Thursday, June 2, 2022

"Impulses"--607--"मानव की सबसे बड़ी त्रासदी"

 "मानव की सबसे बड़ी त्रासदी" 


"परमात्मा" की सर्वश्रेष्ठ कृति मानव के लिए सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि वह अपने भीतर में रहने वाले "परमपिता" के प्रतिबिम्ब अपनी स्वयं की आत्मा को अनुभव कर पाए।

क्योंकि इस 'दिव्य विभूति' के एहसास के कारण ही वह अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ होने का दर्जा प्राप्त कर पाता है।

अन्यथा उसका जीवन भी अन्य 83,99,999 प्राणियों के मिश्रित गुणों के प्रभावों के ऊपर ही आश्रित रहता है।

जिसके कारण वह अत्यंत निम्न स्तर का जीवन जीने के लिए मजबूर होता है और बारंबार जीवन-मरण के चक्र में सदियों तक उलझा रहता है।

इस अत्यंत पीड़ा दायक मकड़जाल से निकलने का केवल और केवल एक ही मार्ग है और वो हैं निशर्त पूर्ण समर्पित 'इशभक्ति' की शक्ति के प्रताप से स्वयं के 'आत्मा' होने का अनुभव करना।"


-----------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


19-02-2021

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