Monday, January 3, 2022

"Impulses"--558-- "अंतिम दिवस"

  "अंतिम दिवस"


"यदि हम रात्रि को सोते समय अपने हृदय में यह भाव रखें,

'हे "भगवती माँ" हो सकता है यह निद्रा मेरी अंतिम निद्रा हो, कृपया मुझे 'अपनी' गोद में ले लीजिये।

और प्रातःकाल में उठते ही पुनः अपने हृदय में भाव रखे,

हे "जगत जननी" रात्रि में तो मेरे शरीर की मृत्यु नहीं हुई, किन्तु हो सकता है आज का दिन मेरा अंतिम दिवस हो,

कृपया मुझको सदा "अपने" "श्री चरणों" में रखिये।

यकीन मानिए ऐसा प्रतिदिन करते रहने से हमारे मन के समस्त विकार नष्ट होने प्रारम्भ हो जाएंगे।

और हमारे अन्तःकरण में 'निर्लिप्तता' की बयार बहने लग जाएगी और हमारे मन के भीतर में सदा रहने वाला अंधकार तिरोहित होने लगेगा।

जिसके परिणाम स्वरूप हम अपनी चेतना में शरीर में रहते हुए भी 'मुक्त अवस्था' का आनंद उठा रहे होंगे।"

--------------------------------------'Impulses'

"Jai Shree Mata Ji"


09-11-2020

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