पूरी तरह से धन की कमाई से रहित/परे है।

क्योंकि हम स्वयम जानते मानते हैं कि "श्री माता जी" के नाम ज्ञान के द्वारा धन/नाम/पहचान/प्रतिष्ठा कमाने के उद्देश्य से कार्य करना सबसे बड़ा पाप है।

हम जानते हैं यदि आपको यह सामूहिकता अच्छी लगी तो निश्चित रूप से आपकी चित्त शक्ति कुछ ही दिनों में सक्रिय हो जाएगी।

और आपका ध्यान भी गहन होता चला जाएगा जिसके कारण लम्बे काल तक आप सभी निर्विचार रह पाएंगे और एक समय आएगा आप सभी निर्विकल्प अवस्था को प्राप्त होंगे।

तो क्यों आप सब इच्छित साधक/साधिकाएं,आज से ही रात्रि के 10 बजे चित्त के द्वारा समस्त जागृत चेतनाओं के साथ सामूहिक होकर।

अपने इस विश्व को नकारात्मक शक्तियों से बचाने के इस मुहिम के चलते "श्री माता जी" के "श्री चरणों" में नतमस्तक होकर सक्रिय हो जाएं।

आप सभी ने कभी कभी विश्व को बचाने के विषय में "श्री माता जी" के 'अमृत वचन' अवश्य सुने होंगे।

अब समय गया है, सभी "श्री माँ" के बच्चों को पूर्णतया सजग सचेत होना होगा, क्योंकि अब नहीं तो फिर कभी नहीं, लास्ट जजमेंट दस्तक दे रहा है।"

----------------------Narayan

".Jai Shree Mata Ji"


नोट:-1.हमारा सभी साधक/साधिकाओं से विनम्र निवेदन है कि यदि यह अच्छा लगे तो इस अपील को सभी ग्रुप्स में शेयर करें ताकि "श्री माँ" के सभी बच्चे अपने दायित्व के प्रति जागरूक हो जाएं।

2.सभी ग्रुप ऐडमिन्स से भी आग्रह है कि इस लेख के अतिरिक्त भविष्य में हमारे द्वारा पोस्ट किए जाने वाले समस्त लेखों वीडियोज के तथ्यों को अपने मानस पटल के स्थान पर अपने हृदय से जोड़कर इसके सत्य को अनुभव करें।

क्योंकि हममें से अधिकतर का मन विभिन्न प्रकार की पूर्व स्मृतियों/भ्रांतियों कंडीशनिंग से आच्छादित होता है जिसके कारण सत्य को पकड़ नहीं पाता।

यह हमें अनुभव है कि कुछ ग्रुप ऐडमिन्स ने हमारी दो तीन पोस्ट्स के सत्य को बिना आत्मसात किये/परखे/वायब्रेशन्स को जांचे उन्हें अपने मानसिक ज्ञान के आधार पर डिलीट कर दिया।

यदि कोई ऐसा करता है तो वह निश्चित रूप से "श्री आदि शक्ति" का अपराधी है।

क्योंकि "श्री माँ" ने "अपने" 'माध्यमों' का एक नेटवर्क तैयार किया हुआ है जिनके हृदय में दी जाने वाली प्रेरणाओं के जरिये "वे" "अपने" कार्य सम्पन्न करवाती हैं।

किसी भी "श्री माँ" के माध्यम से जो भी 'प्रवाह' आता है वह उन समस्त 'सत्य के खोजियों' की अमानत होती है जो उन 'तथ्यों' 'अनुभवों' को प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं।

जिन तथ्यों अनुभवों को आत्मसात कर वे गहनता में उन्नत होते हैं और "श्री माँ" के माध्यम बन "उनके" कार्यो को सम्पन्न करवाने का जरिया बनते हैं।

यदि कोई अपनी अज्ञानता/अहंकार/ईर्ष्या किसी भी निम्न भावना के चलते इस प्रवाह को बाधित करता है तो उस पर समस्त रुद्र अत्यंत कुपित होते हैं।

हम सभी को एक दूसरे से जोड़ने वाली स्वयं "श्री आदि शक्ति" हैं और एक दूसरे के जरिये एक दूसरे के यंत्र को पोषित करने वाली स्वयं "श्री जगदम्बा" हैं यह बात हम सभी को सदा स्मरण रखनी चाहिए।

जो भी ज्ञान किसी भी माध्यम के हृदय से प्रस्फुटित होता है वह किसी भी व्यक्ति विशेष की बपौती नहीं है।

बल्कि वह स्वयं "श्री माँ" के द्वारा हम सभी की चेतना के स्तर के अनुसार "उनके" किसी भी माध्यम के जरिये प्रवाहित किया जा रहा है।

हमारे द्वारा भी 'The Mission 1000 SOS' 'Evil's Hunters' के नाम से दो ग्रुप्स फेस बुक पर संचालित किए जा रहे हैं।

हम कभी भी सहज योग से सम्बंधित किसी भी पोस्ट् सहज योगियों के उदगारों की पोस्ट्स पर कभी भी आपत्ति नहीं करते और ही उनकी पोस्ट्स को कभी डिलीट ही करते हैं।

हम सभी एक हैं और हम सभी को अपनी अपनी चेतना के स्तर के अनुसार अपने अपने ध्यान,अनुभूति चिंतन के अनुभवों को रखने का अधिकार है।

अतः हम तो कुछ भी नहीं हैं, हम केवल और केवल 'आंतरिक विकास' मार्ग पर अग्रसर "उनके" छोटे छोटे बच्चे हैं।

कृपया हमारी बातों को अन्यथा लें यह समस्त बाते "उनके" द्वारा प्रदत्त किन्ही कर्तव्यों को सम्पन्न करने के तहत ही आती हैं।



(25-01-22 --3.30 am)