Wednesday, January 5, 2022

"Impulses"--559--"प्रसाद"

"प्रसाद"


"जो कुछ भी मिल रहा है उसे प्रसाद समझें,

और जो नहीं मिल पाया है उसे आशीर्वाद समझें*

"क्योंकि "परमपिता परमेश्वर" जो भी हमारे लिए करते हैं वह हमारे लिए सदा कल्याणकारी ही होता है।

कुछ मिल पाने का कष्ट तो हम केवल तब ही अनुभव करते हैं जब हम अन्यों के जीवनों से अपने जीवन की तूलना करते हैं।

जब किसी एक वृक्ष की टहनी पर लगी पत्तियां भी एक दूसरे जैसी नहीं होतीं।

तो भला हम सभी का जीवन एक दूसरे जैसा कैसे हो सकता है।"


-----------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"

10-11-2020

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