Monday, January 31, 2022

Saturday, January 29, 2022

"Impulses"--566-- "दुःख भोजन के समान"

 "दुःख भोजन के समान"


*एक 'पूर्ण जागृत' मानव के लिए दुःख भोजन के समान है और सुख अमानत की तरह है।*

"क्योंकि जो मनुष्य अपने जीवन में आने वाले समस्त प्रकार के कष्टों से उत्पन्न हुए दुख को सहर्ष स्वीकार कर शांत रहता है।

उसे "परमपिता" अपने हृदय में स्थान देते हैं और परकल्याण उसके स्वयं के लिए अनेको शक्तियां भी प्रदान करते हैं।

इसीलिए यदि किसी भी कारण से दुःख मिले तो उसे भोजन की तरह चुपचाप ग्रहण करें और यदि सुख मिले तो उसे खुले हृदय से सुपात्रों के बीच बांट दें।"


----------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"



17-11-2020

Thursday, January 27, 2022

"Impulses"--565--"शक्ति - संवाहक चित्त"

"शक्ति - संवाह चित्त"


*यदि हमारा चित्त सहस्त्रार से ऊपर रहता है तो, यह "माँ आदि शक्ति" की शक्तियों का संवाहक बनता है और यदि सहस्त्रार से नीचे रहता है तो यह अक्सर बुराइयों का ही प्रसार करता है।*

"क्योंकि ऐसी निम्न अवस्था की स्थिति में चक्रों के देवता जागृत नहीं हो पाते जिसकी वजह से हमारा चित्त हमारे विभिन्न चक्रों के दोषों से ग्रसित हो जाता है।

और जब चित्त दोषो से आच्छादित हो जाता है तो यह जहां पर भी जाता है तो भीतर में रहने वाली ऋणात्मकता का ही प्रसार करता है।

साथ ही उस स्थान/व्यक्ति की नकारात्मकता को ही ग्रहण कर हमारे यंत्र में विभिन्न प्रकार की खराबियां ही उत्पन्न करता है।

अतः हर पल अपने चित्त पर चित्त रखे कि यह कहां कहां जा रहा है।"

("Our Attention is the carrier of The Power of "Maa Adi Shakti" when it is above Sahastrara.

And it becomes the conveyor of Evils when it remains below Sahastrara.

So keep on Monitoring your Attention all the Time where it is.")


-------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


16-11-2020

Friday, January 21, 2022

"Impulses"--564-- "सर्वश्रेष्ठ मानव"

 "सर्वश्रेष्ठ मानव"


"मानव को "परमात्मा" ने समस्त प्राणियों से सर्वश्रेष्ठ बनाया है।

क्योंकि मानव ही अपनी चेतना को 'ध्यान-साधना' के माध्यम से चेतना के उच्चतम शिखर तक ले जा सकता है।

ताकि प्रारब्ध-जनित बारम्बार के जीवन-मरण के पीड़ादायी चक्र से मुक्ति मिल सके।

मानव के अतिरिक्त अन्य समस्त प्राणी अपने भोजन प्रबंधन में ही अपना सारा समय व्यतीत कर देते हैं इसीलिए निकृष्ट योनियों में ही भटकते रहते हैं।

*यदि मानव भी अन्य प्राणियों की तरह अपना सारा कीमती समय धनार्जन/भोजन व्यवस्था में ही लगा दे।*

*तो उसको भी इस जीवन के बाद 'निम्न योनियों' में फिर से धकेल दिया जाएगा।क्योंकि उसने 'सर्वोत्तम योनि' में होने का कोई भी लाभ नहीं उठाया।*

मानव प्रत्यक्ष रूप में जो भी धन सम्पदा के रूप में अर्जित करता है वह तो यहीं छूट जाता है।

तो क्यों इस मानव जीवन में कुछ ऐसा कमाया जाय जो जीवन की अगली यात्रा में काम आए निम्न योनियो के गर्त में जाने से भी बच जाए।"

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"Jai Shree Mata Ji"


15-11-2020

Monday, January 17, 2022

"Impulses"-563- "आत्मज्ञान' रूपी दीपक"

  "आत्मज्ञानरूपी  दीपक"


"जब तक 'आत्मज्ञान' रूपी 'दीपक' हमारे हृदय में प्रज्वलित नहीं होगा तब तक हमारे अन्तःकरण में अज्ञानता असत्य का अंधकार बना ही रहेगा।

और 'मानवीय चेतना' मन की अकुलाहट पीड़ा में जकड़ कर अत्यंत व्याकुल दुखी होकर सदा छटपटाती रहेगी।

*यदि मानव अपनी दृष्टि सदा अपने भीतर में रहने वाली 'आत्मा' पर निरंतर बनाये रखे तब ही जाकर आन्तरिक 'उजास' में जीवन के 'सत्य' का भान हो पायेगा।*

इस 'दीवाली' के पावन पर्व पर यह चेतना आप सभी के लिए "परमपिता" से प्रार्थना करती है कि "वे" आप सभी की आत्मा को प्रकाशित कर आपको 'वास्तविक दीवाली' का आनंद प्रदान करें।"

'May this Diwali brings lots of Happiness, Prosperity,Peace & Joy to you and to all your Beloved Ones."


----------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


14-11-2020

Friday, January 14, 2022

"Impulses"--562--" 7 घंटे निद्रा"

 "घंटे निद्रा" 


"यह अक्सर कहा जाता है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए रात्रि में 7 घंटे (10pm-5am) तो अवश्य सोना चाहिए।"

क्या हम जानते हैं कि ऐसा क्यों बताया जाता है ?

क्योंकि हमारे शरीर के समस्त मुख्य अंगों की देखभाल हमारे 'सूक्ष्म यन्त्र' पर स्थित 7 चक्र ही करते हैं।

और निद्रा काल में 'दैवी शक्ति' इन चक्रों के जरिये हमारे समस्त अंगों को पोषित करती है जिससे हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है।

किन्तु जो लोग ध्यान-साधना से जुड़े हैं उनका काम कम नींद से भी चल जाता है। क्योंकि 'ध्यान-अवस्था' में 'वही शक्ति' नींद की अपेक्षा में प्रचुर मात्रा में उनको प्राप्त होती रहती है

*निद्राकाल को 'अचेतन ध्यान' ध्यान को 'चेतन निद्रा' भी कह सकते हैं।*

*Sleep is the Unconscious Meditation while, Meditation is a Conscious Sleep.*

एक बात और ध्यान रखनी है कि रात्रि में 7 घंटे से ज्यादा और दिन में भोजन के बाद आधा घंटा से ज्यादा कभी नहीं सोना चाहिए।

ऐसा करने से मानव चेतना 'अवचेतन मन' के चंगुल में फंस जाती है जिसके कारण सारे दिन एक अजीब सी उदासी,दुख आलस्य छाया रहता है।

जिससे विभिन्न किस्म के मनोदैहिक रोगों के लगने की संभावना बढ़ जाती है जो बाद में शरीर पर भी दिखाई देने लगते हैं।"


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"Jai Shree Mata Ji"


13-11-2020