Friday, June 17, 2022

"Impulses"--612--"बूझो तो जानें"

 "बूझो तो जानें"


यदि आपकी नजर में दुनिया के सबसे ज्यादा/बड़े:

01.धूर्त,

02.क्रूर,

03.भ्रष्ट,

04.झूठे,

05.ठोंगी,

06.पापी,

07.निम्न,

08.निर्मम,

09.गपोड़ी,

10.अधर्मी

11.लम्पट,

12.हत्यारे,

13.विकृत,

14.विक्षिप्त,

15.मक्कार,

16.बेईमान,

17.निर्लज्ज,

18.अहंकारी,

19.अपराधी

20.आताताई,

21.अत्याचारी,

22.विष-भाषी,

23.अमानवीय,

24.षड्यंत्रकारी,

25.नित नए स्वांग भरने वाले,

26.अत्यंत विषैली मानसिकता वाले,

27.सत्य से निरंतर पलायन करने वाले,

28.लाशों के ढेर पर अट्टहास करने वाले,

29.जलती चिताओं के बीच उत्सव मनाने वाले,

30.महिलाओं तक से जम कर गाली खाने वाले,

31.गरीबों/मजबूरों तक की भरपूर बद्दुआएं कमाने वाले,

32.अपनी गलत बातों के विरोध पर बच्चों तक से भी व्यक्तिगत शत्रुता मानने वाले,

33.येन केन प्रकारेण रासजसिक ठाठ बाट हांसिल करने बनाये रखने की आतुरता रखने वाले,

34.अपनी अतृप्त महत्वाकांशाओं की पूर्ति के लिए निम्नता की सारी हदें पार कर जाने वाले,

35.जलालत जाहिलियत की मिसाल कायम करने वाले,

36.इन उपरोक्त वर्गों में आने वाले नरपिशाचों का अंधानुकरण करते हुए इन नराधमों का भरपूर सहयोग करने वाले,

*रक्त बीज सम,मानव-देहधारी यदि आपके इर्द गिर्द चित्त चेतना में भी आएं तो सबसे पहले ऐसी दुरात्माओं को 'अंतरात्मा' से दिल खोल कर बदुआएँ दें।*

*उसके बाद प्रतिदिन गहन-ध्यान-अवस्था में उतरकर "श्री महाकाली", "श्री कल्कि" "श्री महादेव" से इन सभी नरासुरों के सर्वनाश की प्रार्थना करें।*

क्योंकि इस सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण करने वाली,इस सृष्टि को संचालित करने वाली इस सृष्टि की रक्षा करने वाली समस्त शक्तियां बिना 'जीवात्माओं' की प्रार्थना के कार्य नहीं करती।

*इतिहास गवाह है, जब जब इस धरा पर पाप,अधर्म अत्याचार बढ़ता है तब तब उत्पीड़ितों के हृदय से श्राप अच्छे लोगों के हृदय से बदुआओं के साथ साथ कातर-प्रार्थनाएं निकलती हैं।*

*तभी "परमात्मा" की समस्त हनन शक्तियां जागृत होकर पापियों,अधर्मियों, आताताइयों अत्याचारियों को नेसनाबूत करती हैं।*

इस प्रकार से इन सभी महादुष्टों का अंत होता है और धरा पर अमन चैन पुनः स्थापित होता है।किन्तु समापन से पूर्व पाप,अन्याय,अत्याचार अधर्म अपने चरमोत्कर्ष पर अवश्य पहुंचता है।

अच्छे से समझ लीजिए कि इन्हीं शैतानो के कारण ही आज हमारी 'धरा' का इतना बुरा हाल हुआ है।

यदि ये कुछ और दिन तक अपने मंसूबों में कामयाब होते रहे तो सारी वसुंधरा शमशान में ही परिवर्तित हो जाएगी।

यदि आप, आज "परमेश्वरी" से सच्चे हृदय से प्रार्थना नहीं करेंगे तो आप भी "परम" की निगाह में अपराधी ही साबित होंगे।

क्योंकि जो भी मानवता, 'प्रकृति' "परमात्मा" की खिलाफत करने वालों का विरोध नहीं करता "ईश्वर" की नजर में वह भी उतना ही दोषी होता है।

आप सभी को आगाह करना इस चेतना का 'परम कर्तव्य' है और इसी का पालन करते हुए यह चेतना आप सभी से विनम्र आग्रह कर रही है,बाकी आपकी मर्जी।

*यूं तो इस धरा पर शरीर रूप में कोई भी अमर नहीं है, जिसने शरीर रूप में जन्म लिया है उसके शरीर को एक एक दिन अपने समय पर मरना ही है।*

तो क्यों "परमात्मा"' 'प्रकृति' मानवता का सहयोग करते हुए समस्त प्रकार की नकारात्मकताओं का निडर होकर विरोध करने के साथ पुरजोर संघर्ष करते हुए सत्य के गौरव के साथ जीवित रहें।

और अपने पूर्व-सुनिश्चित समय पर आने वाली 'मृत्य' का हृदय से स्वागत करते हुए 'शान' से मृत्यु का आलिंगन करें, केवल तभी ही हमारा जीवन वास्तविक रूप में सफल माना जायेगा।

*अपराधियों की भांति प्राण त्यागे या योद्धाओं की भांति,यह केवल और केवल हम पर ही निर्भर करता है।*


-------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


22-04-2021

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